निगम चुनावः 27 को तय होगी नए सिरे से वार्डबंदी की रूपरेखा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Sep, 2017 09:52 AM

corporation elections  27 will be decided on fresh outline

सरकार ने भले ही तय समय पर नगर निगम के चुनाव नहीं करवाए। लेकिन नए सिरे से वार्डबंदी करवाने की प्रक्रिया जनरल हाऊस की अवधि खत्म होने से पहले ही तेज हो गई थी। जिसके तहत रूपरेखा तय करने के लिए डायरैक्टर लोकल बॉडीज ने 27 सितम्बर को विधायकों की बैठक भी...

लुधियाना (हितेश): सरकार ने भले ही तय समय पर नगर निगम के चुनाव नहीं करवाए। लेकिन नए सिरे से वार्डबंदी करवाने की प्रक्रिया जनरल हाऊस की अवधि खत्म होने से पहले ही तेज हो गई थी। जिसके तहत रूपरेखा तय करने के लिए डायरैक्टर लोकल बॉडीज ने 27 सितम्बर को विधायकों की बैठक भी बुला ली है।

यहां बताना उचित होगा कि सरकार ने निगम के मौजूदा 75 वार्डों की संख्या बढ़ाकर 90 करने का फैसला काफी पहले से लिया हुआ है। इसके तहत वोटरों का डोर टू डोर सर्वे भी पूरा हो चुका है। अब उन वोटों को एक अनुपात के हिसाब से बांटकर नए वार्ड बनाए जाने हैं। जिसके चलते वार्डों की संख्या 95 तक भी पहुंच सकती है। 

इस प्रक्रिया के तहत कांग्रेसी विधायकों द्वारा पहले नए बनने वाले वार्डों की बाऊंड्री तय करने का काम किया जा रहा है। इसमें अकाली-भाजपा के दिग्गजों के प्रभाव वाले एरिया को उनके पुराने वार्डों से अलग करने पर जोर दिया गया। इसी तरह विरोधियों के पर कतरने के लिए वार्डों को रिजर्व करने की रणनीति भी तय की जा चुकी है।

इसी बीच डायरैक्टर ने 27 सितम्बर को जो मीटिंग बुलाई है। उसमें विधायकों को वार्डबंदी के लिए तय नियमों की जानकारी दी जाएगी। इसमें नए बनने वाले वार्डों में आबादी का अनुपात करने के अलावा उनकी कलीयर बाऊंड्री रखने व रिजर्वेशन को लेकर जारी गाइडलाइंस से भी अवगत करवाया जाएगा।निगम अफसरों ने इस मीटिंग में हिस्सा लेने के लिए विधायकों को सूचित कर दिया है। जहां उनको वार्डबंदी को लेकर सुझाव देने के लिए कहा गया है, क्योंकि इस बार एक मोहल्ला 2 वार्डों में नहीं होगा तथा मेन रोड के जरिए ही वार्ड की ब्राऊंड्री तय होगी। इससे बढ़कर दिक्कत महिलाओं को 50 फीसदी रिजर्वेशन मिलने कारण आएगी। 

नए बनने वाले वार्डों के बंटवारे को लेकर अकाली-भाजपा में फंसेगा पेंच 
नए सिरे से होने वाली वार्डबंदी में कांग्रेसियों की मर्जी चलने से अकाली-भाजपा को जहां अपने प्रभाव वाले इलाकों में सेंध लगने का डर सता रहा है। वहीं, वार्डों की संख्या बढऩे से बंटवारे को लेकर अकाली-भाजपा में पेंच भी फंसेगा, क्योंकि दोनों ही पाॢटयां अपने कोटे के पुराने वार्ड में से नए बनने वाले वार्ड पर हक जताएंगी। जबकि अकाली दल के पास इस समय ज्यादा वार्ड हैं और भाजपा काफी देर से मांग कर रही है कि शहरी आबादी वाले वार्डों में उनका कोटा बढ़ाया जाए। जिसे लेकर अंदरखाते अभी से माथापच्ची शुरू भी हो गई है।


 

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