Edited By Updated: 22 Jan, 2017 08:42 PM
पंजाब विधानसभा चुनाव प्रचार में अहम भूमिका निभाने वाले हरियाणा के
बठिंडा: पंजाब विधानसभा चुनाव प्रचार में अहम भूमिका निभाने वाले हरियाणा के दिग्गज कांग्रेसी इस बार आलाकमान के फरमान के चलते प्रचार से दूर रहेंगे।
इसका मुख्य कारण एसवाईएल नहर माना जा रहा है। पंजाब के 1966 में विभाजन के बाद भी दोनों एक दूसरे को बड़ा तथा छोटा भाई कहते हैं और चुनाव में प्रचार का धर्म निभाते रहे हैं। दोनों राज्य के गांवो में रिश्तेदारों के दबाव में वोट भी डाले जाते हैं। अबकी बार चुनाव के समय उच्चतम न्यायालय के एसवाईएल नहर निर्माण के फैसले से कांग्रेस तथा अन्य पार्टियों के नेता राजनीतिक लक्ष्मण रेखा खींच बैठे हैं। कांग्रेस आलाकमान ने चुनाव मौके पर लोगों की नब्ज भांपते हुये अपने नेताओं को पंजाब जाने से किनारा करने की बात कही है।
पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह ने हरियाणा को पंजाब का एक बूंद पानी न देने तथा पानी को लेकर पंजाब के हितों की रक्षा के लिये अपने पदों से इस्तीफे दे दिए जिससे दोनों राज्यों के बीच राजनीतिक लड़ाई वर्चस्व में पड़ गई। कांगेस के साथ-साथ अकाली दल, भाजपा , आम आदमी पार्टी एसवाईएल को चुनाव में मुद्दा बनाकर भुनाने में लगी हैं।
वहीं हरियाणा कांग्रेस शीर्ष अदालत के फैसले के अनुसार अपने हक का पानी हर हालत में लेने पर अडिंग है। हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पंजाब में चुनाव प्रचार करने से इंकार कर दिया। जबकि प्रदेशाध्यक्ष अशोक तंवर के आलाकमान के आदेश पर पंजाब प्रचार के लिये जाने से हरियाणा कांग्रेस में वाद विवाद की स्थिति पैदा हो गई। पिछले दिनों पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तो अपने बयान में हरियाणा कांग्रेस के नेताओं को चुनाव में न आने की सलाह तक दे डाली। कांग्रेस आलाकमान ने पैदा हुई स्थिति को भांपते हुए हरियाणा के दिग्गज नेताओं को पंजाब प्रचार से दूर रखने का फैसला किया है।