Edited By Vatika,Updated: 18 Oct, 2023 08:57 AM
आयातित कोयले से इनकार करने से तथा हालात और भी जटिल हो गया है, जिससे अस्थिर संकट का अंदेशा बढ़ गया है।
पंजाब डेस्क: पंजाब जल्द अंधेरे में डूब सकता है। दरअसल पंजाब कोयले की कमी से जूझ रहा है, जिसकी वजह से पंजाब में थर्मल पॉवर प्लांट में विद्युत उत्पादन करना बड़ी चुनौती है। यदि इन थर्मल पॉवर प्लांट में जल्द कोयले की आपूर्ति नहीं की जाती है तो प्लांट में विद्युत उत्पादन पूरी तरह ठप्प पड़ जाएगा। इसका असर यह होगा कि पूरे पंजाब में राज्यव्यापी ब्लैकआउट की स्थिति बन जाएगी।
गौरतलब है कि पंजाब में सभी बिजली संयंत्र कोयला भंडार में भारी कमी का सामना कर रहे हैं। टी.पी.एस.एल. का कोयला भंडार केवल तीन महीनों में लगभग 4 एल.एम.टी. से घटकर 0.50 एल.एम.टी. से भी कम हो गया, जबकि इसी अवधि में एन.पी.एल. का भंडार 6 एल.एम.टी. से घटकर मात्र 1.50 एल.एम.टी. रह गया। कोयले की लगातार कमी के कारण बिजली इकाई बंद करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। हालांकि कोयले की कमी का संकट न सिर्फ पंजाब में है, बल्कि पूरे देश के बिजली संयंत्र कोयला भंडार की कमी से जूझ रहे हैं। हालांकि यह भी माना जा रहा है कि एन.पी.एल. और टी.पी.एस.एल. सहित पंजाब के आई.पी.पी. को कोयला आपूर्ति को लेकर भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है। वहीं खदानों में रेक प्लेसमेंट में अन्य संयंत्रों को अनुचित प्राथमिकता दी जाती रही है।
उल्लेखनीय है कि बिजली मंत्रालय ने आसन्न कोयला संकट की आशंका को देखते हुए, 30 जनवरी, 2023 को दो अधिसूचनाएं जारी कीं और इसके बाद स्वतंत्र बिजली संयंत्रों (आई.पी.पी.) को एच-1 और एच-1 के लिए क्रमश: न्यूनतम 6 प्रतिशत और 4 प्रतिशत आयातित कोयले को शामिल करना अनिवार्य कर दिया। अधिसूचनाओं पर कार्रवाई करते हुए पंजाब के आई.पी.पी. ने तुरंत पूरी प्रक्रिया का अनुपालन किया, एक निविदा प्रकिया संपन्न की, जिसे पंजाब सरकार ने अस्वीकार कर दिया। यह आई.पी.पी. के लिए एक अप्रत्याशित बड़ा झटका था, जिससे उन्हें आयातित कोयला खरीदने का मौका बंद हो गया, जिससे अंतत: बिजली की कमी हो गई। पंजाब में विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से जारी रखने के लिए कोयला संकट जल्द दूर करने की दिशा में तत्काल कार्यवाही होनी चाहिए। दूसरी ओर आई.पी.पी. के प्रति भेदभावपूर्ण व्यवहार, पंजाब सरकार द्वारा आयातित कोयले से इनकार करने से तथा हालात और भी जटिल हो गया है, जिससे अस्थिर संकट का अंदेशा बढ़ गया है।