Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Jun, 2017 01:11 AM
अमृतधारी सिख महिलाओं ने श्री अकाल तख्त के जत्थेदार गुरबचन सिंह को पत्र लिखकर कहा है
जालंधर (धवन): अमृतधारी सिख महिलाओं ने श्री अकाल तख्त के जत्थेदार गुरबचन सिंह को पत्र लिखकर कहा है कि अगर सिख महिलाएं अमृतपान कर सकती हैं तो फिर अमृतधारी महिलाओं को यह अधिकार भी दिए जाने चाहिएं कि वे अन्य सिख महिलाओं को अमृत पान करवा सकें।
इस संबंध में लखविन्द्र कौर प्रधान सुखमनि सेवा सोसाइटी, बीबी नरिन्द्र कौर प्रधान दशमेश नारी संस्था, हरजिन्द्र कौर मैम्बर सुखमनि सेवा सोसाइटी, गुरवंत कौर उपाध्यक्ष दशमेश नारी संस्था होशियारपुर, कुलवंत कौर तथा कुलदीप कौर ने जत्थेदार गुरबचन सिंह को सौंपे पत्र में कहा है कि विश्व भर के धर्मों में सबसे नवीन सिख धर्म में महिलाओं को बराबरी का दर्जा प्राप्त है। सिख धर्म में महिला जाति को जो मान सम्मान हासिल है, वह किसी अन्य धर्म में महिलाओं को प्राप्त नहीं है।
उन्होंने कहा कि गुरु नानक देव जी ने स्वयं महिला शक्ति को बराबरी प्रदान की। सिखों का इतिहास गुरुकाल से लेकर अब तक स्त्री योगदान से भरा हुआ है। बेबे नानकी से लेकर बीबी खीवीं, बीबी भानी, बीबी अमरो, माता गंगा, माता दमोदरी, कुर्बानी की पुंज माता गुजरी, खालास जी की माता साहिब कौर जी, माई भागो, बीबी शरण कौर जी आदि का नाम लिए बिना सिख इतिहास लिखा नहीं जा सकता है। बीबी उपकार, बीबी प्रीतम कौर, बीबी संदीप कौर ने मैदाने जंग में अपनी वीरता का परिचय दिया। समाज सेवा के क्षेत्र में भी बीबी इंद्रजीत कौर तथा बीबी किरणजीत कौर का नाम फक्र से लिया जा सकता है। कीर्तन के क्षेत्र में भी बीबी बलजीत कौर का आज भी कोई मुकाबला नहीं है।
उन्होंने जत्थेदार गुरबचन सिंह से कहा कि सिख इतिहास में महिलाओं के योगदान के बावजूद आज भी सिख महिलाओं को वह स्थान हासिल नहीं है, जिसकी वे हकदार हैं। महिलाओं को सिंह पंजप्यारों की तरह अमृत संचार में भाग न लेने देना महिलाओं के साथ धक्का है। अगर महिलाओं को यह अधिकार मिलता है तो पूरे विश्व में सिख धर्म का नाम और बढ़ेगा।