राजस्थान की सरसों से महक उठी पंजाब खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Oct, 2017 02:32 PM

punjab agriculture university

लाइफ स्टाइल बदलते ही सरसों के तेल की बजाय घी व रिफाइंड समेत अन्य पदार्थों की तेजी से खपत बढ़ी है। आज तो शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां पर भोजन सरसों के तेल में बनता हो।

लुधियाना (सलूजा): लाइफ स्टाइल बदलते ही सरसों के तेल की बजाय घी व रिफाइंड समेत अन्य पदार्थों की तेजी से खपत बढ़ी है। आज तो शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहां पर भोजन सरसों के तेल में बनता हो।  

 जिला लुधियाना के अधीन पड़ते गांव जलालदीवाल रायकोट का रहने वाला 30 वर्षीय नौजवान बीर दविंदर सिंह सरस मेले के दौरान रात के समय बिजली गुल होने के बावजूद अंधेरे में ही सरसों के तेल की बोतलों को अपने ही अंदाज में टेबल पर सजाकर रख रहा था। उसने बताया कि उसके परिवार ने कृषि विभिन्नता के तहत कदम बढ़ाते हुए उत्पादों की प्रोसैसिंग टैक्नोलॉजी को अपनाया। सरसों, हल्दी व बेसन की प्रोसैसिंग को कारोबार के रूप में स्थापित कर लिया है जिससे कई नौजवानों को रोजगार के अवसर भी प्राप्त हुए हैं। 

 राजस्थान की सरसों की अपनी ही बात
यह सरसों पंजाब की नहीं बल्कि वह राजस्थान से मंगवाते हैं। इसका स्वाद व महक अलग किस्म की है। इसको प्रोसैस करके सरसों का तेल तैयार करते हैं। बीर दविंदर ने यह भी स्पष्ट किया कि तेल की प्रोसैसिंग करने के समय ना तो वह बलीच करते हैं और न ही इसमें किसी स्तर पर मिलावट करते हैं।  

2 भाई व चाचा मिलकर करते हैं खेती
10 एकड़ जमीन पर 2 भाइयों व चाचा के साथ मिल कर खेती करने वाले इस नौजवान ने यह भी जानकारी दी कि वह समूचा परिवार ही खेती पर निर्भर है। वह नाबार्ड व पी.ए.यू. के सहयोग से अपने आप को नई टैक्नोलॉजी के साथ अपडेट रख रहे हैं। 

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