Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Oct, 2017 04:28 PM
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) की सिख इकाई राष्ट्रीय सिख संगत द्वारा गुरु गोबिन्द सिंह का 350वां प्रकाश पर्व मनाने को लेकर भाजपा और अकाली दल की राहें जुदा-जुदा नजर आ रही हैं।
चंडीगढ़ः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आर.एस.एस.) की सिख इकाई राष्ट्रीय सिख संगत द्वारा गुरु गोबिन्द सिंह का 350वां प्रकाश पर्व मनाने को लेकर भाजपा और अकाली दल की राहें जुदा-जुदा नजर आ रही हैं।
इसका प्रमुख कारण 2004 में श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा संघ तथा राष्ट्रीय सिख संगत को सिख विरोधी जमात बताते हुए सिखों को इन संस्थाओं से दूर रहने की दी गई हिदायत है, जो आजकल सुखियों में है। राष्ट्रीय सिख संगत द्वारा बुधवार को आयोजित कार्यक्रम को लेकर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह की ओर से जारी नए आदेश में सिख कौम को अलग कौम बताते हुए संघ के खिलाफ जारी हुक्मनामे के जस का तस होने का हवाला सामने आया है। इसके बाद शिरोमणि कमेटी, दिल्ली कमेटी सहित सभी पंथक पार्टियां अकाल तख्त के आदेश पर पहरा देने की दुहाई देने में लग गईं। नतीजतन, इस कार्यक्रम से जागरूक सिखों के द्वारा दूरी बनाने की संभावना पैदा हो गई है। भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हरजीत सिंह ग्रेवाल ने कहा है कि शिरोमणि अकाली दल चाहे तो भाजपा से नाता तोड़ सकता है।
एक निजी न्यूज चैनल पर शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रधान किरपाल सिंह बडूंगर ने आर.एस.एस. और भाजपा को सिख विरोधी बताया था। इसके बाद से ही दोनों दलों में इस मुद्दे पर टकराव बढ़ गया था। अब भाजपा के राट्रीय महासचिव हरजीत सिंह ग्रेवाल ने इस विवाद को और हवा दे दी है।
ग्रेवाल ने कहा कि अगर आर.एस.एस. व बीजेपी सिख विरोधी हैं, तो अकाली दल को चाहिए कि वह भाजपा से नाता तोड़ ले और अकेले ही चुनाव लड़े। इस पर अकाली दल ने कहा कि ऐसी बातें गठबंधन के किसी भी नेता को सार्वजनिक मंच पर नहीं करनी चाहिए। यह मुद्दा को-ऑर्डिनेशन कमेटी में उठाना चाहिए।