गोबिंद सिंह लोंगोवाल चुने गए एसजीपीसी के नए अध्यक्ष

Edited By Punjab Kesari,Updated: 29 Nov, 2017 03:42 PM

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अमृतसरः शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के चुनाव में गोबिंद सिंह लोंगोवाल को अध्यक्ष चुना गया है। वह प्रो. कृपाल सिंह बंडूगर का स्‍थान लेंगे। लोंगोवाल शिरोमणि अकाली दल अध्‍यक्ष सुखबीर सिंह बादल के विश्‍वासपात्र माने जाते हैं। चुनाव एस.जी.पी.सी. की आम सभा में हुआ। लोंगोवाल के नाम का प्रस्‍ताव अकाली दल बादल ने किया जबकि विरोधी पंथक गुट ने अमरीक सिंह शाहकोट का नाम दिया था। लोंगोवाल को 154 मत मिले और अमरीक सिंह मात्र 15 मत हासिल कर सके।

2011 से नहीं हुए हैं एसजीपीसी के चुनाव
2011 से सहजधारियों को वोट का अधिकार न देने को लेकर यह विवाद सर्वोच्च अदालत में रहा, जिसके चलते चुनाव नहीं हो सके। नियमानुसार हरेक वर्ष नवंबर में जरनल इजलास आयोजित किया जाता है। इजलास में अध्यक्ष के साथ साथ कार्यकारिणी के सदस्यों का भी चुनाव होता है। प्रो बडूंगर गत वर्ष नवंबर में ही एस.जी.पी.सी. अध्यक्ष चुने गए थे। बडूंगर भी एस.जी.पी.सी. के नामिनेटेड सदस्य थे। 
 
कौन है लोंगोवाल
बता दें लोंगोवाल 1985, 1997 व 2002 में धनौला से विधायक रह चुके हैं।  बेदाग शख्सियत भाई गोबिन्द सिंह लोंगोवाल का जन्म 18 अक्तूबर 1956 को जिला संगरूर के गांव लोंगोवाल में हुआ और वह एम.ए पंजाबी हैं। संत हरचन्द सिंह लोंगोवाल के राजनीतिक वारिस भाई गोबिन्द सिंह लोंगोवाल साल 1985 में पहली बार हलका धनौला से शिरोमणि अकाली के विधायक चुने गए और मार्कफेड पंजाब के चेयरमैन रहे। फिर 1997 से 2002 तक बादल मंत्रिमंडल में राज्यमंत्री भी रहे । 2002 से 2007 तक फिर विधायक बने और 2015 में हलका धूरी के उपचुनाव जीत कर फिर विधायक बने। भाई गोबिन्द सिंह लोंगोवाल साल 2011 में हलका लोंगोवाल जनरल से एस.जी.पी.सी मैंबर बने और आज उन्होंने एस.जी.पी.सी का प्रधान चुना गया। 


एस.जी.पी.सी.  सिखों की मिनी पार्लियामैंट 

एस.जी.पी.सी. सिखों की मिनी पार्लियामैंट मानी जाती है। ऐसे में सभी की नजरें दरबार साहिब परिसर में स्थित इसके मुख्यालय तेजा सिंह समुंदरी हाल में हुए एस.जी.पी.सी. के जनरल इजलास पर टिकी थीं। एस.जी.पी.सी. की स्थापना लंबे संघर्षों के बाद 15 नवंबर 1920 को हुई थी। सिख धर्मिक स्थानों व गुरुद्वारा साहिबों को महंतों के प्रबंधों से छुड़वा कर एस.जी.पी.सी. की मैनेजमेंट के तहत लाने में इसकी विशेष भूमिका रही है।


1.48 अरब रुपए का बजट

एस.जी.पी.सी. ने वर्ष 2017-18 के लिए एक अरब, 48 करोड़, 69 लाख रुपए का बजट रखा है जो तीन श्रेणियों में विभाजित है। जनरल बोर्ड फंड 64 करोड़, 50 लाख रखा गया है। ट्रस्ट फंड में 51 करोड़ 29 लाख है, जबकि शिक्षा के लिए 33 करोड़ का बजट है। एसजीपीसी अपने बजट का सबसे अधिक खर्च धर्म प्रचार पर करती है। पिछले पांच वर्षों में यह बजट 50 गुणा से अधिक बढ़ा है। 

