Edited By Updated: 07 Mar, 2017 12:34 AM
कांग्रेस या आम आदमी पार्टी में से जिसकी भी सरकार बनती है उसके सामने दावेदारों...
लुधियाना: कांग्रेस या आम आदमी पार्टी में से जिसकी भी सरकार बनती है उसके सामने दावेदारों की फौज में से मंत्री चुनने की चुनौती तो है ही उनको विभाग बांटने का मुद्दा भी अहम है क्योंकि जिन लोगों को मंत्री बनने का पक्का यकीन है वे अभी से अपनी इच्छानुसार मंत्रालय पाने के लिए जुगाड़ फिट करने में जुट गए हैं।
दलितों व जाटों की फौज में से चेहरे चुनने में आएगी मुश्किल
पंजाब में नई बनने वाली सरकार के लिए मंत्री बनाते समय जातीय समीकरण को ध्यान में रखना होगा क्योंकि अब तक जाटों का सबसे ज्यादा बोलबाला रहा है। इसके साथ ही दलित वर्ग को भी जगह मिलती रही है। अब इन दोनों के साथ हिंदू, शबरी सिख, मुस्लिम, गुर्जर समुदाय भी भागीदारी बढ़ाने की मांग कर रहा है। ऐसे में जाट व दलित चेहरों की फौज में से मंत्री चुनने की मुश्किल आएगी।
अगर कांग्रेस सरकार बनने की सूरत में मंत्रिमंडल के गठन की बात करें तो जाटों व दलितों में जमकर लड़ाई होगी क्योंकि अगर पुराने नेताओं की बात करें तो इनके अलावा भी कई ऐसे नेता हैं जो तीसरी बार जीतकर आ रहे हैं। इनमें दलित चेहरे साधु सिंह धर्मसोत, अरुणा चौधरी, नत्थू राम, हरचंद कौर महलकलां व अजायब सिंह भट्टी के नाम शामिल हैं जबकि जाट चेहरों की भीड़ ज्यादा है। इनमें बलबीर सिद्धू, परमिंद्र पिंकी, दर्शन बराड़, कुशलदीप ढिल्लों, गुरप्रीत कांगड़, रनदीप नाभा 2 बार से ज्यादा जीतने के बाद मंत्री बनने की लड़ाई में आ जाएंगे जिनमें से कइयों को कैप्टन की मदद भी मिलेगी।
विधान परिषद बनाने में केंद्र की रुकावट
नई सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती इसलिए भी है कि मंत्री दावेदारों की फौज में से चेहरे चुनने की प्रक्रिया में बगावत का खतरा मंडरा रहा है हालांकि इस दौर में कुछ विधायकों को किसी बोर्ड या कॉर्पोरेशन के चेयरमैन का अहम पद देकर शांत किया जा सकता है लेकिन सरकार के पास एक और विकल्प विधान परिषद सदस्य बनाने का भी है जिसके तहत टिकट मिलने से वंचित रह गए या अन्य सीनियर नेताओं को एडजस्ट किया जा सकता है लेकिन पंजाब में से हरियाणा व हिमाचल प्रदेश बनने के बाद से दोबारा विधान परिषद सदस्य नहीं बन पाए। इस संबंधी विधानसभा में प्रस्ताव पास करके भेजना होगा जिस पर मंजूरी मिलने में केंद्र की रुकावट है क्योंकि विधान परिषद सदस्य बनाने का अधिकार राज्य सरकार के पास होगा।
मंत्रियों, अफसरों की चलेगी या रहेगा सलाहकार, ओ.एस.डी. का बोलबाला
पिछली 3 सरकारों पर नजर दौड़ाई जाए तो मंत्रियों से ज्यादा सलाहकार या ओ.एस.डी. के रूप में सी.एम. व डिप्टी सी.एम. के साथ लगते लोगों का बोलबाला रहा है। इनमें भले ही सचिव के तौर पर आई.ए.एस. व पी.सी.एस. अधिकारी लगते हैं लेकिन ज्यादा दखल सियासी चेहरों का रहा।
इनमें कैप्टन सरकार के समय भरत इंद्र चाहल का दबदबा रहा जिन्हें लेकर काफी विवाद भी हुए। इसके बाद 2 बार रही अकाली दल की सरकार में ज्यादा सिक्का सी.एम. व डिप्टी सी.एम. के साथ लगे अफसरों का चला और सलाहकार या ओ.एस.डी. के रूप में भी लंबी फौज लगाई गई थी। अब कैप्टन के आसपास ऐसे लोगों की काफी भीड़ है जिनमें से कुछ को तो सरकार बनने से पहले ही पद मिल भी गए हैं।
संसदीय सचिव बनाने के लिए मांगी जा रही है कानूनी राय
नई बनने वाली सरकार के लिए मंत्रिमंडल का गठन करने के रास्ते में एक समस्या अब संसदीय सचिव न बन पाने के चलते आएगी क्योंकि पहले जिन लोगों को मंत्री नहीं बनाया जा सकता था उन्हें झंडी वाली कार, चंडीगढ़ में सरकारी कार्यालय व कोठी आदि देने के लिए संसदीय सचिव बनाया जाता रहा है लेकिन इसे फायदे का पद मानने के मुद्दे पर लगी याचिका को आधार बनाकर पहले दिल्ली व फिर पंजाब में संसदीय सचिव बनाने पर रोक लग चुकी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली।
अब नई बनने वाली सरकार में संसदीय सचिव बनाने के लिए कांग्रेस व ‘आप’ द्वारा कानूनी राय ली जा रही है क्योंकि नियमों के मुताबिक विधानसभा में उठने वाले मुद्दों का जबाब तैयार करने के लिए मंत्री की मदद के तौर पर किसी विधायक को संसदीय सचिव बनाया जा सकता है लेकिन उसे फायदे के पद की कैटागरी से बाहर रखने के लिए सिर्फ विधायक की ही तनख्वाह देने का फार्मूला निकाला जा सकता है हालांकि पंजाब में जो पहले संसदीय सचिव रहे हैं उनका यही विवाद रहा है कि मंत्री के पास जो भी फाइल जाए वह उनके टेबल से होकर गुजरे।
कौन से हैं मंत्रालय
- गृह मंत्रालय
- एक्साइज एंड टैक्सेशन
- लोकल बॉडीज
- फाइनैंस एंड प्लानिंग
- इंडस्ट्री एंड ट्रेड
- हैल्थ एंड मैडीकल एजुकेशन
- ट्रांसपोर्ट
- राजस्व विभाग
- वन मंत्रालय
- लेबर विभाग
- लोक संपर्क विभाग
- जल सप्लाई एवं सैनीटेशन
- साइंस एंड टैक्नोलॉजी
- फूड एंड सप्लाई
- उपभोक्ता मामले
- रोजगार
- जेल
- शिक्षा, टैक्नीकल एजुकेशन
- पंचायत एवं ग्रामीण विकास
- पी.डब्ल्यू.डी.
- सिंचाई
- शहरी विकास विभाग
- कृषि मंत्रालय
- महिला एवं बाल विकास
- सामाजिक सुरक्षा
- बिजली
- पशु पालन एवं डेयरी
- पर्यटन एवं संस्कृति
- शिकायत निवारण एवं पैंशन