कार और बाल्टी की भिडंत में ट्रैक्टर ने बिगाड़ा ‘खेल’

Edited By Updated: 28 Feb, 2017 01:52 AM

in a clash between car and tractor bucket spoiled sport

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डी.एस.जी.एम.सी.) के चुनाव में ‘बाल्टी’ चुनाव....

दिल्ली/चंडीगढ़: दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डी.एस.जी.एम.सी.) के चुनाव में ‘बाल्टी’ चुनाव निशान पर शिरोमणि अकाली दल (शिअद-बादल) और ‘कार’ चुनाव निशान पर विपक्षी दल शिरोमणि अकाली दल (शिअद-दिल्ली) के बीच कड़ी टक्कर रही। वहीं इन सबके बीच टैक्टर चुनाव निशान पर पहली बार चुनावी मैदान में उतरे पंथक सेवा दल ने तीसरे मोर्चे का रोल निभाते हुए खेल बिगाड़ दिया। 

कुछ हद तक अकाल सहाय वैल्फेयर सोसायटी, वडाला की पार्टी और आम अकाली दल ने भी सत्ताधारी दल और विपक्ष के बीच जगह बनाने की पूरी कोशिश की। जबकि आधा दर्जन निर्दलीयों को छोड़ बाकी सभी ने ‘वोटकटवा’ की भूमिका निभाई। मतदाताओं और वोटिंग के खेल से सहमे प्रत्याशियों ने खुलकर तो अपनी-अपनी जीत के दावे किए लेकिन अंदरखाते सभी सहमे हुए हैं। कहीं सरना दल की ‘कार’ आगे निकलती नजर आई तो कहीं शिअद-बादल की ‘बाल्टी’ का जलवा देखने को मिला। मुकाबला बादल और सरना दल में है लेकिन पंथक दल और अकाल सहाय खेल बिगाड़ सकते हैं। इसके अलावा हदबंदी की वजह से दिग्गज नेताओं की दाल नहीं गली। नेताओं को समझ में ही नहीं आया, खेल कैसा खेला जाए। लिहाजा, कइयों के समीकरण बिगाड़ रहे हैं। 

त्रिकोणीय लग रहा है मुकाबला
चुनाव का रिजल्ट तो 1 मार्च को आएगा लेकिन मुकाबला त्रिकोणीय लग रहा है। पहली बार मैदान में उतरी 3 नई पार्टियों ने दोनों दलों का खेल बिगाडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ी। इसमें से पंथक सेवा दल दिल्ली की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी (आप) से समर्थित है और उसने 38 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं। इस दल ने अकाली दल का सत्ता विरोधी वोट बैंक तो काटा ही है,पंथक वोट पर भी कब्जा करने की कोशिश की है। इसके साथ ही वडाला की पार्टी एवं अकाल सहाय ने भी पंथक वोटों पर हाथ मारा है। 

असली मुद्दों से भटके रहे बादल और सरना दल
जानकारों की मानें तो गुरुघर के चुनाव में दोनों दल (बादल व सरना) पहले दिन से आखिरी समय तक असली मुद्दों से भटके रहे। दोनों दल एक-दूसरे के खिलाफ निजी आरोप-प्रत्यारोप एवं शराब के खेल में उलझे रहे। आखिरी समय तक शराब बांटने और एक-दूसरे के यहां शराब रखवाने के खेल से सिख वोटर आहत नजर आए। यही कारण है कि नौजवानों का बड़ा वर्ग वोट डालने के लिए घरों से नहीं निकला। सूरज निकलने के साथ ही लगा कि रविवार की छुट्टी होने के कारण यूथ घरों से भारी संख्या में निकलेगा और वोट डालेगा लेकिन सूरज ढलने तक भी युवा वोटरों की वोटिंग उम्मीद के मुताबिक नहीं हुई। जो युवा मतदान केंद्र पर पहुंचे भी उनमें भारी निराशा देखी गई। या यूं कह लें कि युवाओं ने इस चुनाव को लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखाई। 

बंद कमरे में अकाली हाईकमान लेता रहा फीडबैक 
डी.एस.जी.एम.सी. चुनाव में सत्ताधारी दल शिअद (बादल) इस बार खुलकर प्रचार अभियान में नहीं उतरा लेकिन पार्टी के आला नेता दिल्ली में दिनभर एक बंद कमरे में चुनाव पर नजर रख रहे थे। वे हर घंटे वोट प्रतिशत की जानकारी लेते रहे। जानकारी के मुताबिक शिअद (बादल) के वरिष्ठ नेता एवं सांसद सुखदेव सिंह ढींडसा के आवास पर रविवार को पंजाब के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे थे। इनमें दलजीत सिंह चीमा, शिअद (बादल) के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुखबीर सिंह, बादल के ओ.एस.डी., पूर्व सांसद त्रिलोचन सिंह, पंजाबी विश्वविद्यालय के कुलपति डा. जसपाल सिंह, रामगढिय़ा बिरादरी से जुड़े वरिष्ठ नेता हीरा सिंह गाबडिय़ा मौजूद रहे। 


 

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