Edited By Punjab Kesari,Updated: 02 Nov, 2017 10:53 AM
भाखड़ा ब्यास मैनेजमैंट बोर्ड के अधिकांश विश्राम गृहों व अन्य इमारतों के लिए प्रवेश द्वार पर काऊ कैचर स्थापित किए गए हैं। काऊ कैचर मतलब लोहे के सरिए से बने ऐसे जाले हैं जिस पर कोई गाय, बैल या अन्य कोई पशु गुजर कर उक्त परिसरों के भीतर नहीं जा सकता।...
तलवाड़ा(डी.सी.): भाखड़ा ब्यास मैनेजमैंट बोर्ड के अधिकांश विश्राम गृहों व अन्य इमारतों के लिए प्रवेश द्वार पर काऊ कैचर स्थापित किए गए हैं। काऊ कैचर मतलब लोहे के सरिए से बने ऐसे जाले हैं जिस पर कोई गाय, बैल या अन्य कोई पशु गुजर कर उक्त परिसरों के भीतर नहीं जा सकता। पशु जब भी कभी इनसे होकर गुजरने का प्रयास करते हैं उनके पैर जाले में फंस जाते हैं।
वर्तमान में ये काऊ कैचर गेट पशु के साथ-साथ मानवीय जिंदगी के लिए भी अब मुसीबत बन गए हैं। समाज सेवी अवतार कृष्ण ने बताया कि अनेकों बार ऐसी घटनाएं सामने आई हैं जिनमें लोहे के ऐसे बने काऊ कैचर जालों में फंसी गऊओं को लहूलुहान घायल अवस्था में बचाया गया है। उनके अनुसार जहां जहां भी ऐसे काऊ कैचर जाले भूमि पर लगाए गए हैं उनके गेट अक्सर खुले रहते हैं। गेटों पर कोई कर्मचारी तैनात नहीं होता है।
पशु यह जानते नहीं कि लोहे के ऐसे जाले उनकी मौत के लिए इंतजाम करके रखे हुए हैं। घास-फूस खाने के लालच में जब भी कोई पशु परिसरों की ओर अपना रुख करता है तो वह मुख्य गेट पर ही काऊ केचर जाले में अपने पैर फंसा कर वहीं गिर जाता है और जिंदगी की जंग लडऩे लगता है।