स्टिंग सामने आने के बाद सांसद संतोख चौधरी परिवार का राजनीतिक करियर हाशिए पर

Edited By Anjna,Updated: 20 Mar, 2019 08:44 AM

mp santosh chaudhary

सांसद संतोख चौधरी के खिलाफ एक निजी चैनल द्वारा किए गए स्टिंग आप्रेशन ‘बिकाऊ सांसद’ ने कांग्रेसी गलियारों में तहलका मचा दिया है।

जालंधर (चोपड़ा): सांसद संतोख चौधरी के खिलाफ एक निजी चैनल द्वारा किए गए स्टिंग आप्रेशन ‘बिकाऊ सांसद’ ने कांग्रेसी गलियारों में तहलका मचा दिया है। सांसद चौधरी का स्टिंग आने से जहां लोकसभा चुनावों में सभी 13 सीटों पर जीत हासिल करने वाली कांग्रेस के लिए परेशानियां खड़ी हो गई हैं, वहीं सांसद चौधरी परिवार का राजनीतिक करियर भी हाशिए पर जाता दिखने लगा है। स्टिंग में हुए खुलासे के उपरांत जहां चौधरी विरोधियों की बांछें खिल गई हैं, वहीं उनके समर्थकों में भारी मायूसी छाई है। जालंधर के विजय नगर में स्थित सांसद चौधरी के घर में पूरी तरह से वीरानी छाई रही। राजनीतिक गलियारों में लोकसभा चुनावों को लेकर अब कई नई चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। कांग्रेस के सूत्रों की मानें तो सांसद चौधरी के 5 सालों के कार्यकाल को लेकर लगातार मिल रहे फीडबैक के बाद हाईकमान ने सिटिंग सांसद का हलका शिफ्ट करने का मन बनाया हुआ था। उन्हें जालंधर की बजाय होशियारपुर के चुनाव मैदान में भेजने की खासी चर्चाएं चल रही थीं, परंतु अब मौजूदा हालात सांसद चौधरी के खिलाफ जाने से कयास लगाए जा रहे हैं कि दिल्ली दरबार अब सांसद चौधरी की टिकट काटने का मन बना रहा है।
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उल्लेखनीय है कि सांसद की कार्यशैली को लेकर कांग्रेस हाईकमान को पहले से ही हलके से चौधरी विरोधी फीडबैक मिलता रहा है।इसी वजह से कांग्रेस आलाकमान ने सिटिंग सांसद होने के बावजूद हलके में कई सर्वे करवाए। पार्टी हाईकमान ने विभिन्न पर्यवेक्षक भेजे, जोकि सभी 9 विधानसभा हलकों के विधायकों, कांग्रेस नेताओं, कार्यकत्र्ताओं व आम-जनसाधारण से मिले और सांसद चौधरी के 5 सालों के कामों को लेकर उनका फीडबैक लिया। बीते दिन निजी चैनल द्वारा दिखाए जा रहे खुफिया कैमरे से हुए स्टिंग में सांसद चौधरी से बातचीत के दौरान जिस प्रकार अगली सरकार यू.पी.ए. की बनने, हमें पैसा दो, हम फेवर करेंगे, नोटबंदी के उपरांत नकदी की किल्लत व गैर-कानूनी फंडिंग के लिए सहमति देने जैसी बातें सामने आई हैं, उनसे कांग्रेस आलाकमान की भौहें तन गई हैं। दिल्ली के कांग्रेस के पुष्ट सूत्रों की मानें तो ऑल इंडिया कांग्रेस के प्रधान राहुल गांधी ने इस प्रकरण पर सांसद चौधरी को तलब कर लिया है और उनके पक्ष से संतुष्ट न होने पर सांसद चौधरी के खिलाफ पार्टी द्वारा कड़ा स्टैंड लेने के भी आसार बन गए हैं।

