Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Sep, 2017 08:29 AM
पंजाब की अति-सुरक्षित जेलों में शामिल लुधियाना की सैंट्रल जेल की सुरक्षा की पोल उस समय खुल गई जब मंगलवार दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर जेल के अन्दर स्थित कैदियों व हवालातियों की बैरकों से संलग्न जेल अस्पताल में उपस्थित डा. स्व.........
लुधियाना(स्याल): पंजाब की अति-सुरक्षित जेलों में शामिल लुधियाना की सैंट्रल जेल की सुरक्षा की पोल उस समय खुल गई जब मंगलवार दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर जेल के अन्दर स्थित कैदियों व हवालातियों की बैरकों से संलग्न जेल अस्पताल में उपस्थित डा. स्वर्ण दीप सिंह पर जेल में लगभग 10 बंदियों ने घातक हथियारों से हमला कर दिया। इस हमले में डा. स्वर्ण दीप सिंह के गंभीर चोटें आईं। मौके पर उपस्थित अन्य बंदियों ने डाक्टर को बचाने की कोशिश की। मौका पाकर डाक्टर अस्पताल से बाहर भागा और जेल से बाहर आकर अपनी गाड़ी में सिविल अस्पताल पहुंचा।
सूचना मिलने पर मीडिया कर्मियों का जमावड़ा लग गया। पत्रकारों से बातचीत करते हुए डा. स्वर्ण दीप सिंह ने बताया कि जेल अस्पताल में बीमार कैदियों व हवालातियों का उपचार करने के लिए हमेशा की तरह व्यस्त थे कि अचानक 10 बंदियों नें उन पर जानलेवा हमला कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। इसके चलते दाईं बाजू, पेट व सिर पर चोटें लगने से घायल हो गए। अन्य बंदी उनका बचाव न करते तो उनकी जान भी जा सकती थी। डा. स्वर्ण दीप सिंह ने जेल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि अचूक सुरक्षा का दावा करने वाले जेल अधिकारियों की नाक के तले घातक हथियार जेल में बंदियों के पास कैसे पहुंच गए।
जबकि जेल अस्पताल तक आने के लिए डाक्टरों को भी 3 जगह कड़ी चैकिंग से गुजरना पड़ता है। जेल बैरकों तक हथियारों का पहुंचना जेल प्रशासन की कथित रूप से मिलीभगत बिना सम्भव नहीं है।उन्होंने कहा कि तेजधार हथियारों का जेल के अंदर पहुंचना जेल सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाता है। जेल बंदी अक्सर उन पर विशेष तरह की दवाई या इंजैक्शन लगाने का दबाव बनाते हैं ताकि ऐसी दवाई द्वारा उनके नशे की लत पूरी हो सके। लेकिन वह कभी भी ऐसी न तो दवाई लिखते हैं, न किसी बंदी की बात मानते हैं और न ही किसी अधिकारी की सिफारिश।
डाक्टर ने बताया कि जेल अधिकारियों ने जेल में उनके ऊपर उक्त मामले को निपटाने का दबाव भी बनाया इसलिए कुछ बंदियों ने जेल अधिकारियों के आशीर्वाद से उन पर हमला करने का षड्यंत्र रचा। उन्होंने बताया कि जेल में 100 रुपए में बीड़ी का बंडल, 200 रुपए में जर्दे का पैकेट व नशीली गोली 500 रुपए में आसानी से उपलब्ध हो जाती है। यह सब जेल अधिकारियों की संलिप्तता से संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने मुंह खोला तो जेल में कमियों का पिटारा खुल जाएगा जिसमें जेल अधिकारियों की पोल भी खुल सकती है।
पुलिस कमिश्नर को भेजी शिकायत
डा. स्वर्ण दीप सिंह ने जिला पुलिस कमिश्नर को इस हमले के बारे में पत्र द्वारा शिकायत भेजी है। इसमें उन्होंने जेल अधिकारी पर इस हमले का हवाला देते हुए गंभीर आरोप लगाते कहा कि उन्होंने उनके चहेतों का जेल में सहयोग करने से इंकार किया था, जिस वजह से उन पर हमला हुआ। पत्र में यह भी जिक्र है कि जेल के अंदर उन्हें सुरक्षा प्रदान की जाए। उनके पत्र पर खून के धब्बे भी नजर आ रहे हैं।
जेल प्रशासन पर लगे आरोप बेबुनियाद : एस.पी. खन्ना
इस बारे बात करने पर जेल सुपरिंटैंडैंट एस.पी. खन्ना ने डा. स्वर्ण दीप सिंह द्वारा जेल प्रशासन पर लगाए आरोपों को सिरे से नकार दिया। उन्होंने बताया कि कुछ बंदियों ने विगत दिनों में डा. द्वारा दुव्र्यवहार किए जाने की शिकायतें भेजी थीं। खन्ना ने बताया कि वह स्वयं इस घटना से ङ्क्षचतित हैं और इसकी शिकायत स्थानीय पुलिस को भेज दी है ताकि पुलिस कानून अनुसार अपनी कार्रवाई कर सके। वह स्वयं अपने स्तर पर घटना की जांच करवा रहे हैं।