Edited By Vatika,Updated: 27 Mar, 2019 05:00 PM
पंजाब में प्रतिपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने पराली जलाने के मुद्दे पर पंजाब का दौरा कर रही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) टीम से आग्रह किया है कि वो इस गंभीर समस्या की गहरायी में जाकर पंजाब और केंद्र सरकार की नाकामियों तथा गैर जिम्मेवारियों का भी...
चंडीगढ़ः पंजाब में प्रतिपक्ष के नेता हरपाल सिंह चीमा ने पराली जलाने के मुद्दे पर पंजाब का दौरा कर रही नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) टीम से आग्रह किया है कि वो इस गंभीर समस्या की गहरायी में जाकर पंजाब और केंद्र सरकार की नाकामियों तथा गैर जिम्मेवारियों का भी लेखाजोखा करे।
चीमा ने आज यहां कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) पर्यावरण ,जीव, जंतू और मिट्टी की देखभाल के मद्देनजर पराली को जलाने के हक में नहीं है । यह बात समझने की है कि आखिर किसान पराली को जलाने को मजबूर क्यों होते हैं तथा सरकारों ने उनकी इस समस्या को गंभीरता से क्यों नहीं लिया । उन्होंने कहा कि पंजाब का किसान कृषि से जुड़े नफा नुकसान के बारे में पूरी तरह से जागरूक है और पराली को आग मजबूरी में लगाता है क्योंकि अगली फसल बोने के लिए उसके पास समय नहीं होता । धान की फसल उठते ही खेत में पड़ी पराली के साथ निपटने के लिए किसान का प्रति एकड़ करीब सात हजार रुपए फालतू खर्च होता है ।
किसानों की दुर्दशा का कारण काफी हद तक सरकारों की किसान विरोधी नीतियां हैं। इसलिए राज्य और केंद्र सरकार बोनस या सीधी सबसिडी के रूप में इस खर्च की पूर्ति करे । आप नेता ने कहा कि पराली को खेत से उठाने या बिना आग लगाए खेत में ही खपाने के लिए जरुरी यंत्रों और मशीनरी को सबसिडी के जरिए हर किसान तक पहुंचाया जाए तथा पराली से ऊर्जा (बिजली) पैदा करने वाले बड़े आधुनिक प्रोजेक्ट राज्य में लगाये जायें । प्रतिपक्ष के नेता के अनुसार पराली के निपटारे के लिए सरकारों की तय की जिम्मेवारियों का हिसाब-किताब भी एन.जी.टी. की टीम जरूर लेकर जाए। सरकारें वातावरण प्रदूषण के नाम पर किसानों के लिए तो कानून का डंडा उठा लेती है लेकिन अपनी वित्तीय जिम्मेवारियों को गंभीरता से नहीं लेती।