अगर ऐसा होता है तो सांसद चौधरी का परिवार राजनीतिक हाशिए पर पहुंच जाएगा, क्योंकि सांसद चौधरी के पुत्र विक्रमजीत सिंह चौधरी को उस समय फिल्लौर विधानसभा हलके में हार का सामना करना पड़ा था, जब समूचे राज्य में कांग्रेस की लहर चल रही थी। सांसद चौधरी अपने लोकसभा हलके में ही अपने पुत्र को जीत नहीं दिला पाए थे। उल्लेखनीय है कि फिल्लौर हलके से चौधरी परिवार की यह लगातार तीसरी हार थी, जिसके उपरांत 2022 के चुनावों में चौधरी परिवार को दोबारा टिकट मिलने पर सवालिया निशान लगे हुए थे, परंतु अगर सांसद चौधरी को लोकसभा चुनावों में टिकट नसीब न हुई तो फिल्लौर हलका भी चौधरी परिवार के हाथों से रेत की भांति फिसल जाएगा।
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राहुल गांधी के 0 प्रतिशत टॉलरेट न करने के कथन से ही राणा गुरजीत इस्तीफा देने को हुए थे मजबूर
ऑल इंडिया कांग्रेस के प्रधान राहुल गांधी ने अपना पदभार संभालने के दौरान भ्रष्टाचार को 0 प्रतिशत टॉलरेट न करने का बयान दिया था। अपने कथन को साकार करने और भ्रष्टाचार को कतई बर्दाश्त न करने का कड़ा संदेश देते हुए माइनिंग मामले में फंसे मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के खासमखास पंजाब के कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था, जबकि मुख्यमंत्री द्वारा बिठाई जांच कमेटी ने राणा गुरजीत को क्लीन चिट दे दी थी। अब राहुल गांधी के लिए भी सांसद चौधरी के खिलाफ सख्त एक्शन लेना एक मजबूरी हो जाएगी, क्योंकि एक तो लोकसभा चुनावों का दौर शुरू हो चुका है और पार्टी इस मामले को दबा कर कोई रिस्क नहीं लेना चाहेगी।
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सांसद चौधरी को प्रदेश प्रधान बनाने की चर्चा भी कैप्टन अमरेन्द्र की आंखों में बनी हुई है किरकिरी
पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रधान प्रताप सिंह बाजवा के कार्यकाल के दौरान कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने प्रधानगी पद हासिल करने को लेकर पंजाब भर में एक मुहिम शुरू कर रखी थी, जिसको लेकर कांग्रेस विधायकों के एक बड़े दल ने कैप्टन को प्रधान बनाने की खुल कर वकालत की थी। उस समय प्रदेश कांग्रेस के समानांतर रैलियां कर कैप्टन गुट ने कांग्रेस हाईकमान को धमकाया तक था कि अगर प्रताप बाजवा को हटाकर कै. अमरेन्द्र के हाथों कांग्रेस की कमान न सौंपी गई तो कांग्रेस विधायक व उनके समर्थक नेता अलग पार्टी बना लेंगे। बाजवा व कैप्टन की लड़ाई के इसी दौर में बहती गंगा में हाथ धोने के प्रयास में सांसद संतोख चौधरी का नाम भी खासी चर्चाओं में आया था। पंजाब कांग्रेस का प्रधान दलित सांसद संतोख चौधरी को बनाने को लेकर भी खासी लॉबिंग शुरू की गई थी, परंतु दिल्ली दरबार में शुरू हुए प्रयास सिरे नहीं चढ़ सके थे। कांग्रेस सूत्रों की मानें तो कै. अमरेन्द्र के मुकाबले खुद प्रधानगी पद पाने के प्रयासों के चलते ही सांसद चौधरी आज तक मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की आंखों की किरकिरी बने हुए हैं। यही एक बड़ा कारण है कि मुख्यमंत्री वैस्ट हलके के विधायक व दलित नेता सुशील रिंकू को ज्यादा तवज्जो दे रहे हैं।

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