Edited By Updated: 28 Dec, 2016 01:21 PM
गिद्दड़बाहा विधानसभा हलका मुख्य तौर पर शिअद का गढ़ रहा है। यहां एक उप-चुनाव सहित कुल 12 चुनावों में 9 बार शिअद का कब्जा रहा है।
गिद्दड़बाहा विधानसभा हलका मुख्य तौर पर शिअद का गढ़ रहा है। यहां एक उप-चुनाव सहित कुल 12 चुनावों में 9 बार शिअद का कब्जा रहा है।
कार्य जो नहीं हो सके
गिद्दड़बाहा रेलवे लाइन से आधा बटा हुआ है। एक ओर शहर तो दूसरी ओर मोहल्ला बैंटाबाद और गिद्दड़बाहा गांव है। लोगों को अपने अधिकतर कामों के लिए रेलवे लाइन को क्रास करना पड़ता है जिसके चलते लोगों की मांग है कि या तो लंबी रोड फाटक पर या फिर प्योरी रोड फाटक पर रेलवे फ्लाईओवर बनाया जाए परन्तु आज तक आई सभी सरकारों ने फ्लाईओवर के लिए मात्र आश्वसन ही दिए। हां इतना जरूर है कि इन दिनों गिद्दड़बाहा रेलवे स्टेशन पर फुट ओवर ब्रिज बनने का कार्य चल रहा है परन्तु इससे वाहन चालकों को रेलवे लाइन पार करने का काम इन्हीं दोनों फाटकों के माध्यम से करना पडे़गा। इसके अलावा गिद्दड़बाहा में 50 बिस्तर वाला सिविल अस्पताल तो है परन्तु अफ्सर यहां पर डॉक्टरों की भारी कमी रहती है। जिसके चलते मरीजों को प्राईवेट अस्पतालों से इलाज करवाना पड़ता है और साथ ही आपातकालीन स्थिति में डॉक्टरों द्वारा मरीज को प्राथमिक सहायता देने के बाद भटिंडा सहित अन्य शहरों के बड़े अस्पतालों में रैफर कर दिया जाता है।
कोई बड़ा उद्योग नहीं
कई वर्ष पूर्व गिद्दड़बाहा मलोट रोड पर स्थित गांव फकरसर-थेडी में पावर थर्मल प्लाट बनाने के सरकारों के वायदे भी वफा नहीं हो सके। सेम से पीड़ित इस इलाके के किसान खेतों में फसल न होने के चलते परेशान रहते थे तो सरकार ने इनके आंसू पोछने के लिए यहा पर अति आधुनिक तकनीक का 2640 मैगावाट समार्थय वाला पावर थर्मल प्लाट बनाने का सपना दिखाया और भूमि प्राप्ति एक्ट 1894 के सैक्शन 4 और सैक्शन 6 के नोटिस भी जारी कर दिए गए। इसके साथ ही इस थर्मल प्लाट को लगाने जा रही कंपनी एन.टी.पी.सी. द्वारा भूमि की मिट्टी के सैंपल भी ले लिए गए परंतु गांव घग्गा, थेहडी और बुबानिया की 450 एकड़ सेम प्रभावित व 1650 एकड़ उपजाऊ जमीन पर थर्मल नहीं बन सका, फिर पता नहीं क्या हुआ कि सरकार द्वारा कभी कोल लिंक की मंजूरी न मिलने तो कभी अन्य किसी कारण के चलते इस पूरे प्रोजैक्ट को ही ठंडे बस्ते में डाल दिया। इलाके में कोई बड़ा उद्योग न होने के कारण युवा नौकरियों के लिए भटिंडा सहित अन्य बड़े शहरों में जाना पड़ता है।