चीनियों को पछाड़ कनाडा के ड्रग माफिया पर पंजाबियों का कब्जा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Aug, 2017 02:48 PM

panjabi possession of canadian drug mafia

कनाडा के ड्रग माफिया पर कभी चीनियों का कब्जा रहा है लेकिन अब यह बादशाहत पंजाबियों के पास है। इससे पहले तक चीनी ही हैरोइन और दूसरे नशीले पदार्थों की तस्करी किया करते थे।

जालंधर : कनाडा के ड्रग माफिया पर कभी चीनियों का कब्जा रहा है लेकिन अब यह बादशाहत पंजाबियों के पास है। इससे पहले तक चीनी ही हैरोइन और दूसरे नशीले पदार्थों की तस्करी किया करते थे। पंजाबी तस्कर तो केवल पंजाब से हैरोइन की खेपें मंगवाने का काम करते थे।

जैसे-जैसे कनाडा में पंजाबियों की आबादी बढऩे लगी और पंजाब से जाने वाले युवक  सक्रियता से ड्रग माफिया से जुडऩे लगे तो पंजाबी चीनियों पर भारी पड़ गए। इस समय टोरंटो में 3 और वेंकूवर में पंजाबियों के 2 बड़े गैंग काम कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश गैंग कबड्डी से जुड़े मसलमैन समझे जाने वाले पंजाबियों के हैं। भोला ड्रग रैकेट में भी कनाडा के रहने वाले 2 एन.आर.आइज का नाम सामने आया था। यही नहीं पंजाब में ड्रग तस्करी से जुड़े भोला ड्रग रैकेट के मामले में सी.बी.आई. कनाडा की सरकार से कुछ 16 एन.आर.आइज प्रत्यर्पण तक की मांग कर चुकी है।  

पंजाबियों के रिमोट कंट्रोल से चल रहा यू.के.-कनाडा का माफिया 
यू.के. और कनाडा का माफिया पंंजाबियों के रिमोट कंट्रोल से चल रहा है। यू.के. में कुछ पंजाबी फ्रांस और साथ लगते दूसरे देशों से शराब की तस्करी करते हैं और इसके साथ-साथ पंजाब से हैरोइन वहां लेकर जाते हैं। यह काम ये लोग वहां सक्रिय माफिया के साथ मिलकर करते हैं। इसी तरह कनाडा में कुछ पंजाबी हैरोइन की तस्करी कर रहे हैं। यहां ऐसे कई गिरोह सक्रिय हैं जो इस माफिया के लिए काम करते हैं। कनाडा में हैरोइन की तस्करी से जुड़े लोग पंजाब में इस रैकेट से जुड़े अपने रिश्तेदारों के जरिए हैरोइन की खेप मंगवाते हैं।  
 

ड्रग माफिया से जुड़े पंजाबियों में गैगवार 
बीते 5 सालों में वेंकूवर और टोरंटो में सक्रिय पंजाबी गैंगों में हुई खूनी जंग में 125 पंजाबी युवकों की जान जा चुकी है। इस गैंगवार से कनाडा की सरकार भी परेशान है। कुछ साल पहले कनाडा की पुलिस ने पंजाब पुलिस से इस मामले को लेकर सहयोग भी मांगा है। इनमें से अधिकांश युवक दोआबा क्षेत्र और मालवा क्षेत्र से संबंध रखते हैं। हैरानी की बात तो यह है कि गैंगवार में अपने रिश्तेदारों की जान गंवाने के बावजूद उनके निकटवर्ती रिश्तेदार मोटी कमाई वाले इस कारोबार में लगे हुए हैं। कनाडा और अमरीका में बीते कुछ समय हैरोइन की खपत काफी बढ़ी है। कनाडा अमरीका सीमा पर स्थित है। इसका लाभ उठाते हैरोइन की तस्करी की जाती है। 

सुपारी देकर हत्याएं 
कनाडा में सक्रिय पंजाबी ड्रग माफिया गैंग अपने विरोधी गैंगों के सदस्यों की हत्याएं वहां सक्रिय गोरों और नीग्रो के गैंगों से करवाते हैं। इंटैलीजैंस एजैंसियों के रिकॉर्ड के अनुसार दोआबा के 5 दर्जन युवक बीते 5 सालों में इस गैंगवार में मारे गए हैं। इनमें शेरा नाम का एक युवक कनाडा सीमा से ट्रक के माध्यम से हैरोइन अमरीका तस्करी किया करता था। इसकी हत्या इस सीमा पर ही नीग्रो हत्यारों ने की थी। कनाडा ड्रग माफिया से इन मामलों के जुड़े होने के कारण मृतक युवकों के परिजन इन मामलों को भेद खुलने के डर से खुद ही दबा देते हैं। 2016 में टोरंटो में एक पंजाबी युवक की गैंगवार में हत्या कर दी गई थी। इस युवक का नाम एक बड़े ड्रग रैकेट में सामने आया था। ऐसे कई मामले कनाडा में हो रहे हैं।  

