श्वेतपत्र में पंजाब पर चढ़े भारी भरकम कर्जों का होगा जिक्र

Edited By Updated: 20 Mar, 2017 05:24 PM

in the white paper  there will be huge debt on punjab

पंजाब विधानसभा के 24 मार्च से शुरू होने जा रहे अमरेन्द्र सरकार के पहले सत्र में श्वेतपत्र पेश करके पंजाब पर चढ़े भारी भरकम कर्जों का जिक्र किया जाएगा। राज्य पर इस समय कुल कर्जा 1.82 लाख करोड़ चढ़ चुका है। इसमें से लगभग 1 लाख करोड़ रुपयों पर सरकार 9...

जालंधर(धवन): पंजाब विधानसभा के 24 मार्च से शुरू होने जा रहे अमरेन्द्र सरकार के पहले सत्र में श्वेतपत्र पेश करके पंजाब पर चढ़े भारी भरकम कर्जों का जिक्र किया जाएगा। राज्य पर इस समय कुल कर्जा 1.82 लाख करोड़ चढ़ चुका है। इसमें से लगभग 1 लाख करोड़ रुपयों पर सरकार 9 प्रतिशत ब्याज अदा कर रही है। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने वित्त विभाग को कहा है कि वह विधानसभा सत्र में श्वेतपत्र पेश करते समय बताए कि किस तरह पंजाब को कर्जों के जाल में पूर्व अकाली सरकार द्वारा फंसाया गया।

बताया जाता है कि श्वेतपत्र में कांग्रेस सरकार द्वारा जनता को बताया जाएगा कि जब कैप्टन अमरेन्द्र सिंह 2002 से 2007 तक मुख्यमंत्री रहे, उस समय पंजाब पर नामात्र कर्जा चढ़ा हुआ था तथा रा'य की आर्थिक हालत भी काफी अ'छी थी। 2007 से 2017 तक रा'य में अकाली भाजपा गठबंधन सरकार सत्ता में रही तो इस दौरान पंजाब पर कर्जों की मात्रा लगातार बढ़ती चली गई। यह कर्जा पहले 1 लाख करोड़ तक पहुंचा तथा फिर धीरे धीरे बढ़कर 1.82 लाख करोड़ तक पहुचं गया।

इस समय इन कर्जों पर रा'य सरकार को भारी भरकम ब्याज व किस्तें अदा करनी पड़ रही हैं, जिस कारण विकास कार्यों के लिए बहुत कम राशि शेष बचती है। कैप्टन अमरेन्द्र सिंह जब विपक्ष में थे तो वह बार बार अकाली सरकार द्वारा लिए जा रहे कर्जों को लेकर सवाल उठा रहे थे। कैप्टन ने हमेशा यही दलील दी कि आर्थिक स्थिति को संभालने की जरूरत है, तभी पंजाब आगे बढ़ सकेगा। इसीलिए उन्होंने श्वेतपत्र जारी करवाने का निर्णय लिया।

श्वेतपत्र वित्त मंत्री मनप्रीत बादल द्वारा विधानसभा में पेश किया जाना है। श्वेतपत्र की मार्फत कांग्रेस द्वारा विधानसभा में पूर्व अकाली सरकार को घेरे में लिया जाएगा। पंजाब की आर्थिक स्थिति की तस्वीर जनता के सामने पेश होगी। विधानसभा सत्र में सरकार द्वारा वोट आन अकाऊंट ही पेश किया जाएगा। रैगुलर बजट तो जून महीने में होने वाले बजट सत्र के दौरान ही पेश होगा। कुल मिलाकर विधानसभा सत्र के माध्यम से कांग्रेस सरकार द्वारा 3 माह के सरकारी खर्चे चलाने के लिए विधानसभा की अनुमति ली जाएगी।

 
 

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