मेनिफेस्टो के वादे पूरे करने के लिए कानून बने: बादल

Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Jan, 2018 11:25 PM

laws to fulfill manifesto promises badal

पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव से पूर्व जनता के साथ किए जाने वाले वायदों के दस्तावेज यानी चुनाव घोषणा पत्र को लेकर कानून बनना चाहिए और जो पार्टी मैनीफैस्टो में किए गए वायदों को पूरा न करे उसके खिलाफ...

जालंधर: पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि राजनीतिक दलों द्वारा चुनाव से पूर्व जनता के साथ किए जाने वाले वायदों के दस्तावेज यानी चुनाव घोषणा पत्र को लेकर कानून बनना चाहिए और जो पार्टी मैनीफैस्टो में किए गए वायदों को पूरा न करे उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

पंजाब केसरी के संवाददाता रमनदीप सिंह सोढी के साथ विशेष इंटरव्यू दौरान बादल ने पंजाब की अर्थव्यवस्था, कैप्टन सरकार की कार्यशैली, एन.डी.ए. गठबंधन के अलावा कई राजनीतिक मुद्दों पर बेबाक राय रखी। पेश है प्रकाश सिंह बादल का पूरा इंटरव्यू-

प्रश्न: बतौर विपक्ष आप पंजाब सरकार की कार्यशैली को किस तरह देखते हैं?
उत्तर: कार्यशैली कैसी। कांग्रेस सरकार झूठ का पुलिंदा है। उसने चुनाव से पहले ऐसा लुभावना मैनीफैस्टो बनाया कि लोग झांसे में आ गए। उसे भी पता था कि हर घर में नौकरी नहीं दी जा सकती लेकिन फिर भी नौकरी देने के फार्म भरवाए गए। किसानों का कर्ज माफ नहीं किया गया। पैंशन और आटा-दाल स्कीम बंद कर दी गई। उसने आटा-दाल के साथ चाय व चीनी देने का भी वायदा किया था लेकिन एक भी वायदा पूरा नहीं किया। उसका जनता के साथ किए वायदों पर ध्यान नहीं है क्योंकि उसने 5 साल राज करना है और यह बात उसे भी पता है कि यह दोबारा नहीं आएंगे। 

प्रश्न: क्या आपकी नजर में मौजूदा पंजाब सरकार ने कोई अच्छा काम किया है?
उत्तर: एक भी ऐसा काम नहीं जिस पर खुश हुआ जाए। लोगों की पैंशन बंद कर दी। गरीबों के साथ जुड़ी सारी योजनाएं बंद हैं। उनके साथ नाइंसाफी हो रही है। हमने गरीबों के साथ जुड़ी योजनाओं को लेकर कभी देरी नहीं की थी। कांग्रेस ने सारी योजनाएं रोक दीं। 

प्रश्न: क्या सरकार की नीति खराब है या नीयत?
उत्तर: सरकार चलाना कठिन काम है। समझदार आदमी चला लेता है। यह नियम परिवार पर भी लागू होता है। यदि परिवार का मुखिया समझदार हो तो परिवार तरक्की करता है नहीं तो परिवार बिखर जाता है। हमने पंजाब के विकास के लिए नीतियां बनाईं। शहरों का विकास किया, यादगारें बनवाईं। अमृतसर साहिब और आनंदपुर साहिब जैसे ऐतिहासिक शहरों में काम करवाए। इन यादगारों के कारण नई पीढ़ी इतिहास से जुड़ेगी और उन्हें अपने गुरुओं की कुर्बानियों से शिक्षा मिलेगी। नई पीढ़ी को इतिहास से जोडऩा जरूरी है। 

प्रश्न: चुनाव में तीसरे नंबर पर आने पर क्या मंथन किया?
उत्तर: कांग्रेस ने लोगों को झूठे वायदों से लुभा लिया। आदमी कई बार व्यक्तिगत फायदा सोच लेता है। कांग्रेस के वायदे लुभावने थे लेकिन लोगों को भी पता है कि ये पूरे नहीं होंगे। मैं तो कहता हूं कि एक ऐसा कानून होना चाहिए कि कोई पार्टी ऐसे झूठे वायदों का मैनीफैस्टो न बना सके और मैनीफैस्टों में किए गए वायदों को पूरे करने की बाध्यता होनी चाहिए। 

प्रश्न: सरकार द्वारा बनाए गए वैंडेटा कमीशन से क्या आपको इंसाफ की उम्मीद है?
उत्तर: इस कमीशन से इंसाफ की उम्मीद नहीं है क्योंकि कमीशन में वे जज लगाए गए हैं जो कांग्रेस की सोच वाले हैं। हालांकि मैं न्यायपालिका का सम्मान करता हूं लेकिन यह भी एक तथ्य है कि इनमें से एक जज के घर मोगा उप-चुनाव के दौरान कैप्टन पूरा एक महीना रुके थे और यह कांग्रेस के वर्कर की तरह रहे। हमने इस कमीशन का बहिष्कार किया है। 

