Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 01:39 PM
पिछले एक माह में जनकपुरी अग्निकांड तीसरी बड़ी घटना है जहां बहुमंजिला इमारत बनी हुई थी वहां कई वर्कर उसमें काम कर रहे थे। आग कैसे लगी और फैक्टरी में आग बुझाने के लिए पर्याप्त उपकरण थे या नहीं जांच के बाद सामने आएगा, लेकिन शहर के कई भीतरी इलाकों गांधी...
लुधियाना(महेश): पिछले एक माह में जनकपुरी अग्निकांड तीसरी बड़ी घटना है जहां बहुमंजिला इमारत बनी हुई थी वहां कई वर्कर उसमें काम कर रहे थे। आग कैसे लगी और फैक्टरी में आग बुझाने के लिए पर्याप्त उपकरण थे या नहीं जांच के बाद सामने आएगा, लेकिन शहर के कई भीतरी इलाकों गांधी नगर, चौड़ा बाजार, माधोपुरी, बाजवा नगर, गुड़मंडी, अकालगढ़ मार्कीट व उसके आसपास लगते इलाकों में बहुमंजिला इमारतें बनी हुई हैं, अव्वल तो जिनमें फायर के उपकरण हैं ही नहीं अगर हैं भी तो वे सिर्फ दिखावा मात्र हैं वहीं इमारतों का ढांचा भी बहुत ज्यादा सुरक्षित नहीं है।
सैंकड़ों लोगों की भीड़ इन इलाकों में काम करती है। अगर इनमें कोई अग्निकांड हो जाता है तो बहुत भारी जान-माल का नुक्सान होगा। कई इलाकों में फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां पहुंच ही नहीं सकतीं। गांधी नगर, अकालगढ़, गुड़मंडी, दाल बाजार इत्यादि मार्कीटों में अधिकतर दुकानदारों ने अपनी-अपनी दुकानों के आगे माल सजाकर सड़कों व रास्तों पर अतिक्रमण रखा है। कई बार तो भीड़ के कारण पैदल निकलना मुश्किल हो जाता है।
वहीं बाबा थान सिंह चौक से समराला चौक के अंतर्गत आते कई इलाकों में लोगों ने सड़कों पर अवैध रूप से लोहे व कंक्रीट के गार्डर लगा रखे हैं। कई कालोनियों में तो गेट भी लगे हुए हैं। अगर इन इलाकों में आग लग गई तो वह फायर ब्रिगेड के भारी वाहन गार्डर अंदर नहीं जा सकते हैं और न ही जल्दी गेट खुल सकते हैं। ऐसे अवैध गेट सरकार द्वारा घोषित की गई रिहायशी कालोनियों में भी लगे हुए हैं, जो कई दिनों तक खोले नहीं जाते। चंडीगढ़ रोड, सिविल लाइन, ऊधम सिंह नगर, हैबोवाल इत्यादि इलाकों में रहने वाले कई इलाका निवासियों का तर्क है कि ऐसा घर और घर के बाहर खड़ी होने वाली गाडिय़ों की सुरक्षा के लिए किया गया है। इस संबंध में नगर निगम, ग्लाडा और प्रशासन आंखें मूंदे बैठे हैं।