Edited By Updated: 09 Dec, 2016 04:19 PM
1992 का चुनाव जीत कर कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री बने बेअंत सिंह की शहादत का 1997 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी नुक्सान हुआ।
जालंधर: 1992 का चुनाव जीत कर कांग्रेस की तरफ से मुख्यमंत्री बने बेअंत सिंह की शहादत का 1997 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को भारी नुक्सान हुआ। बेअंत सिंह को आतंकियों ने 31 अगस्त, 1995 को चंडीगढ़ में बम से उड़ा दिया था।
उनकी शहादत के बाद पार्टी ने हरचरण सिंह बराड़ को मुख्यमंत्री बनाया लेकिन कांग्रेसियों ने उन्हें दिल से कबूल नहीं किया जिसके चलते उन्हें हटा कर बीबी राजेंद्र कौर भट्ठल को मुख्यमंत्री बनाया गया। वह करीब 11 महीने पद पर रहीं लेकिन पार्टी को एकजुट नहीं रख सकीं। कांग्रेस में इस आपसी फूट का खमियाजा कांग्रेस को इतिहास की सबसे बड़ी हार के रूप में भुगतना पड़ा। 1997 के चुनाव में पार्टी 14 सीटों पर सिमट गई।
यह कांग्रेस का पंजाब में अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन रहा। इससे पहले आपात्काल के तुरंत बाद हुए 1977 के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस की इतनी दुर्गति नहीं हुई थी। उस समय कांग्रेस को 17 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। कांग्रेस का वोट शेयर भी 26 फीसदी रह गया था जबकि 1977 के चुनाव में कांग्रेस को 33 फीसदी से ज्यादा वोट मिले थे।