Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Jul, 2017 08:31 AM
इन दिनों पंजाब सरकार विशेषकर लोकल बाडीज मंत्री नवजोत सिद्धू अकाली-भाजपा कार्यकाल दौरान राज्य के नगर निगमों में हुए घोटालों का पर्दाफाश करने में लगे हुए हैं।
जालंधर(खुराना): इन दिनों पंजाब सरकार विशेषकर लोकल बाडीज मंत्री नवजोत सिद्धू अकाली-भाजपा कार्यकाल दौरान राज्य के नगर निगमों में हुए घोटालों का पर्दाफाश करने में लगे हुए हैं। इसी कड़ी के तहत संकेत मिले हैं कि पंजाब सरकार जल्द ही विभिन्न नगर निगमों में कंसल्टैंट कम्पनी दाराशाह को अलाट हुए कामों की जांच करवा सकती है। गौरतलब है कि इस कम्पनी को अकाली-भाजपा की फैवरेट कम्पनी के रूप में जाना जाता है और आरोप यह भी है कि इस कम्पनी को कई महत्वपूर्ण प्रोजैक्टों की कंसल्टैंसी व डी.पी.आर. तैयार करने का काम सिंगल टैंडर के आधार पर अलाट किया गया।
जालंधर नगर निगम की बात करें तो यहां अकाली-भाजपा ने हर बड़ा प्रोजैक्ट दाराशाह कम्पनी के हवाले किया परंतु ज्यादातर प्रोजैक्ट अधर में लटके रहे और सिरे नहीं चढ़े। कई साल पहले इस कम्पनी को स्ट्रीट वैंडर पॉलिसी को लागू करने का काम सौंपा गया परंतु आरोप है कि कम्पनी ने जो रूपरेखा तैयार की उसमें कई कमियां हैं और कम्पनी ने दूसरे शहरों का प्लान उसी तरह कापी करके निगम को रिपोर्ट बनाकर सौंप दिया है।
अब निगम कमिश्नर ने दाराशाह कम्पनी को एक पत्र जारी किया है जिसमें कम्पनी द्वारा बनाए गए प्लान में छोड़ी गई कमियों का जिक्र किया गया है।
कम्पनी ने 12 हजार वैंडर तथा 32 जोन तो निर्धारित कर दिए परंतु उन जोनों में होल्डिंग कैपेसिटी नहीं दिखाई। स्थायी तथा चलने-फिरने वाले वैंडर्स को एक ही तरह के आई. कार्ड पहना दिए जो अलग तरह के होने चाहिए। अभी तक वैंडर्स से एफिडैविट भी नहीं लिए गए कि वे निगम की शर्तों का पालन करें। इस सर्वे को केन्द्र सरकार की साइट पर भी अपलोड नहीं किया गया।
12 हजार वैंडर्स की जांच हो
दाराशाह कम्पनी ने सर्वे करके जालंधर में 12 हजार से ज्यादा वैंडर्स की पहचान की है और करार के मुताबिक कम्पनी को प्रति वैंडर के हिसाब से पैसे मिलने हैं। निगमाधिकारियों को संदेह है कि कम्पनी ने वैंडर्स निर्धारित करते समय अपनी किसान मंडियों के दुकानदारों को भी शामिल कर लिया, हालांकि वे इस श्रेणी में नहीं आते। अब इन वैंडर्स की संख्या की जांच की मांग भी उठ रही है।