Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 May, 2017 08:22 AM
शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल द्वारा गत माह पंजाब की सारी जिला इकाइयां भंग करने के बाद अलग-अलग नेताओं को विभिन्न
जालंधर (अजीत/बुलंद): शिअद प्रधान सुखबीर सिंह बादल द्वारा गत माह पंजाब की सारी जिला इकाइयां भंग करने के बाद अलग-अलग नेताओं को विभिन्न जिलों की इंचार्जी देकर उन्हें वर्करों की नब्ज टटोलने और नए सिरे से जिला कमेटियों के गठन हेतु रिपोर्ट तैयार कर हाईकमान के पास भेजने बारे ड्यूटियां लगाई गई थीं। इसके तहत जालंधर, होशियारपुर और नवांशहर के लिए दलजीत सिंह चीमा, परमजीत सिंह सिधवां और संता सिंह उमैदपुर की टीम तैनात कर उन्हें इन जिलों के वर्करों से बैठकें करने और योग्य जिला प्रधानों का चयन करने के लिए कहा गया है।
गुरदासपुर में अकाली दल की बैठक में हुआ खूब हंगामा
इसी मामले में कल जालंधर के जे.सी. रिसोर्ट में होने जा रही अकाली दल की अहम बैठक में तीनों नेताओं के साथ जालंधर जिले के अकाली वर्कर शामिल होंगे और अपने विचार, शिकायतें, समस्याएं इन नेताओं के साथ सांझा करेंगे। वैसे अंदरूनी जानकारों की मानें तो गत दिवस गुरदासपुर में हुई अकाली दल की बैठक में खूब हंगामा हुआ था, क्योंकि पार्टी वर्करों ने आरोप लगाया था कि जिन नेताओं ने पार्टी की गुरदासपुर सीट हरवाई उन्हें ही सटेज पर सजाकर बिठाया गया है। ऐसे हालात कल जालंधर में भी पैदा हो सकते हैं। वर्णनीय है कि गत दिवस चुनावों में जालंधर की कैंट सीट पर खूब तमाशा देखने को मिला था। सर्बजीत सिंह मक्कड़ ने सर्बजोत सिंह साबी, परमजीत सिंह रायपुर, गुरचरण सिंह चन्नी जैसे नेताओं को पछाड़ते हुए मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से सीधे अपने रिलेशन का प्रयोग करकैंट की टिकट ले ली थी। ऐसे में रायपुर और चन्नी ने मक्कड़ के खिलाफ विरोध का बिगुल फूंक दिया था।
सुखबीर बादल की चुनावी रैलियों का किया था बायकाट
रायपुर को तो थोड़ा शोर-शराबे के बाद पार्टी ने जालंधर इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट की चेयरमैनी देकर चुप करवा दिया था, पर चन्नी की मक्कड़ के साथ अपने निजी झगड़ों के कारण नाराजगी लंबी खिंची,जिसके चलते चन्नी ने न सिर्फ हाईकमान के सामने जाकर मक्कड़ का विरोध जताया बल्कि जालंधर कैंट हलके में सुखबीर बादल की बैठकों और चुनावी रैलियों का भी बायकाट किया। आखिर चुनावों के कुछ दिन पहले ही पार्टी हाईकमान ने चन्नी और मक्कड़ का समझौता करवाया, पर अन्दरखाते मक्कड़ के हक में चन्नी और रायपुर दोनों के समर्थक नहीं चल पाए, जिसके चलते मक्कड़ को कैंट हलके से हार का सामना करना पड़ा। ऐसे में अब जालंधर शहरी सीट की प्रधानगी को लेकर कई प्रकार की चर्चाएं उडऩे लगी हैं। जहां एक बड़ा समूह ऐसा है तो सीधे और साफ शब्दों में गुरचरण चन्नी को दोबारा शहरी प्रधान बनाए जाने का विरोध कर रहा है और कहता सुना जाता है कि जिस प्रकार चन्नी ने हर बार चुनावों के नजदीक आते ही अपने विरोधी सुर छेड़कर पार्टी को ब्लैकमेल किया है उसे देखते हुए पार्टी को किसी हाल में चन्नी को दोबारा प्रधान नहीं बनाना चाहिए।
चन्नी ने बढिय़ा तरीके से निभाई प्रधानगी
वहीं ऐसे लोग भी हैं जो चन्नी की प्रधानगी के कार्यकाल को बेहतर मानते हैं। उनका कहना है कि चन्नी ने जालंधर शहरी की प्रधानगी बढिय़ा तरीके से निभाई है और विवादों से बचते रहे हैं। चन्नी समर्थकों का कहना है कि मक्कड़ से भी चन्नी का विवाद चन्नी के कारण नहीं बल्कि इस विवाद के लिए मक्कड़ का अहम रोल था। उधर, पार्टी के जानकार सूत्रों की मानें तो जालंधर के लिए हाईकमान द्वारा गठित की गई कमेटी के नेता दलजीत सिंह चीमा के साथ गुरचरण सिंह चन्नी के बेहद नजदीकी संबंध हैं। ऐसे में सूत्रों की मानें तो चीमा से नजदीकियां चन्नी के लिए फायदेमंद साबित हो सकती हंै। चीमा से अच्छे संबंधों के चलते ही चन्नी द्वारा किए गए मक्कड़ के विरोध और सुखबीर के बायकाट को पार्टी अनदेखा भी कर सकती है, क्योंकि चीमा की रिपोर्ट में जालंधर शहरी प्रधान के लिए पहला नाम चन्नी का आना तय है। ऐसे में देखना होगा कि जालंधर शहरी को अगला प्रधान गुरचरण सिंह चन्नी के रूप में ही मिलता है या कोई नया चेहरा सामने आता है।