जनता को गेहूं कम देने के कारण डिपो सस्पैंड

Edited By Des raj,Updated: 23 Aug, 2018 10:57 PM

depoo suspend due to lowering the wheat to the public

पंजाब सरकार द्वारा गरीबी रेखा के नीचे रह रहे लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए सस्ते दामों पर जनता को देने के लिए सरकारी अनाज के डिपुओं पर भेजी जाती है। यह परंपरा अकाली दल ने वर्ष 2007 के विधानसभा चुनावों को जीत कर शुरू की थी और यह चुनाव 2 रुपए...

अमृतसर (बौबी): पंजाब सरकार द्वारा गरीबी रेखा के नीचे रह रहे लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए सस्ते दामों पर जनता को देने के लिए सरकारी अनाज के डिपुओं पर भेजी जाती है। यह परंपरा अकाली दल ने वर्ष 2007 के विधानसभा चुनावों को जीत कर शुरू की थी और यह चुनाव 2 रुपए किलो आटा और 20 रुपए किलो दाल के नारे के बाद ही अकाली भाजपा गठबंधन सरकार सत्ता में आया था। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने पंजाब की जनता को सस्ती गेहूं पहले की तरह वितरित की जा रही है। ऐसे ही एक मामले में डिपो को सस्पैंड कर दिया गया। लोगों को कहा जा रहा है कि आपके परिवार के सदस्यों की संख्या में एक व्यक्ति का नाम कट गया है। इसलिए आपको गेहूं कम मिलेगी। वार्ड नं. 60 इन्द्रा कालोनी से कांग्रेस के पार्षद ताहिर शाह के क्षेत्र में सोनिया नाम से यह डिपो चल रहा है जिसका डिपो नंबर 400 है। इस वार्ड के लोगों द्वारा डी.एफ.एस.सी. रजनीश राजपूत को शिकायत के आधार पर जांच के लिए एक टीम का गठन किया गया।

जानकारी के अनुसार इन्द्रा कालोनी में रह रहे लोग जिसमें शंकर पुत्र सुनील दास, राहुल पुत्र नमई लाल, विजय कुमार पुत्र ईशु दास, मंजु व रजिन्द्र कौर ने बताया कि डिपो होल्डर सोनिया की गेहूं की बांट उसके पिता रोशन लाल किया करते हैं। आज 23 अगस्त को जब हम सरकार द्वारा भेजी गई गेहूं लेने गए तो उन्होंने हमें कम गेहूं दी, हमारे पूछने पर उन्होंने बताया कि दफ्तर से आपके एक सदस्य का नाम काट दिया गया है, जो मशीन में नहीं आ रहा। इसलिए आपको गेहूं कम दे रहे हैं। सरकार द्वारा घर के एक सदस्य को 1 महीने की गेहूं मिलती है और सरकार 6 महीने बाद इक्ट्ठी गेहूं भेजकर खप्तकारों को दे देती है। एक सदस्य की 6 माह की गेहूं 30 किलो बनती है। अगर एक सदस्य का नाम कम हो जाए तो उस परिवार को बनती गेहूं से 30 किलो कम गेहूं बांटी गई है। डी.एफ.एस.सी. की वार्ड 16ए के अधीन पड़ते इस डिपो के लगभग 190 से 200 कार्ड हैं जिसकी गेहूं इस डिपो होल्डर को मिलती है, अगर 190 लोगों का हिसाब देखा जाए तो 5700 किलो गेहूं बनती है। जिसकी सरकारी कीमत 11400 रूपए बनती है अगर इसकी तुलना मार्किट रेट से की जाए तो 20 रुपए किलो के हिसाब से लगभग 1,14000/ एक लाख 14 हजार रुपए बनती है। 

पंजाब केसरी की टीम ने जब इसकी गहनता से जांच की तो एक चीज और देखने को मिली कि डिपो होल्डर ने गेहूं बांटने वाली पर्ची 18 अगस्त को जारी की है और उसके पैसे 21 अगस्त की सरकारी खजाने में जमा करवाए गए हैं। कानून के मुताबिक यह गलत है डिपो होल्डर को सरकारी अनाज लेने के लिए पैसे पहले जमा करवाने पड़ते हैं और खप्तकारों को गेहूं देने के बाद उनसे पैसे वसूल करने होते हैं। मगर यहां ग्राहकों से पैसे पहले ले लिए गए और अनाज बाद में दिया गया, जैसे 18 अगस्त को ग्राहकों से पैसे लिए गए और 21 अगस्त को पैसे जमा करवाए गए जो कानून की उल्लंघना है।

वार्ड नं. 60 के खप्तकार शंकर पुत्र सुनील दास निवासी इन्द्रा कालोनी से जब पंजाब केसरी की टीम ने बात की तो उन्होंने कहा कि हम गरीब लोग हैं, यह डिपो मालिक हमें 30 किलो गेहूं कम दे रहा है, हम इसकी शिकायत विभाग को करेंगे और इसके साथ साथ रोशन लाल ने हमारे साथ अभद्र व्यवहार भी किया। ग्राहक राहुल पुत्र नमई लाल ने बताया कि हमें भी 30 किलो गेहूं कम मिली है जब इसके बारे में पूछा गया तो बोले लेनी है तो लो नहीं तो तित्तर हो जाओ और गलत शब्दावली का प्रयोग किया।

शिकायत पर किया डिपो सस्पैंड
जब डी.एफ.एस.सी. रजनीश राजपूत से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि इस डिपो होल्डर की शिकायत मिल चुकी है। इस पर बनती कार्रवाई की जाएगी, शाम को जब दोबारा उनसे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वार्ड नं. 60 के अधीन पढ़ते डिपो जो सोनिया के नाम से चल रहा है। उसको सस्पैंड कर दिया गया है। उन्होंने जनता से यह भी कहा कि जनता को अगर कोई डिपो होल्डर परेशान करता है या गेहूं कम देता है तो मेरे कार्यालय आकर मिल सकता है। 
 

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