Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Aug, 2017 01:21 PM
ऐतिहासिक जिला फिरोजपुर की मुदकी, फेरू शहर, सभरावां, सारागढ़ी और हुसैनीवाला स्थित स्मारकों को राष्ट्रीय स्मारकों का दर्जा मिलना चाहिए
फिरोजपुर (कुमार): ऐतिहासिक जिला फिरोजपुर की मुदकी, फेरू शहर, सभरावां, सारागढ़ी और हुसैनीवाला स्थित स्मारकों को राष्ट्रीय स्मारकों का दर्जा मिलना चाहिए और पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह को इस ओर विशेष ध्यान देकर लोगों की इस मांग को पूरा करना चहिए।
सेवामुक्त सीनियर आई.ए.एस. अधिकारी और शहीदों के दीवाने कुलबीर सिंह सिद्धू ने कहा कि हम हर साल 15 अगस्त को आजादी और 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाते हुए देशभक्ति की बातें तो करते हैं मगर शहीदों के संदेश और भावनाओं को युवा पीढ़ी तक नहीं पहुंचा पाते, जिस कारण हमारी युवा पीढ़ी को शहीदों की भावनाओं संबंधी पूरी जानकारी नहीं मिल पाती। उन्होंने बताया कि पहले मुदकी, फेरु शहर और सभरावां राष्ट्रीय स्मारक थे, जिन्हें 1963 में डी-नोटीफाइड कर दिया गया। वर्ष 2002 से 2007 तक जब कैप्टन अमरेंद्र सिंह पंजाब के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने इन शहीदी स्मारकों को राष्ट्रीय स्मारकों का दर्जा दिलवाने के लिए कार्रवाई शुरू करने संबंधी उन्हें जिम्मेदारी सौंपी थी और फिरोजपुर के डिप्टी कमिश्नर और कमिश्नर रहते समय उन्होंने बहुत मेहनत की और दिल्ली से आई टीम ने उनकी रिपोर्ट के साथ सहमति जताई थी कि मुदकी, फेरू शहर, सभरावां, सारागढ़ी स्मारक और हुसैनीवाला स्थित स्मारकों को राष्ट्रीय स्मारकों का दर्जा मिलना चाहिए।
सिद्धू ने बताया कि पंजाब में जब बादल सरकार सत्ता में आई तो वह उस प्रोजैक्ट को पूरा करवाने के लिए कई बार प्रकाश सिंह बादल से मिले और उन्होंने सेवामुक्त होने के बाद उन्हें कई चिट्ठियां भी लिखीं मगर उन्होंने इन स्मारकों को राष्ट्रीय स्मारकों का दर्जा दिलवाने को लेकर कभी दिलचस्पी नहीं दिखाई। शहीदों की वोटें नहीं होतीं शायद इसलिए प्रकाश सिंह बादल ने कभी भी दिलचस्पी नहीं दिखाई, जिस कारण आज तक इन स्मारकों को राष्ट्रीय स्मारकों का दर्जा नहीं मिल सका। सिद्धू ने कहा कि उनकी जिंदगी का एक ही उद्देश्य है कि कौमी विरासतों वाले इन स्मारकों को राष्ट्रीय स्मारकों का दर्जा दिलवाया जाए। पता नहीं क्यों इस बार ऐसा जुनून मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह में भी दिखाई नहीं दे रहा। उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह से अपील की है कि वह मुख्यमंत्री के साथ-साथ एक फौजी भी हैं और उन्हें इन कौमी विरासती स्मारकों के महत्व का पता है इसलिए उन्हें इन स्मारकों को राष्ट्रीय स्मारकों का दर्जा दिलवाने के लिए आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर इन स्मारकों को राष्ट्रीय स्मारकों का दर्जा मिलेगा तो यहां पर देश-विदेशों से लोग आया करेंगे और हुसैनीवाला भारत-पाक बार्डर खुलेगा, जिससे फिरोजपुर आर्थिक तौर पर खुशहाल और विकसित होगा। उन्होंने कहा कि इस काम के लिए वह 24 घंटे अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं।