कैप्टन के छह माह के कार्यकाल में 237 किसानों ने की आत्महत्या

Edited By Punjab Kesari,Updated: 19 Sep, 2017 09:24 PM

237 farmers committed suicide in captains six month term

भारतीय जनता पार्टी(भाजपा)की पंजाब इकाई ने मंगलवार को यहां कहा कि वह अपने उस बयान पर अडिग है कि पंजाब की....

चंडीगढ़: भारतीय जनता पार्टी(भाजपा)की पंजाब इकाई ने मंगलवार को यहां कहा कि वह अपने उस बयान पर अडिग है कि पंजाब की कांग्रेस सरकार के छह महीने के शासनकाल में 237 किसान आत्महत्या कर चुके हैं और मुख्यमंत्री चाहते हैं तो वह आत्महत्या कर चुके किसानों की सूची पंजाब सरकार को सौंपने को तैयार हैं।

भाजपा की पंजाब इकाई के अध्यक्ष विजय सांपला मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें कैप्टन ने विपक्षीय पार्टियों पर किसानों के मुद्दे पर झूठ और मनगढ़ंत कुप्रचार का आरोप लगाया था। सांपला ने कहा कि पूर्ण कर्ज माफी का चुनावी वायदा कैप्टन ने किया था इसलिए उस वायदे की याद दिलाने को राजनीति कैसे करार दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसान आत्महत्या उनकी (विपक्षी नेताओं की ) गलतबयानी से निराश होकर नहीं कर रहे बल्कि मुख्यमंत्री की वायदाखिलाफी से निराश होकर किसान आत्महत्या कर रहे हैं। 

सांपला के अनुसार इस बात की पुष्टि तब हो गई, जब अजनाला तहसील के तेड़ाकलां गाँव के किसान मेजर सिंह ने अपने सुसाइड नोट में कांग्रेस सरकार की वायदा खिलाफी को आत्महत्या के लिए जिम्मेदार ठहराया था। इसके अलावा जिस दिन मुख्यमंत्री ने विधानसभा में पूर्ण कर्जा माफी से मुकरते हुए सिर्फ दो लाख रुपए की कर्जा माफी की बात कही तो गुरदासपुर जिले के बालापिंड गाँव के रहने वाले 47 वर्षीय इंद्रजीत सिंह ने आत्महत्या कर ली। 

भाजपा नेता ने कैप्टन की नीयत पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि वित्तीय स्थिति खराब होने के कारण कैप्टन पूर्ण कर्ज माफी नहीं कर पा रहे हैं, पर यह समझ नहीं आ रहा कि जिन चुनावी वायदों में ज्यादा वित्तीय भार नहीं पड़ता, वह क्यों नहीं पूरे किए जा रहे जैसे कि प्राकृतिक आपदा का मुआवजा 20 हजार रुपए प्रति एकड़, आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार को 10 लाख मुआवजा तथा उस घर में एक नौकरी देने, सब्सिडी किसानों के खातों में डालना, प्राइसिस स्टेबेलाइस फंड बनाना तथा हर किसान को पांच लाख तक लाइफ व हेल्थ इंश्योरेंस देने जैसे वायदे। 

सांपला ने आरोप लगाया कि कैप्टन सरकार पंचायती राज एक्ट में संशोधन कर पंचों-सरपंचों को बर्खास्त करने का अधिकार डायरेक्टर पंचायत अफसर से लेकर जिले के डी.सी. को सौंपने जा रही हैं, इससे किसान की अपने गांव की अपनी चुनी हुई पंचायत जिला अधिकारियों के रहमो-कर्मों पर निर्भर हो जाएगी और किसान बुरी तरह से टूट जाएगा। 

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