ठंड से बचने के लिए बस अड्डे व रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए कोई ठोस प्रबंध नहीं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Dec, 2017 09:03 AM

no concrete arrangement for passengers at railway station

उत्तर भारत में हुई 2 दिनों की बरसात के बाद जैसे ही ठंड का प्रकोप बढ़ा, लोगों ने गर्म कपड़े पहनने शुरू कर दिए। ठंड के कारण कश्मीर की प्रसिद्ध डल झील पूूरी तरह जम चुकी है। उत्तर भारत अब ठंड के प्रकोप के थपेड़े झेल रहा है। रोज तापमान में गिरावट दर्ज की...

संगरूर(बावा): उत्तर भारत में हुई 2 दिनों की बरसात के बाद जैसे ही ठंड का प्रकोप बढ़ा, लोगों ने गर्म कपड़े पहनने शुरू कर दिए। ठंड के कारण कश्मीर की प्रसिद्ध डल झील पूूरी तरह जम चुकी है। उत्तर भारत अब ठंड के प्रकोप के थपेड़े झेल रहा है। रोज तापमान में गिरावट दर्ज की जा रही है और शहर में अब ठंड ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

घरों, दुकानों और दफ्तरों में तो लोग ठंड से बचने के लिए कोई न कोई उपाय ढूंढ लेते हैं परंतु रोजाना कार्यों के लिए सफर करने वाले आम लोगों के लिए बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर अपने लिए बस या रेलगाड़ी की प्रतीक्षा करते यात्रियोंं के लिए सरकार और प्रशासन द्वारा कोई ऐसा प्रबंध नहीं किया जाता जिससे वह कड़ाके की सर्दी में अपने आप को बचा सकें। यह ठीक है कि प्रशासन और निगम के आला अफसर ने ठंड से आम यात्रियोंं को बचाने के लिए प्रयास शुरू कर दिया है। अस्थायी रैन बसेरे बनाए जा रहे हैं। संगरूर के रेलवे स्टेशन व बस अड्डे पर यात्रियोंं को ठंड से बचाने के कोई प्रयास नजर नहीं आ रहे हैं। 

1901 में यात्रियों के लिए बना विश्राम घर आज भी उसी हालात में
रियासती शहर संगरूर में 10 अप्रैल 1901 को अस्तित्व में आए रेलवे स्टेशन पर आज भी यात्रियों के लिए उस समय के बनाए यात्री विश्राम घर ही मौजूद हैं। यह विश्राम घर चाहे गर्मियों में रेलगाड़ी की प्रतीक्षा करने वाले यात्रियोंं के लिए सहायक सिद्ध हो सकते हैं क्योंकि ये विश्राम घर चारों ओर से खुले व हवादार हैं परंतु सर्दियों में इस विश्राम घर में रेलगाड़ी की प्रतीक्षा में बैठना मानो रेलवे प्लेटफार्म के बने शैड के नीचे बैठने के बराबर ही लगता है। करीब 4 वर्ष पहले उत्तर रेलवे ने संगरूर के रेलवे स्टेशन को आदर्श स्टेशन बनाने के लिए प्रयास किए थे।

आदर्श रेलवे का दर्जा प्राप्त संगरूर के रेलवे स्टेशन पर सिर्फ बरसात से बचने के लिए एक छोटा यात्री विश्राम घर है परंतु गाड़ी की प्रतीक्षा में बैठे लोगों को ठंडी हवाओं से बचाने के लिए कोई सहारा नहीं है। रेलवे स्टेशन पर कई लाख रुपए की लागत से बने शौचालय इसलिए बंद हैं क्योकिं इसका किसी ने ठेका नहीं लिया, जिससे यात्रियोंं को खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है। 

प्रबंध चाहे नहीं परन्तु ठंड दृढ़ इरादे भंग नहीं कर सकती : यात्री
हजूर साहिब की यात्रा के लिए संगरूर रेलवे स्टेशन पर अपनी गाड़ी की प्रतीक्षा कर रहा एक ग्रामीण परिवार जो ठंड से बचने के लिए धूप के सहारे के लिए बैठा था, का कहना है कि जहां वह जा रहे हैं वहां अभी भी गर्मी बहुत है लेकिन पंजाब में 2 दिनों की बरसात ने बहुत ठंड कर दी है।

रेलवे स्टेशन पर ठंड से बचने के लिए कोई स्थान नहीं है जहां बैठकर यात्री अपना समय व्यतीत कर सकें। उन्होंने कहा कि अभी उनकी गाड़ी आने में करीब 3 घंटे का समय बाकी है। रेलवे या कोई और ठंड से बचाने के लिए कोई साधन करे या न करे परन्तु उनका दृढ़ इरादा है वह परमात्मा के दर्शन करके ही वापस आएंगे। ठंड हमारे दृढ़ इरादे भंग नहीं कर सकती।

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