Edited By Punjab Kesari,Updated: 13 Aug, 2017 10:37 AM
1965 और 1971 में पाकिस्तान से हुए युद्धों में भारत के कुछ सैनिकों को पाकिस्तान ने अपनी जेलों में कैद कर लिया था। लगभग 214 सैनिक अभी भी पाकिस्तान की जेलों में बंद हैं। उनमें से कुछ सैनिकों को उनके घरवाले शहीद समझ बैठे थे।
जालंधर (कमलेश) : 1965 और 1971 में पाकिस्तान से हुए युद्धों में भारत के कुछ सैनिकों को पाकिस्तान ने अपनी जेलों में कैद कर लिया था। लगभग 214 सैनिक अभी भी पाकिस्तान की जेलों में बंद हैं। उनमें से कुछ सैनिकों को उनके घरवाले शहीद समझ बैठे थे।
उनके जीवित होने की खबर उन्हें उन सैनिकों से मिलती है, जो पाकिस्तान की जेलों में से छूट कर आते हैं। ऐसे ही पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीय सैनिकों के 6 पीड़ित परिवारों ने आज एक प्रैस कांफ्रैंस के दौरान अपनी व्यथा सुनाई। इन पीड़ित परिवारों ने सरकार से गुहार लगाई है कि उनके परिजनों को पाकिस्तान की जेलों में से मुक्त करवाया जाए।
प्रैस कांफ्रैंस के दौरान पाकिस्तान की जेल में मारे गए सर्बजीत सिंह की बहन दलबीर कौर भी मौजूद थी। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की जेलों में कई भारतीय बंद हैं और उनको जेलों से मुक्त करवाने के सिलसिले में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज व प्रधानमंत्री के प्रिंसीपल सैक्रेटरी से भी मुलाकात कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें जेलों से रिहा करवाना सरकार का फर्ज बनता है। ऐसा करने के लिए वे भविष्य में भी संघर्ष करती रहेंगी।
गुहार लगाने वाले पीड़ित परिवार
-अरसिंद्र सिंह वासी भटिंडा के पिता, जो 4 सिख रैजीमैंट में कार्यरत थे, को1971 की जंग में पाकिस्तान द्वारा कैद कर लिया गया।
- परमजीत कौर वासी भटिंडा के पिता, जो 102 इंजीनियर बटालियन में कार्यरत थे, को 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान द्वारा बंदी बना लिया गया।
- सुरजीत कौर वासी भटिंडा के पति को 1971 की जंग में पाकिस्तान द्वारा कैद कर लिया गया।
-अमरीक सिंह के पिता सुरजीत सिंह (57 बटालियन) को 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान द्वारा बंदी बनाया गया।
-महा सिंह वासी कर्मगढ़ (बरनाला) के पिता को 1965 की जंग में पाकिस्तान द्वारा कैद कर लिया गया।
इन सभी भारतीय सैनिकों को ज्यादातर लाहौर स्थित पाकिस्तान की कोट लखपत जेल में रखा जाता है, इसलिए जब भी यहां से कोई रिहा होता है तो भारत में उनके संबंधियों को उनके जिंदा होने के बारे में सूचित करता है।