तीनों पार्टियों की प्रतिष्ठा का सवाल बना गुरदासपुर उपचुनाव

Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Sep, 2017 10:04 AM

gurdaspur by poll questions the prestige of all three parties

गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव प्रदेश की 3 प्रमुख पार्टियों कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनता नजर आ रहा है। हालांकि गुरदासपुर उपचुनाव की तारीख का ऐलान.............

जालंधर (रविंदर शर्मा): गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव प्रदेश की 3 प्रमुख पार्टियों कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी (आप) के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनता नजर आ रहा है। हालांकि गुरदासपुर उपचुनाव की तारीख का ऐलान अभी तक नहीं हुआ है मगर तीनों पार्टियों ने अपने मोहरे फिट करने शुरू कर दिए हैं। कारण साफ है कि यहां की जीत तीनों पार्टियों के प्रदेश में राजनीतिक भविष्य को तय करेगी। गुरदासपुर लोकसभा सीट का इतिहास देखें तो यहां लंबे समय तक कांग्रेस का राज रहा था। कांग्रेस नेता सुखबंश कौर भिंडर ने यहां 5 बार जीत प्राप्त की थी। कांग्रेस के तिलिस्म को भाजपा के दिग्गज नेता व स्टार कलाकार विनोद खन्ना ने यहां तोड़ा था। 

विनोद खन्ना ने यहां भाजपा की नींव को काफी मजबूत किया था। हालांकि 2009 में वह यहां चुनाव कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा से हार गए थे मगर 5 साल बाद ही वापसी करते हुए 2014 में एक बार फिर उन्होंने बाजवा को पटखनी दी थी। तबीयत खराब रहने के कारण उनका देहांत हो गया था। विनोद खन्ना के देहांत के बाद अब इस सीट पर उपचुनाव होना है। कांग्रेस को प्रदेश की सत्ता में आए हुए महज 5 महीने का समय हुआ है इसलिए उपचुनाव सबसे ज्यादा कांग्रेस के लिए साख का सवाल बना हुआ है।

सत्ता में रहते हुए अगर कांग्रेस की हार होती है तो प्रदेश भर में पार्टी के साथ-साथ मुख्यमंत्री कै. अमरेंद्र सिंह की साख को बट्टा लगेगा और आधार कमजोर होगा। वहीं भाजपा की बात करें तो क्योंकि यह सीट उसके हाथ में थी और देश भर में मोदी की साख से वह 2019 लोकसभा की तैयारी में जुटी हुई है, ऐसे में अगर वह यह सीट हारती है तो न केवल प्रदेश में बल्कि देश में उसको बड़ा झटका लगेगा इसलिए भाजपा इस सीट को जीतने के लिए पूरा जोर लगाने जा रही है। कुछ ऐसी ही हालत आम आदमी पार्टी की है।

विधानसभा चुनाव के बाद लगातार प्रदेश में उसका आधार कमजोर हो रहा है। ‘आप’ यहां जीतने की पोजीशन में नहीं है मगर अपना वोट बैंक मजबूत करने व दोबारा प्रदेश में आधार बनाने के लिए पार्टी के लिए ज्यादा से ज्यादा वोट बटोरना जरूरी होगा। आप के लिए गिरते वोट बैंक को बचाना जरूरी होगा। अगर वह यहां बेहद कम वोट पाती है तो उसके प्रदेश में आधार को तगड़ा झटका लगेगा। 

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