मौत का प्रदूषणः कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी बांटता नाला

Edited By Vatika,Updated: 16 Jul, 2018 12:33 PM

ludhiana budha nala

कैंसर का नाम सुनते ही इंसान की आंखों के सामने मौत का मंजर मंडराने लगता है। इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। इस बीमारी को फैलाने में नगर निगम लुधियाना, ड्रेनेज विभाग, पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और डाइंग इंडस्ट्री...

लुधियाना(नितिन धीमान): कैंसर का नाम सुनते ही इंसान की आंखों के सामने मौत का मंजर मंडराने लगता है। इस बीमारी से मरने वाले लोगों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। इस बीमारी को फैलाने में नगर निगम लुधियाना, ड्रेनेज विभाग, पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड और डाइंग इंडस्ट्री जिम्मेदार हैं।
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इन सभी ने चंद रुपए कमाने के चक्कर में अपनों को ही कैंसर जैसी बीमारी मुफ्त में दे दी है। बुड्ढे नाले में उद्योगों की तरफ से इतना जहर घोला जा रहा है कि अब इस नाले ने भी कैंसर जैसी नामुराद बीमारी उगलनी शुरू कर दी है जोकि एक गम्भीर ङ्क्षचता का विषय है। शहर के कई लोग इस बीमारी की चपेट में आ चुके हैं। अगर समय रहते इन बड़े-बड़े उद्योगपतियों ने अपनी गलती को न सुधारा तो वह समय दूर नहीं होगा जब इस औद्योगिक नगरी को  ‘कैंसर नगरी’ के नाम से पुकारा जाने लगेगा। मालवा और माझा बैल्ट में हजारों लोग कैंसर से पीड़ित हैं जिसके लिए भी लुधियाना का यह बुड्ढा नाला ही जिम्मेदार है क्योंकि यह नाला शहर के बीचों-बीच से होता हुआ बलीपुर प्वाइंट पर जाकर सतलुज के साथ मिलता है जिसके बाद आगे जाकर मालवा में पड़ते हरिके पत्तन से होते हुए राजस्थान को निकल जाता है। इस तरह यह बुड्ढा नाला मालवा बैल्ट को कैंसर जैसी बीमारी बांटता हुआ आगे निकलता है।

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यूं तो कई तरह के कैंसर के मरीज हैं जिसमें ब्रैस्ट कैंसर, माऊथ कैंसर, बोन कैंसर, फेफड़ों का कैंसर प्रमुख हैं। लेकिन इनके अलावा माझा और मालवा में जहरीले पानी की वजह से कैंसर के मरीजों की तादाद बढ़ रही है। पंजाब सरकार ने 2012 में  डोर-टू-डोर 2,64,84,434 लोगों पर एक सर्वे करवाया। इसमें 84,453 लोगों में कैंसर के लक्षण पाए गए। इनमें से 2&,874 लोग कैंसर के दूसरे चरण में थे और 33,318 लोगों की मौत कैंसर की वजह से होना पाया गया। उस वक्त 1 लाख की जनसंख्या पर करीब 84 लोग कैंसर के मरीज पाए गए थे जिनकी संख्या बढ़कर अब 136 हो गई है। यह सारा डाटा पंजाब सरकार का है। इन आंकड़ों के बाद सरकार ने मुख्यमंत्री पंजाब कैंसर राहत कोष स्कीम शुरू की जिसके तहत कैंसर के मरीज को सरकार की ओर से 1.50 लाख रुपए की आर्थिक मदद की जा रही है। सवाल है कि क्या 1.50 लाख रुपए में कैंसर का इलाज हो पाता है?उल्लेखनीय है कि पंजाब केसरी की तरफ से बुड्ढे नाले के प्रदूषण को खत्म करने के लिए शुरू की गई मुहिम का यह दूसरा भाग प्रकाशित किया जा रहा है, जबकि इसका पहला भाग गत सोमवार को प्रकाशित किया जा चुका है। 

                      लुधियाना में कैंसर के मरीजों की संख्या

वर्ष  नंबर ऑफ  केस
2012  622
2013 520
2014  888
2015  809
2016 670
2017 842
2018  345 

 

जनवरी से जून 2018 तक का डाटा है।
ध्यान रहे कि यह डाटा सरकारी अस्पताल से लिया गया है। निजी अस्पतालों में कितने मरीज हैं उनकी अभी कोई जानकारी नहीं है। पंजाब में 9 सरकारी और 9 ही निजी अस्पताल हैं जहां कैंसर का इलाज होता है।

फोन नहीं उठाते चेयरमैन पन्नू
प्रदूषण बोर्ड के चेयरमैन काहन सिंह पन्नू से जब इस बारे में बात करनी चाही तो उन्होंने फोन रिसीव नहीं किया। 

बुड्ढे नाले को प्रदूषित करवाने में प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों का हाथ: मेयर
इस संबंध में जब पंजाब केसरी टीम ने लुधियाना नगर निगम के मेयर बलकार सिंह संधू से बात की तो उन्होंने कहा कि निगम का खजाना खाली है। वह बुड्ढे नाले को साफ  करने के लिए कहां से पैसा लाएं। मैं मानता हूं कि आज तक जो भी प्रोजैक्ट बने सब फेल रहे। अब मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह खुद इस प्रोजैक्ट के लिए डी.पी.आर. तैयार करवा रहे हैं ताकि केंद्र से 900 करोड़ की ग्रांट मिल सके। मेयर ने कहा कि बुड्ढे नाले को प्रदूषित करवाने में पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों का बहुत बड़ा हाथ है। अफसर पैसे लेकर डाइंग यूनिटों को जहरीला पानी नाले में सीधा फैंकने की इजाजत दे रहे हैं।

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बुड्ढे नाले की सफाई का बजट जा रहा अफसरों की जेब में
बुड्ढे नाले की सफाई का बजट अफसरों की जेब में ही जा रहा है। बजट बढ़ रहा है परन्तु नाला उतना ही गंदा और जगह-जगह से जाम होता जा रहा है। दिखावे के लिए ड्रेन लाइन की 5 मशीनें लगाई गई हैं जो पिछले एक साल से बंद पड़ी हैं। ये मशीनें 1979 माडल की हैं जो चलने में सक्षम भी नहीं हैं। इस बारे में जब ड्रेनेज विभाग के एक्स.ई.एन. आर. कलसी से पूछा गया तो उन्होंने खुद माना कि मशीनें चलने लायक नहीं हैं पर नई मशीनें खरीदने के लिए सरकार की कोई योजना नहीं है। जब उनसे पूछा गया कि बुड्ढे नाले की सफाई तो हो नहीं रही फिर सफाई के लिए आया पैसा कहां जा रहा है तो वह इसका कोई जवाब नहीं दे पाए। दूसरी ओर नगर निगम के बुड्ढे नाले की सफाई के लिए नियुक्त नोडल आफिसर नछत्तर सिंह से जब पूछा गया कि बुड्ढे नाले की सफाई हो नहीं रही और नगर निगम बिना जांच के ड्रेनेज विभाग को सफाई का पैसा कैसे दे रहा है तो यह बात सुनकर उनकी भी जुबान लडख़ड़ाने लगी और उन्होंने केवल यह कह कर पीछा छुड़ाया कि हम जांच करते हैं और फिर पैसा देते हैं।
 

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