लोकसभा चुनाव के बाद भी चुनावी मोड पर रह सकता है पंजाब

Edited By Mohit,Updated: 24 Apr, 2019 03:13 PM

lok sabha election

पंजाब में लोकसभा चुनाव अंतिम दौर में होने की वजह से लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है हालांकि यह इंतजार 19 मई को खत्म हो जाएगा लेकिन जिस तरह लोकसभा चुनाव के दौरान विभिन्न पार्टियों की तरफ से 8 मौजूदा विधायक भी..........

चंडीगढ़ः पंजाब में लोकसभा चुनाव अंतिम दौर में होने की वजह से लोगों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है हालांकि यह इंतजार 19 मई को खत्म हो जाएगा लेकिन जिस तरह लोकसभा चुनाव के दौरान विभिन्न पार्टियों की तरफ से 8 मौजूदा विधायक भी मैदान में उतरे हैं, उनमें से किसी विधायक के जीतने की सूरत में लोकसभा चुनाव के बाद पंजाब में किसी सीट पर विधानसभा के उपचुनाव होने का माहौल देखने को मिल सकता है।

यह है सरकार के खिलाफ उपचुनाव जीतने का रिकॉर्ड
आम तौर पर सरकार से संबंधित उम्मीदवार के ही विधानसभा उपचुनाव जीतने का रिकॉर्ड रहा है क्योंकि सरकार के सारे मंत्री व विधायकों सहित हर छोटा-बड़ा लीडर अपनी ताकत झोंक देता है लेकिन बेअंत सिंह की सरकार के समय अजनाला व गिद्दड़बाहा में हुए उपचुनाव के दौरान कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा था जिसके तहत रतन सिंह अजनाला व मनप्रीत बादल ने सरकार के खिलाफ अकाली दल की तरफ से जीतने का रिकॉर्ड बनाया था। इसके अलावा अकाली सरकार के समय आदमपुर व पटियाला में हुए उपचुनाव जीतने का रिकॉर्ड कंवलजीत सिंह लाली व परनीत कौर के नाम है।

अकाली दल ने नहीं लिया ज्यादा रिस्क 
मौजूदा विधायकों को लोकसभा चुनाव लड़वाने के मामले में अकाली दल ने ज्यादा रिस्क नहीं लिया है। इसके तहत पिछली बार चुनाव लडऩे वाले या मजबूत स्थिति वाले विधायकों को मैदान में नहीं उतारा गया है। इनमें बिक्रम मजीठिया, शरणजीत ढिल्लों, पवन टीनू के नाम शामिल हैं। इसकी वजह यह है कि अकाली दल के पास विधायकों की संख्या पहले ही काफी कम है और उपचुनाव की स्थिति में सरकार के साथ मुकाबले के दौरान अकाली दल इन सीटों को कम नहीं करना चाहता है। हालांकि 2 सीटों पर अकाली दल के विधायक चुनाव लड़ रहे हैं जिनमें से परमिंदर ढींडसा को उनके पिता सुखदेव ढींडसा द्वारा चुनाव लडऩे से इंकार करने की वजह से मजबूरी में टिकट दी गई है। इसी तरह पंजाब में अकाली दल की कमजोर हालत के मद्देनजर जीत का आंकड़ा बढ़ाने के लिए सुखबीर बादल खुद मैदान में उतरे हैं।

बठिंडा सीट पर किस्मत आजमा रहे हैं सबसे ज्यादा विधायक
इस चुनाव में दिलचस्प पहलू यह भी है कि सबसे ज्यादा विधायक बठिंडा सीट पर किस्मत आजमा रहे हैं जो तीनों ही प्रमुख सियासी पार्टियों के साथ संबंध रखने वाले हैं। उनका मुकाबला अकाली दल की तरफ से उम्मीदवार बनाई गई बादल परिवार की बहू व केंद्र में मंत्री हरसिमरत कौर बादल के साथ होने जा रहा है।

मुल्लांपुर सीट को लेकर स्पीकर के फैसले पर भी है नजर
हालांकि पंजाब में लोकसभा चुनाव से पहले या साथ ही विधानसभा के उपचुनाव का माहौल देखने को मिल सकता था लेकिन मुल्लांपुर से आम आदमी पार्टी के विधायक एच.एस. फूलका के इस्तीफे पर स्पीकर द्वारा अब तक फैसला नहीं लिया गया। अनुमान लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के बाद फूलका के इस्तीफे को स्वीकार करने बारे कोई फैसला किया जा सकता है। 

2014 में कैप्टन ने विधायक रहते हुए जेतली के खिलाफ लड़कर जीता था चुनाव
अगर मौजूदा विधायकों द्वारा चुनाव लडऩे के बाद जीतने के इतिहास पर नजर दौड़ाई जाए तो सबसे ताजा मामला कैप्टन अमरेंद्र सिंह के साथ जुड़ा हुआ है जिन्होंने पटियाला से विधायक रहते हुए 2014 के लोकसभा चुनाव में अमृतसर से अरुण जेतली के खिलाफ चुनाव लड़ा था। इस दौरान कैप्टन को जीत हासिल हुई थी लेकिन उनकी पत्नी परनीत कौर को पटियाला में आम आदमी पार्टी के धर्मवीर गांधी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। हालांकि उस समय कैप्टन द्वारा इस्तीफा देने पर खाली हुई पटियाला की सीट पर हुए उपचुनाव में परनीत कौर ने जीत हासिल की थी।

कांग्रेस के ये मौजूदा विधायक भी मांग रहे थे टिकट
लराणा सोढी, सुशील रिंकू, सुरजीत सिंह धीमान, काका रणदीप सिंह, कुलदीप सिंह वैद, राकेश पांडे, गुरप्रीत सिंह जी.पी., लखबीर सिंह लक्खा, राज कुमार वेरका, पवन आद्या, राणा गुरजीत सिंह, रमनजीत सिक्की, कुलबीर जीरा। 

2014 में इन विधायकों ने लड़ा था चुनाव, लेकिन नहीं मिली सफलता
पवन टीनू, अकाली दल, जालंधर
सुनील जाखड़, कांग्रेस, फिरोजपुर
साधु सिंह धर्मसोत, कांग्रेस, फतेहगढ़ साहिब
जोगिंदर सिंह पंजगराईं, कांग्रेस, फरीदकोट
सिमरजीत बैंस, आजाद, लुधियाना
मनप्रीत अयाली, अकाली दल, लुधियाना 

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