Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Aug, 2017 05:34 PM
नगर निगम के सस्पैंड चल रहे सुपरिंटैंडैंट इंजीनियरों को कोर्ट से राहत मिलने के मामले में एक पहलू यह भी सामने आया है कि उन्होंने सम्भावित
लुधियाना(हितेश): नगर निगम के सस्पैंड चल रहे सुपरिंटैंडैंट इंजीनियरों को कोर्ट से राहत मिलने के मामले में एक पहलू यह भी सामने आया है कि उन्होंने सम्भावित पुलिस कार्रवाई के डर से सिद्धू के फैसले को चुनौती देने का फैसला किया है।
यहां बताना उचित होगा कि अकाली-भाजपा के समय हुए हलका वाइज विकास कार्यों में सिंगल टैंडर अलॉटमैंट के आरोप में लोकल बॉडीज मंत्री नवजोत सिद्धू ने 4 सुपरिंटैडैंट इंजीनियरों को सस्पैंड कर दिया था। इस फैसले के बाद इंजीनियरों के अलावा बाकी नगर निगम मुलाजिमों ने भी यह कहकर सिद्धू के खिलाफ मोर्चा खोल दिया कि 2011 में सरकार ने ही ई-टैंडरिंग के तहत सिंगल टैंडर अलॉटमैंट के आदेश जारी किए हैं। इस विरोध के हड़ताल में तबदील होने पर विकास कार्यों के अलावा बुनियादी सुविधाएं भी ठप्प होने के डर से कांग्रेसी विधायकों द्वारा दखल दिया तो सिद्धू ने सस्पैंड किए अफसरों को निजी सुनवाई का मौका देने की हामी भरी।
लेकिन उन अफसरों द्वारा अपने बचाव के लिए हथियार बनाए सर्कुलर में कम्प्रेटिव व वाजिब रेट होने पर ही सिंगल टैंडर अलॉटमैंट बारे दर्ज पहलू ही उनके गले की फांस बन गया। क्योंकि जब काफी कम लैस पर हलका वाइज विकास कार्य करवाए जा रहे थे तो उसी नेचर के विकास कार्य ज्यादा लैस पर चल रहे थे। जिसे लेकर गाज गिरने के डर से उन अफसरों ने आंदोलन से पैर पीछे खींच लिए लेकिन सिद्धू चुप नहीं बैठे और उनके आरोपों पर एडवोकेट जनरल की मोहर लगने के बाद ज्यादा सक्रिय हो गए। क्योंकि ए.जी. ने किसी सर्कुलर के एक्ट से ऊपर न होने की बात कही और एफ. एंड सी.सी. या जनरल हाऊस की मंजूरी के बिना फंड खर्च करने के आरोप में पूर्व कमिश्नरों के खिलाफ भी चार्जशीट जारी करने की हरी झंडी दे दी।