Edited By Punjab Kesari,Updated: 10 Jul, 2017 02:22 PM
भले ही समय की सरकारों द्वारा पशु पालकों व अन्य लोगों को कृषि के साथ-साथ डेयरी का धंधा अपनाने हेतु उत्साहित किया जाता हैं परंतु जिन लोगों ने पशु रखे हुए हैं, उनकी ओर सरकारें कम ही ध्यान दे रही हैं क्योंकि पशु पालकों को ग्रामीण क्षेत्रों
श्री मुक्तसर साहिब (तनेजा): भले ही समय की सरकारों द्वारा पशु पालकों व अन्य लोगों को कृषि के साथ-साथ डेयरी का धंधा अपनाने हेतु उत्साहित किया जाता हैं परंतु जिन लोगों ने पशु रखे हुए हैं, उनकी ओर सरकारें कम ही ध्यान दे रही हैं क्योंकि पशु पालकों को ग्रामीण क्षेत्रों में अपने पशुओं का उपचार करवाने के लिए सुविधाएं नहीं मिल रही हैं, जिस कारण कई बार समय पर उपचार न होने से पशुओं की मौत हो जाती है व पशु पालकों का हजारों रुपए का नुक्सान हो जाता है। ‘पंजाब केसरी’ द्वारा जिला श्री मुक्तसर साहिब के ग्रामीण क्षेत्रों की यह विशेष रिपोर्ट तैयार की गई है, जिस दौरान कई तरह के हैरानीजनक तथ्य सामने आए हैं।
जानकारी के अनुसार जिले के 4 ब्लाकों श्री मुक्तसर साहिब, लंबी, गिद्दड़बाहा व मलोट के अधीन कुल 241 गांव आते हैं परंतु 241 गांवों में से मात्र 103 गांवों में ही सरकारी पशु अस्पताल व पशु डिस्पैंसरियां हंै, जबकि 138 ऐसे गांव हैं जहां न तो कोई सरकारी पशु अस्पताल है व न ही कोई सरकारी पशु डिस्पैंसरी। ऐसे गांवों के लोग जिनके अपने घरों में पशु रखे हुए हैं, बेहद परेशान हैं क्योंकि जब भी उनका कोई पशु बीमार होता है तो उन्हें बाहर से डाक्टर बुलाना पड़ता है व कई बार तो समय पर डाक्टर नहीं मिलता।
उल्लेखनीय है कि जिले भर में इस समय 3 लाख 20 हजार 940 पशु हैं, जिनमें से 1 लाख 57 हजार 105 भैंसें हैं, जबकि 1 लाख 12 हजार 199 गायें हैं। इसके अतिरिक्त घोड़े, गधे व खच्चरों की संख्या भी 3,505 है। भेड़ों, बकरियों व पालतू कुत्तों की संख्या इससे अलग है। पशु पालन विभाग के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जिले के 42 गांवों में सिविल अस्पताल चलाए जा रहे हैं व इन अस्पतालों में वैटर्नरी अधिकारी पशुओं का उपचार करते हैं, जबकि 60 गांवों में सरकारी पशु डिस्पैंसरियां हैं व इन डिस्पैंसरियों में वैटर्नरी इंस्पैक्टर पशुओं का उपचार करते हैं। सिविल पशु अस्पतालों में 17 के करीब वैटर्नरी अधिकारियों के पद खाली हैं, जबकि पशु डिस्पैंसरियों में 10 के करीब वैटर्नरी इंस्पैक्टरों के पद खाली हैं।
पशु पालन विभाग का कहना है जिन गांवों में पशु अस्पताल या पशु डिस्पैंसरियां नहीं हैं, उन गांवों को नजदीकी पशु अस्पतालों के साथ जोड़ा गया है व प्रत्येक गांव में समय से पशुओं को मुंह खोर व गलघोटू की बीमारी से बचाने के लिए वैक्सीन मुहैया करवाई जा रही है। गांवों के लोगों की पंजाब सरकार से मांग है कि प्रत्येक गांव में सरकारी पशु अस्पताल खोला जाए ताकि बीमार हुए पशुओं का उपचार समय पर हो सके व पशु पालकों का कोई नुक्सान न हो।