GST के चलते देश को करना पड़ सकता है आर्थिक मुसीबत का सामना

Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Sep, 2017 11:17 AM

goods and services tax

जी.एस.टी. की जटिलताओं और सख्त प्रावधानों के चलते देश के कारोबारियों के भय पर मोहर लगाते हुए भाजपा के सुब्रह्मण्यम स्वामी व जसवंत सिन्हा

लुधियाना(सेठी): जी.एस.टी. की जटिलताओं और सख्त प्रावधानों के चलते देश के कारोबारियों के भय पर मोहर लगाते हुए भाजपा के सुब्रह्मण्यम स्वामी व जसवंत सिन्हा (पूर्व वित्त मंत्री भारत सरकार) तथा अर्थशास्त्रियों ने साबित कर दिया है कि उक्त फैसला जल्दबाजी और बिना कारोबारियों की सहमति से लिया गया है। 

यह आरोप पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के प्रधान प्यारे लाल सेठ, महासचिव सुनील मेहरा, सचिव मोङ्क्षहद्र अग्रवाल, समीर जैन व जिला प्रधान राधेशाम आहूजा ने केन्द्र सरकार पर लगाया। इन नेताओं ने कहा कि इस प्रणाली में सबसे बड़ी खामी व्यापारियों को प्रतिनिधित्व न मिलना भी है। उन्होंने मांग की कि जी.एस.टी. आर-1, 2, 3 हर महीने की जगह तिमाही होनी चाहिए, जबकि टैक्स रिटर्न-3 बी. महीने में भरी जानी चाहिए। इनके लिए न तो सरकारों के आबकारी विभाग के पास पर्याप्त इन्फ्रास्ट्रक्चर है और न ही देश का कारोबारी इस योग्य है। 

जी.एस.टी. के कारण आने वाले दिनों में देश एक बहुत बड़ी आर्थिक मुसीबत से गुजरने वाला है, क्योंकि केन्द्र सरकार के अनुसार उन्हें जी.एस.टी.-3बी द्वारा 90 हजार करोड़ रुपए इकट्ठा हुआ है, जबकि जुलाई से अक्तूबर 2017 तक का एक्सपोर्टर का रिफंड भी इसी में से दिया जाएगा, जो अनुमानित बहुत बड़ी रकम हो सकती है। इन नेताओं ने कहा कि सरकार ने इस बारे में नहीं सोचा था और अब यह पहले के सालाना रिफंड के मुकाबले 3 गुना है। एक्सपोर्टर का रिफंड अनुमानित 65 हजार करोड़ के लगभग 4 महीने के लिए सरकार के पास पड़ा रहेगा, जो जी.एस.टी. आर-3 भरने के बाद ही रिलीज होगा। उक्त नेताओं ने बताया कि हमारी जी.डी.पी. का 40 फीसदी हिस्सा यही फॉरेन ट्रैंड है और यह पिछले 70 सालों में देश की इकोनॉमी को लगा सबसे बड़ा झटका होगा, जिसका कारण सरकार की गलत नीतियां हैं। व्यापार मंडल ने सरकार को चेताया कि यदि इस प्रणाली को कामयाब करना है तो जी.एस.टी. कौंसिल में कारोबारियों की भागीदारी सुनिश्चित की जाए अन्यथा नोटबंदी की तरह जी.एस.टी. भी नाकामयाब सिद्ध होगा।

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