हैरोइन तस्करी का रूट 

हैरोइन अफगास्तिान में तैयार होती है। वहां 470 मीट्रिक टन अफीम की खेती होती है। 10 किलो अफीम से एक किलो हैरोइन तैयार होती है। यह हैराइन अफगानिस्तान की पाक सीमा पर स्थित विशेष तौर पर बनाई गई लैबों में एक रासायनिक एस्टिक एन हाईड्राइड से तैयार की जाती है। अफ्रीकी समुदाय के लोग अफीम से हैरोइन तैयार करने का काम करते हैं। हर साल तैयार होने वाली हैरोइन में से 20 प्रतिशत हैरोइन पंजाब के साथ लगती सीमा से यहां भेजी जाती है।

पाकिस्तान के बलूचिस्तान में तैयार होकर पेशावर के रास्ते बड़े-छोटे वाहनों में यह हैरोइन लाहौर पहुंचती है। वहां इसका रेट डेढ़ लाख रुपए किलो होता है। लाहौर से यह सीमा पार तस्करी करके अमृतसर, गुरदासपुर, खेमकरण से होते हुए सीमा सुरक्षा बल और पुलिस की नाक के नीचे से पंजाब, हरियाणा और दिल्ली की पुलिस के सुरक्षा तंत्रों को भेदती हुई दिल्ली पहुंचा दी जाती है। इसमें रोचक बात यह भी है कि अमृतसर, खेमकरण और गुरदासपुर सैक्टर से तस्कर कारों यहां ट्रकों में छुपा कर इसको बड़ी चतुराई से दिल्ली भेजते हैं। 

अफगानिस्तान से कनाडा-अमरीका तक नैटवर्क 
कनाडा, अमरीका, यू.के. में सक्रिय तस्कर पंजाब में सक्रिय तस्करों के साथ मिलकर काम करते हैं। अमृतसर हवाई अड्डे पर ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं जब एन.आर.आइज से हैरोइन पकड़ी गई है ।

कनाडा से अमरीका भेजी है ड्रग 
कनाडा में सक्रिय माफिया हैरोइन और दूसरे नशीले पदार्थ बड़े वाहनों से अमरीका लेकर जाते हैं। पंजाब में सक्रिय केन्द्रीय एजैंसियों के एक आला अफसर का कहना है कि उनके द्वारा दी गई सूचना के आधार पर कनाडा में पिछले 5 सालों में ड्रग की कई बड़ी खेपें पकड़ी गई हैं। कनाडा और यू.के. में सक्रिय माफिया सितम्बर से मार्च तक यहां से नशीले पदार्थों की तस्करी करता है। इस बात की जानकारी केन्द्रीय एजैंसियों को भी है। इसलिए ऐसे एन.आर.आइज पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं।  ई.डी. के आला अफसर का कहना है कि कनाडा के ड्रग माफिया पर पंजाबियों का कब्जा है। यह माफिया पंजाब के तस्करों के साथ मिलकर काम कर रहा है। ई.डी. जिन मामलों की जांच कर रही है उनके तार भी कनाडा से जुड़े हुए हैं। 

रोजगार की तलाश में कनाडा जाने वाले युवकों पर रहती है नजर 
कनाडा रोजगार की तलाश में लाखों रुपए खर्च कर जाने वाले युवक अक्सर इन तस्करों के चक्कर में फंस जाते हैं। ड्रग तस्करी से लंबे समय से जुड़े लोगों की ज्यादातर नजर पंजाब से आने वाले नए युवकों पर रहती है। उन्हें रोजगार का झांसा देकर वे इनको कोरियर के तौर पर प्रयोग करते हैं। केन्द्रीय एजैंसियों के पास ऐसी भी सूचना है कि कनाडा और यू.के. मे रह रहे खालिस्तान समर्थक भी ड्रग तस्करी मे लिप्त हैं। जल्द ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में युवक इन तस्करों के झांसे में आ जाते हैं। 
 

