Edited By Naresh Kumar,Updated: 20 Mar, 2019 10:30 AM
1975 में लगाए गए आपातकाल के बाद 1977 के चुनाव में पंजाब में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ लेकिन यह स्थिति ज्यादा देर तक कायम नहीं रह सकी।
जालंधर(नरेश कुमार):1975 में लगाए गए आपातकाल के बाद 1977 के चुनाव में पंजाब में कांग्रेस का सूपड़ा साफ हुआ लेकिन यह स्थिति ज्यादा देर तक कायम नहीं रह सकी। केंद्र में मोरारजी देसाई की सरकार 3 साल में ही गिर गई और 1980 के लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने पूरे देश के साथ-साथ पंजाब में भी जबरदस्त वापसी की।
उस समय हुए चुनाव में इंदिरा गांधी की अगुवाई में कांग्रेस ने पंजाब की 13 में से 12 सीटों पर कब्जा कर लिया था। यह उस दौर में कांग्रेस का ऐतिहासिक प्रदर्शन था और कांग्रेस तरनतारन को छोड़कर राज्य की सारी सीटों पर चुनाव जीत गई थी।
तरनतारन सीट पर उस समय अकाली दल के लहना सिंह चुनाव जीते थे जबकि गुरदासपुर से कांग्रेस की सुखबंस कौर, अमृतसर से रघुनंदन लाल भाटिया, जालंधर से राजिंद्र सिंह स्पैरो, फिल्लौर से चौधरी सुंदर सिंह, होशियारपुर से जैल सिंह, रोपड़ से बूटा सिंह, पटियाला से अमरेंद्र सिंह, लुधियाना से दविंद्र सिंह गरचा, संगरूर से गुरचरन सिंह, बठिंडा से हाकम सिंह, फरीदकोट से गुरविंद्र कौर और फिरोजपुर से बलराम चुनाव जीते थे।