आचार संहिता की उड़ रही हैं धज्जियां, प्रशासन खामोश

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 10:28 AM

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नगर निगम चुनाव प्रचार ने रफ्तार पकड़ ली है। सोमवार को हलकी बारिश के बावजूद  प्रचार का माहौल बेहद गर्म रहा। ढोल-नगाड़ों के साथ-साथ ऑटो रिकशा व लाऊड स्पीकर से भी चुनाव प्रचार जोरों पर चल रहा है। इसके अलावा शाम के समय प्रत्येक वार्ड में नुक्कड़ सभाएं...

जालंधर(रविंदर शर्मा): नगर निगम चुनाव प्रचार ने रफ्तार पकड़ ली है। सोमवार को हलकी बारिश के बावजूद  प्रचार का माहौल बेहद गर्म रहा। ढोल-नगाड़ों के साथ-साथ ऑटो रिकशा व लाऊड स्पीकर से भी चुनाव प्रचार जोरों पर चल रहा है। इसके अलावा शाम के समय प्रत्येक वार्ड में नुक्कड़ सभाएं की जा रही हैं। मगर इस चुनाव प्रचार के बीच सभी पार्टियों के प्रत्याशी खुलकर आचार संहिता की धज्जियां भी उड़ा रहे हैं। सबसे ज्यादा आचार संहिता की धज्जियां सरकारी संपत्ति पर पोस्टर चिपका व होॄडग/बैनर लगाकर कर उड़ाई जा रही हैं। वहीं प्राइवेट संपत्ति यानी किसी के घर के बाहर भी प्रत्याशी बिना परमिशन ही अपने पोस्टर चिपका व बैनर लगा रहे हैं। परेशान लोग खुद इसकी शिकायत लेकर जिला प्रशासन के दरबार पहुंच रहे हैं।  

जिला प्रशासन खामोश बैठकर आचार संहिता की उड़ती धज्जियां देख रहा है, मगर कार्रवाई कहीं पर भी नहीं की जा रही है। इस सम्बन्ध में प्रशासन की ओर से सभी पार्टियों के प्रतिनिधियों को बुलाकर न  तो उनके साथ कोई मीटिंग की गई और न ही प्रत्याशियों व उनके पोलिंग एजैंटों को जागरूक किया गया । यही कारण है कि प्रत्याशियों के वर्कर खुलेआम लोगों के घरों के बाहर अपने पोस्टर चिपका व बैनर टांग रहे हैं। डी.सी. आफिस में बने कम्प्लेंट सैल में अभी तक 30 के करीब शिकायतें आचार संहिता के उल्लंघन की आ चुकी हैं। सोमवार को कंप्लेंट सैल के पास वार्ड 25, वार्ड 26, वार्ड 33 व वार्ड 66 से चार शिकायतें और आई। ये सभी शिकायतें भी घरों के बाहर बिना परमिशन पोस्टर चिपकाने व बैनर टांगने संबंधी थी। इस संबंध में डी.सी. व जिला चुनाव अधिकारी वरिंदर शर्मा का कहना है कि सभी शिकायतों को वार्ड स्तर पर बनी कमेटियों के पास भेजा जा रहा है और साथ ही शिकायत की एक कापी रिटर्निंग अधिकारी को भी भेज कर कार्रवाई करने को कहा जा रहा है। 

घरों के बाहर खड़ी गाडिय़ों पर चिपका जाते हैं स्टिकर
लोगों के लिए सबसे ज्यादा मुसीबत इस बात की है कि घरों के बाहर खड़ी उनकी गाडिय़ों के पीछे रातो -रात राजनीतिक पार्टियों के वर्कर अपने स्टिकर चिपका जाते हैं। गौर हो कि शहर में अधिकांश लोग घरों में जगह न होने के कारण रात को सड़कों या गलियों में ही अपने वाहन को पार्क करते हैं। ऐसे में रात को मौका पाकर राजनीतिक लोग उनकी कारों पर स्टिकर चिपका जाते हैं। यह स्टिकर भी ऐसे होते हैं कि लाख खुरचने पर भी उतरते नहीं हैं। इस बात की लगातार शिकायतें भी कम्प्लेंट सैल के पास पहुंच रही हैं। 

सोशल मीडिया पर प्रचार से तय हो रही जीत व हार 
अधिकांश प्रत्याशी सोशल मीडिया को प्रचार का नया जरिया बना रहे हैं। सोशल मीडिया उनके लिए वरदान बनकर सामने आया है। चाहे फेसबुक हो या ट्विटर या फिर अन्य सोशल साइट्स हर प्रत्याशी इस हाईटैक प्रचार को अपनाना चाह रहा है। इसके लिए सभी प्रत्याशियों ने कई युवाओं को हाईजैक भी किया है। सुबह से शाम तक न केवल वह अपने प्रचार की फोटो इस पर डाल रहे हैं, बल्कि साथ ही साथ वह फेसबुक लाइव, फेसबुक मैसेंजर व अन्य लाइव सोशल साइट्स का भरपूर फायदा अपने प्रचार के लिए कर रहे हैं। राजनीतिक पार्टियों का मानना है कि सोशल मीडिया पर प्रचार एक आसान साधन है और इसके जरिए ज्यादा से ज्यादा लोगों तक अप्रोच की जा सकती है। कई प्रत्याशी तो खुद को मिलने वाले लाइक व कमैंट की तुलना भी अपने विरोधी प्रत्याशी के साथ कर रहे हैं और इससे हार व जीत का दायरा तय किया जा रहा है। 

 

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