कनाडा के ड्रग रैकेट में जालंधर कनैक्शन
जालंधर में एक दशक पहले एक बड़े एन.आर.आई. ने एक बड़ी पार्टी का आयोजन किया था। इसमें यू.के. और कनाडा के ड्रग माफिया से जुड़े बड़े लोगों ने भाग लिया था। यू.के. पुलिस को इस बात का पता चल गया था। स्कॉटलैंड यार्ड पुलिस में कार्यरत एक पंजाबी मूल के अफसर को तब जालंधर भेजा गया था। पंजाब पुलिस इंटैलीजैंस के एक आला अफसर ने इसकी एक रिपोर्ट भी तैयार की थी। इसके बाद भी यह बात सामने आई थी कि अब पजाबी यू.के., कनाडा और अमरीका में ड्रग तस्करी में लिप्त हो रहे हैं।     

भोला ड्रग रैकेट से जुड़े एन.आर.आइज का रैडकॉर्नर नोटिस जारी

6000 करोड़ के भोला ड्रग रैकेट में अब तक ई.डी. एक दर्जन कैनेडा के एन.आर.आइज के खिलाफ  चार्जशीट दायर कर चुकी है। इसके अलावा 16 एन.आर.आइज को भारत लाने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इनमें 12 के रैड कार्नर नोटिस जारी किए चुके हैं। ई.डी. ने इन 16 एन.आर.आइज के बारे में कोर्ट के माध्यम से जानकारी मांगी है।  ई.डी. के एक आला अफसर का कहना है कि हमारी कोशिश है कि हम इन एन.आर.आइज को यहां लाकर पूछताछ करें क्योंकि अब तक की जांच में इनके भोला ड्रग रैकेट में लिप्त होने के पुख्ता प्रमाण हमें मिले हैं।

अगर हम इन लोगों को यहां लाने मे सफल होते हैं तो इस मामले में और खुलासे होने की उम्मीद है। जिन एक दर्जन एन.आर.आइज को चार्जशीट में शामिल किया गया है उनमें एक यू.के. का एन.आर.आई. भी शामिल है। इनमें कुछ एन.आर.आइज इस समय जेल में हैं, कुछेक ने जमानत करवा ली है। ई.डी. के राडार पर कुछ और एन.आर.आइज भी हैं जो दूसरे देशों में ड्रग की तस्करी करते हैं। अभी ई.डी. विदेश में रह रहे तस्करों की यहां की जायदादों का पता लगाने की कोशिश कर रही है। 

कनाडा में पंजाबियों में गैंगवार के पीछे कारण 
शुरूआत में जो पंजाबी कनाडा जाते थे, गोरों द्वारा तंग-परेशान और झगड़े किए जाने पर कुछ पंजाबियों ने अपने पंजाबी भाइयों को बचाने के लिए एक संगठन बना लिया, यही संगठन बाद में ड्रग माफिया से जुड़ गया और धीरे-धीरे गैंगवार शुरू हो गई, इसी का नतीजा कनाडा में मुख्य क्रिमिनल बॉस बिंदी जौहल की हत्या भी है।   

नशा तस्करी के चलते विदेशों में भी बदनाम हो रहा है पंजाब

अमरीका से ट्रकों में छुपाकर सीमावर्ती रास्तों द्वारा कनाडा में 120 मिलियन अमरीकी डॉलर कोकीन तस्करी के मामले में पिछले दिनों अमरीका की अदालत ने 47 वर्षीय पंजाबी हरिंद्र धालीवाल को 20 वर्ष कैद की सजा सुनाई है। इससे पहले गत माह इस आरोपी के साथी रहे गुरशरण सिंह को सवा 5 वर्ष कैद हुई थी। यह मामला न्यूयार्क स्टेट के इतिहास में नशीले पदार्थ की सबसे बड़ी तस्करी के मामले से जुड़ा है जिसमें अमरीका व कनाडा के 7 व्यक्ति चार्ज किए गए थे। इससे पहले भी ड्रग तस्करी के मामले में कनाडा रह रहे कई पंजाबी युवकों के नाम सामने आ चुके हैं। यहां तक कि कनाडा सरकार से उनके प्रत्यर्पण की मांग तक की जा चुकी है। तस्करी के ऐसे केसों के कारण विदेशों में पंजाब बदनाम होता जा रहा है, जोकि एक चिंता का विषय है।  


 

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