लोकसभा में नेता पद के लिए मनीष तिवारी का नाम आगे!

Edited By Vatika,Updated: 27 May, 2019 11:19 AM

munish tiwari

लोकसभा में नेता पद के लिए इस समय पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी का नाम आगे चल रहा है। कांग्रेस के नवनिर्वाचित सांसदों की राय है कि राहुल गांधी या सोनिया गांधी को लोकसभा में नेता पद की भूमिका निभानी चाहिए परंतु समझा जा रहा है कि फिलहाल दोनों...

जालन्धर(धवन): लोकसभा में नेता पद के लिए इस समय पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी का नाम आगे चल रहा है। कांग्रेस के नवनिर्वाचित सांसदों की राय है कि राहुल गांधी या सोनिया गांधी को लोकसभा में नेता पद की भूमिका निभानी चाहिए परंतु समझा जा रहा है कि फिलहाल दोनों नेताओं द्वारा नेता पद की भूमिका संभालने से इंकार किया जा सकता है। 

2014 में भी जब कांग्रेस को पराजय का सामना करना पड़ा था तो तब न ही सोनिया गांधी और न ही राहुल गांधी ने लोकसभा में पार्टी नेता पद संभाला था। 2014 में कांग्रेस ने कर्नाटक से दलित नेता मल्लिकार्जुन खडग़े को पार्टी का नेता तथा कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को पार्टी का उपनेता नियुक्त किया था। बाद में कैप्टन पंजाब विधानसभा चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री बन गए। कांग्रेसी सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस इस समय ऐसे नेता को लोकसभा में पार्टी का प्रमुख बनाना चाहती है जिसे अंग्रेजी व हिंदी का अच्छी तरह ज्ञान हो। इस समय कांग्रेस के सांसद या तो केरल या पंजाब से अधिक संख्या में जीत कर आए हैं। केरल के सांसदों को हिंदी भाषा का पूरा ज्ञान नहीं है। 

सूत्रों ने बताया कि सांसद शशि थरूर का नाम भी नेता पद के लिए विचारा जा रहा है परंतु शशि थरूर का सुनंदा पुष्कर के मामले में कथित संलिप्तता को लेकर जो विवाद चल रहा है, उसे देखते हुए उनका नेता पद के लिए चयन मुश्किल दिखाई दे रहा है। वैसे तो शशि थरूर ने संयुक्त राष्ट्र तथा पार्टी में अनेकों पदों पर कार्य किया है। श्री आनंदपुर साहिब से कांग्रेस टिकट पर निर्वाचित हुए मनीष तिवारी भी लोकसभा में नेता पद के लिए फ्रंट रनर हो सकते हैं क्योंकि उन्हें अंग्रेजी व हिंदी दोनों भाषाओं का ज्ञान है। वह 2009 से 2014 के बीच केंद्रीय सूचना व प्रसारण मंत्री के पद पर रह चुके हैं। इस समय वह लुधियाना लोकसभा सीट से निर्वाचित हुए थे। मनीष तिवारी इस समय कांग्रेस के प्रवक्ता भी हैं। ङ्क्षहदी पर उनकी अच्छी पकड़ है। लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी प्रभावशाली हिंदी बोलने में माहिर हैं, इसलिए उनके मुकाबले प्रभावशाली हिंदी बोलने वाले व्यक्ति को नेता पद नियुक्त किया जा सकता है। खडग़े को चाहे पिछली बार लोकसभा में नेता पद दिया गया था परन्तु हिंदी भाषा पर उनकी पकड़ अच्छी नहीं थी।

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