एसजीपीसी के सामने चुनौतियां

*पंथक एकता को हर हाल में कायम रखना। 
 *सामाजिक कुरीतियों को सिख धर्म से समूल खत्म करना। 
*नानकशाही कैलेंडर विवाद को हल करना। 
*सिख कौम में से जात-पात को खत्म करना। 
*डेरा वाद को खत्म करना। 
*सिखों में साबत स्वरूप को धारण करवाना। 
*सिख परिवारों के बच्चों में केस कटवाने के बढ़ रहे रुझान को बंद करवाना। 
*धर्म प्रचार को घर-घर तक पहुंचाना। 
*पर्यावरण की सुरक्षा के लिए विशाल लहर पैदा करके इसको जन-जन की लहर बनाना। 
*भ्रूण हत्या के खिलाफ जन आंदोलन। 
*ऑपरेशन ब्लू स्टार के दौरान श्री हरिमंदिर साहिब का जो सामान सेना अपने साथ ले गई थी उसको वापस लाना। 
*देहधारी गुरू परंपरा को समाप्त करवाना। 
*श्री गुरू ग्रंथ साहिब की हुई बेअदबी के आरोपियों के चेहरे बेनकाब करवाना। 
*गुरूद्वारा साहिबों में श्री गुरु ग्रंथ साहिब समेत विभिन्न धार्मिक पुस्तकों की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करवाना। 
*सभी सिखों को अमृतपान करवाना। 
 

 

 
कौन कौन रह चुके हैं एसजीपीसी के अध्यक्ष-

सिख गुरुद्वारा एक्ट लागू होने से पहले

सुंदर सिंह मजीठिया 12 अक्टूबर 1920 से 14-8-1921 तक 
बाबा खड़क सिंह 14-8-1921 से 19-2-1922 
सुंदर सिंह रामगडिया 19-2-1922 से 16-7-1922 
बहादर मेहताबसिंह 16-7-1922 से 27-4-1925 
मंगल सिंह 27-4-1925 से 2-10-1926 

गुरुद्वारा एक्ट लागू होने के बाद रहे अध्यक्ष  

बाबा खड़क सिंह 2-10-1926 से 12-10-1930 
मास्टर तारा सिंह 2-10-1930 से 17-6-1933 
गोपाल सिंह 17-6-1933 से 18-6-1933 
प्रताप सिंह शंकर 18-6-1933 से 13-6-1936 
मास्टर तार सिंह 13-6-1936 से 19-11-1944 
मोहन सिंह नागोके 19-11-1944 से 28-6-1948 
उधम सिंह नागोके 28-6-1948 से 18-3-1950 
चन्न सिंह उराड़ा 8-3-1950 से 26-11-1950 
उधम सिंह नागोके 26-11-1950 से 29-6-1952 
मास्टर तारा सिंह  29-6-1952 से 5-10-1952 
प्रीतम सिंह खुड़ंज 5-10-1952 से 18-1-1954 
ईशरसिंह मंझैल  18-1-1954 से 7-2-1955 
मास्टर तारा सिंह  7-2-1955 से 21-5-1955 
बावा हर किशन सिंह   21-5-1955 से 7-7-1955 
ज्ञान सिंह राड़ेवाल  7-7-1955 से 16-10-1955 
मास्टर तारा सिंह 16-10-1955 से 16-11-1958 
प्रेम सिंह लालपुरा 16-11-1958 से 7-3-1960 
मास्टर तारा सिंह  7-3-1960 से 30-4-1960 
अजीत सिंह बाला  30-4-1960 से 10-3-1961 
मास्टर तार सिंह 10-3-1961 से 11-3-1962 
कृपाल सिंह चक्क शेरवाला 11-3-1962 से 2-10-1962 
चन्न सिंह   2-10-1962 से 30-11-1972 
गुरचरन सिंह टोहड़ा 6-1-1973 से 23-3-1986 
काबल सिंह  23-3-1986 से 30-11-1986 
गुरचरन सिंह टोहरा  30-11-1986 से 28-11-1990 
बलदेव सिंह सिबिया   28-11-1990 से 13-11-1991 
गुरचरन सिंह टोहरा   28-11-1991 से 13-10-1996 
गुरचरन सिंह टोहरा     20-12-1996 से 16-3-1999 
बीबी जगीर कौर 16-3-1999 से 30-11-2000 
जगदेव सिंह तलवंडी    30-11-2000 से 27-11-2001 
किरपाल सिंह बडूंगर     27-11-2001 से 20-7-2003 
गुरचरन सिंह टोहरा      20-7-2003 से 31-3-2004 
अलङ्क्षवदर पाल सिंह पखोके  1-4-2004 से 23-9-2004 
बीबी जगीर कौर  23-9-2004 से 23-11-2005 
अवतार सिंह मक्कड़ 23-11-2005 से  5-11-2016 तक 
प्रो. कृपाल सिंह बडूंगर 5-11-2016  से 29-11-2017

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