Edited By Updated: 28 Feb, 2017 02:01 AM
11 मार्च को पंजाब विधानसभा के लिए हुए मतदान के नतीजे आ रहे...
जालंधर: 11 मार्च को पंजाब विधानसभा के लिए हुए मतदान के नतीजे आ रहे हैं। राज्य में आगामी सरकार के गठन के लिए आशान्वित आम आदमी पार्टी ने पंजाब के राज्यपाल वी.पी. सिंह बदनौर से मांग की है कि किसानों से आगामी गेहूं खरीद के लिए समुचित प्रबंध सुनिश्चित करने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई जाए। हालांकि पार्टी की ओर से इस संदर्भ में राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा जाना था लेकिन राज्यपाल के शहर से बाहर होने के कारण अब उन्हें यह ज्ञापन आगामी कुछ दिनों में पार्टी की ओर से सौंपा जाएगा।
राज्यपाल से गेहूं की खरीद प्रक्रिया को लेकर सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने की मांग के पीछे एक कारण यह भी है कि केंद्र में इस समय भाजपा की सरकार है। ‘आप’ को इस बात की चिंता है कि केंद्र में भाजपा की सरकार होने के कारण गेहूं खरीद प्रक्रिया में दिक्कत आ सकती है। पार्टी के राज्य संयोजक गुरप्रीत सिंह वड़ैच, मैनीफैस्टो समिति के प्रमुख कंवर संधू और किसान विंग के प्रधान कैप्टन जी.एस. कंग ने कहा कि मौजूदा सरकार को अब तक गेहूं खरीद के लिए किए कामों और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया से गेहूं खरीद के लिए कैश क्रैडिट लिमिट प्राप्त करने के लिए किए प्रबंधों की समूची जानकारी देनी चाहिए।
सी.सी.एल. जारी होने पर ही होगी गेहूं की खरीद शुरू
गेहूं की खरीद प्रक्रिया शुरू करवाने से पहले नई सरकार को केंद्र सरकार से कैश क्रैडिट लिमिट सी.सी.एल. लेनी होगी। सी.सी.एल. जारी होने के बाद ही गेहूं की खरीद आरंभ होगी। आप नेताओं ने कहा कि पंजाब में चुनावों के नतीजे 11 मार्च को आएंगे और करीब 1 सप्ताह नई सरकार को काम शुरू करने में लगेगा जिस कारण गेहूं खरीद के प्रबंधों के लिए बहुत कम समय बचेगा। उन्होंने कहा कि पंजाब जैसे खेती प्रधान राज्य में गेहूं खरीद के लिए विशेष प्रबंध करना अत्यंत जरूरी है। इसलिए सरकार को सी.सी.एल. लिमिट बारे गंभीरता के साथ कार्य करना चाहिए ताकि राज्य के किसान गेहूं खरीद दौरान परेशान न हों। उन्होंने कहा कि पिछले सीजन के दौरान किसानों को अपनी गेहूं बेचने के लिए बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा था क्योंकि केंद्र सरकार ने सी.सी.एल. जारी नहीं की थी। यहां तक कि खुद मुख्यमंत्री को दिल्ली जाकर सी.सी.एल. जारी करवानी पड़ी थी।
आर.बी.आई. ने मना कर दिया था फंड देने से
‘आप’ नेताओं की चिंता का एक कारण यह भी है कि पिछले साल आर.बी.आई. ने 20 हजार करोड़ के अनाज घोटाले के कारण अकाली-भाजपा सरकार को फंड देने से मना कर दिया था। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के लिए यह उचित समय है कि वह खुद इस मामले को गंभीरता के साथ लेते हुए सी.सी.एल. सही समय पर जारी करवाने के लिए यत्न करें ताकि पहले से मंदी के शिकार किसानों को और मुश्किलों का सामना न करना पड़े। उन्होंने भरोसा दिलाया कि पार्टी गेहूं की सुचारू ढंग के साथ खरीद के लिए वचनबद्ध है और किसानों की फसल 24 घंटों में उठाकर 72 घंटों में उनको फसल की अदायगी की जाएगी। उन्होंने कहा कि किसानों के मुद्दों को गंभीरता के साथ लेकर आम आदमी पार्टी पहले ही राज्यपाल को मिलने के लिए उनसे समय मांग चुकी है।
किसानों को आ सकती हैं दिक्कतें
प्रदेश के किसानों को 11 मार्च के बाद बनने जा रही सरकार से कई उम्मीदें हैं। यदि पंजाब में किसी भी राजनीतिक दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो नई सरकार के अस्तित्व में देरी हो सकती है। जो भी नई सरकार आएगी सबसे पहले प्रशासकीय फेरबदल करेगी। सत्ता बदली तो इस परिवर्तन के साथ पंजाब की 153 मार्कीट कमेटियों के चेयरमैन बदले जाना भी तय ही है क्योंकि सत्ता बदलने के साथ ही पुराने चेयरमैन इस्तीफे दे सकते हैं। नई सरकार इन कमेटियों को भंग कर नई कमेटियां गठित कर सकती है। इस प्रक्रिया में लंबा समय लगेगा। दूसरी तरफ 1 अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू होनी है।
11 मार्च के बाद अगर आम आदमी पार्टी की सरकार आती है तो इतनी जल्दी संभव नहीं होगा कि मार्कीट कमेटियों के नए चेयरमैन लगा दिए जाएं। दूसरी तरफ मंडियों में गेहूं के खरीद प्रबंध करना बड़ी जिम्मेदारी का काम है। किसानों की समस्याओं का निपटारा भी इन्हीं द्वारा किया जाता है। पिछले सत्ता काल में भी बादल सरकार ने पंजाब की मार्कीट कमेटियों के चेयरमैन 2014 में नियुक्त किए थे। 3 साल की मियाद वाले इस पद पर आम तौर पर चेयरमैनों की नियुक्ति एक साथ ही हो जाती है परंतु बादल सरकार ने किस्तों में चेयरमैन लगाए थे। बड़ी संख्या में चेयरमैनों की नियुक्ति अंतिम महीनों में हुई थी।
दूसरी तरफ भले ही केंद्र सरकार की तरफ से गेहूं की खरीद के लिए एम.एस.पी. 1625 रुपए तय कर दिया गया है परंतु सरकार को किसानों की फसल की खरीद होने के बाद तुरंत अदायगी करनी होती है जिसके लिए पंजाब सरकार को केंद्र सरकार के साथ लगातार संपर्क करना होता है ताकि किसानों की अदायगी में देरी न हो परंतु पंजाब में सरकार का देरी के साथ गठन होने की स्थिति में किसानों को अदायगी को लेकर परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। सरकारी अधिकारियों की तरफ से गेहूं के खरीद प्रबंधों के लिए कार्रवाई तो की जा रही है परंतु वे सरकार न होने के कारण अपने ऊपर पूरी तरह से कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं दिखाई दे रहे हैं।