Edited By Updated: 20 Jan, 2017 01:32 PM
दहेज उत्पीडऩ के एक मामले में स्थानीय जे.एम.आई.सी. सन्मुखी की अदालत ने कथित आरोपी सास राधा रानी व ससुर भानु प्रताप को जहां निर्दोष मानते हुए उन्हें बरी कर दिया है।
अमृतसर (महेन्द्र): दहेज उत्पीडऩ के एक मामले में स्थानीय जे.एम.आई.सी. सन्मुखी की अदालत ने कथित आरोपी सास राधा रानी व ससुर भानु प्रताप को जहां निर्दोष मानते हुए उन्हें बरी कर दिया है। वहीं आरोपी पति रणजीत उर्फ राणा प्रताप के खिलाफ लगाए गए आरोपों को सही मानते हुए उसे भा.दं.सं. की धारा 498-ए, के तहत 2 वर्ष की कैद और 5 हजार रुपए जुर्माने की भी सजा सुनाई है। जुर्माना राशि न अदा करने पर उसे 10 दिनों की अतिरिक्त कैद भी होगी।
गौरतलब है कि शिवाना नामक एक विवाहिता ने 24 मार्च, 2009 को स्थानीय पुलिस से शिकायत की थी कि पहली दिसम्बर 2008 को उसकी शादी लाहौरी गेट निवासी रणजीत उर्फ राणा प्रताप पुत्र भानु प्रताप के साथ हुई थी। उसकी शादी में उसके मां-बाप ने अपनी हैसीयत से कहीं ज्यादा करीब 15 लाख रुपए खर्च किए थे। शादी में जहां स्त्री धन के तौर पर कई प्रकार का सामान दिया था, वहीं शैवरलैट स्पार्क वाली कार भी दी थी। पीड़िता ने यहां तक आरोप लगाए थे कि शादी के पश्चात उसे पता चला कि उसके पति के न सिर्फ अन्य कई लड़कियों के साथ अवैध संबंध हैं, बल्कि वह नशे का भी आदी है।
पीड़िता ने अपनी शिकायत में बताया कि 5 जनवरी, 2009 को दोपहर करीब 2 बजे उसका पति इतनी ज्यादा शराब पिए हुए था कि उसने शराबी हालत में कार चलाते हुए एक दीवार को ही तोड़ दिया था, जिसके पश्चात उसका पति उस पर मायके घर से इनोवा कार लेकर आने के लिए दबाव डालने लगा। मां-बाप को बताने पर उसके मां-बाप जब उसे मिलने उसके ससुराल पहुंचे तो उसके पति ने उन्हें उससे मिलने तक नहीं दिया, उल्टा उन्हें बेइज्जत तक करना शुरू कर दिया।
इसके बावजूद मां-बाप सब कुछ सहन करते रहे। 12 जनवरी, 2009 को उसके पति ने अपने मां-बाप के साथ मिलकर उसे जान से मार देने का भी प्रयास किया। उसने इस बारे में अपने मां-बाप तक संदेश पहुंचाया तो वे उसे अगले दिन उसके ससुराल से अपने साथ ले गए।
इस शिकायत के आधार पर थाना सी-डिवीजन की पुलिस ने 19-11-2009 को कथित आरोपी सास-ससुर के साथ-साथ उसके पति के खिलाफ भा.दं.सं. की धारा 406/498-ए, के तहत मुकद्दमा नंबर 193/2009 दर्ज किया था।
अपील दायर करने के लिए कच्ची जमानत पर हुई रिहाई
आरोपी को सजा सुनाने के तुरंत बाद आरोपी द्वारा जुर्माना राशि अदालत में जमा करवाए देने पर अदालत ने आरोपी को अपने ही फैसले के खिलाफ सैशन कोर्ट में अपील दायर करने का मौका भी प्रदान कर दिया। इसके तहत अदालत ने उसे 18 फरवरी तक एक महीने की अवधि के लिए उसकी सजा को सस्पैंड कर उसे 50 हजार रुपए की कच्ची जमानत पर रिहा भी कर दिया है।