प्रश्न: देश में मौजूदा किसानी संकट का समाधान क्या है?
उत्तर: स्वामीनाथन कमीशन की रिपोर्ट लागू की जानी चाहिए। इसे लागू करने पर ही किसानों को फसल का उचित दाम मिल सकता है। यह समस्या बहुत बड़ी है। किसान फसली चक्र से नहीं निकल पा रहा और गेहूं व धान में फंसा हुआ है। किसान वही फसल बीजता है जिसे सरकार खरीद लेती है। अब मक्की और सूरजमुखी जैसी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तो तय किया गया है लेकिन इनकी खरीद नहीं होती। किसान किसानी बंद नहीं कर सकता और उसे अपना खेत घाटा खाकर भी जोतना ही पड़ता है। 

प्रश्न: नरेश गुजराल के सरकार पर किसानी को नजरअंदाज करने के आरोप पर आप क्या कहेंगे?
उत्तर: मैं इस विवाद में नहीं पडऩा चाहता। 

प्रश्न: सियासतदान के तौर पर आप सुखबीर को कहां देखते हैं?
उत्तर: अब उसे सारी चीजें समझ आ गई हैं। उसे पता चल गया है कि क्या करना है और क्या नहीं। प्रधानगी कैसे चलानी है। अब वह सियासत में परफैक्ट होता जा रहा है। 

प्रश्न: क्या 2022 में आप अकाली दल का चेहरा होंगे? 
उत्तर: पार्टी का चेहरा पार्टी तय करती है। मैं कैसे कर सकता हूं। जब चुनाव होगा तो विधायक ही अपना नेता चुनेंगे। 

प्रश्न: भाजपा के साथ गठबंधन टूटने की अटकलें कहां तक सही हैं?
उत्तर: ऐसी बात नहीं है। परिवार में भी झगड़ा होता रहता है लेकिन परिवार टूटते नहीं। यह गठबंधन पक्का है और यह नहीं टूटेगा। परिवार में नाराजगी हो तो एक-दूसरे को मना लिया जाता है। 

प्रश्न: ट्रैक्टर को व्यावसायिक वाहनों की श्रेणी से निकालने के फैसले को कैसे देखते हैं?
उत्तर: यह कोई राहत नहीं हुई। ट्रैक्टर पहले भी व्यावसायिक श्रेणी में नहीं था। यह तो पहले वाला फैसला ही लागू हुआ है। 

हिन्दू नेताओं की हत्याओं पर एस.आई.टी. हमने बनाई, क्रैडिट कैप्टन ले गए
हिन्दू नेताओं की हत्या का मामला अमरेन्द्र के किसी स्पैशल फार्मूले से नहीं सुलझा। यह वही स्पैशल इन्वैस्टीगेशन टीम है जो हमने गठित की थी। कई मामले बहुत कठिन होते हैं जिनकी जांच में वक्त लगता है। हमारी सरकार ने जांच टीम बिठाई। नतीजा इनकी सरकार में आया। इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। रही बात किसानों के कर्ज वाली तो किसानों पर 3 तरह का कर्ज है। पहला कर्ज किसान आढ़ती से लेता है, दूसरा कर्ज बड़े बैंक वाला कर्ज है और तीसरा कर्ज को-आप्रेटिव बैंक का कर्ज है। सारे कर्ज माफ नहीं किए गए। कुछ किसानों का कर्ज माफ किया जा रहा है। को-आप्रेटिव वाला तो कर्ज माना ही नहीं जाता। यह एक सीजन में लेकर दूसरे सीजन में वापस कर दिया जाता है। 

खजाना कभी खाली नहीं होता, कांग्रेस बहाने बना रही है
खजाने की परिभाषा क्या है। यह कौन-सा राजशाही है। लोकतंत्र का राज चल रहा है। हर साल सरकार बजट पेश करती है जिसमें खर्च और आमदन का पूरा ब्यौरा होता है। यह एक खुली किताब है और इस पर सदन में बहस के बाद मंजूरी मिलती है। लिहाजा ऐसे आरोप अपनी नाकामी से बचने के लिए लगाए जाते हैं। यदि उसे पता था कि खजाना खाली है तो इतने सारे वायदे क्यों किए। खाली खजाने के साथ वायदे पूरे नहीं हो सकते थे, फिर लोगों को धोखे में क्यों रखा। ये लोग अपनी नाकामी छुपा रहे हैं और खजाना खाली होने की दुहाई देकर सफाई दे रहे हैं। 

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