ओपन कृषि जेल नाभा उम्र कैदियों के लिए शांति निकेतन बनी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jan, 2018 05:37 PM

nabha jail

इस समय 125 करोड़ आबादी वाले विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्रीय देश भारत में कुल 18 जेलें ऐसी हैं, जहां कत्ल के मामलों में उम्र कैद की सजा काटने वाले कैदी खुले आसमान के नीचे जिंदगी व्यतीत करते हैं।

नाभा(जैन): इस समय 125 करोड़ आबादी वाले विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्रीय देश भारत में कुल 18 जेलें ऐसी हैं, जहां कत्ल के मामलों में उम्र कैद की सजा काटने वाले कैदी खुले आसमान के नीचे जिंदगी व्यतीत करते हैं। 

पंजाब, हरियाणा, हिमाचल आदि प्रदेशों में से केवल अकेली जेल यहां है, जिसे ओपन कृषि जेल के नाम से जाना जाता है। इस जेल का उद्घाटन 10 अक्तूबर 1976 को उस समय के जेल मंत्री श्री यश ने किया था। जब जेल बनाई तो जेल कॉम्पलैक्स में 1200 एकड़ जमीन थी, जिसमें कृषि से लाखों रुपए मासिक आय होती थी परन्तु अब इस जेल के पास 65 एकड़ जमीन है। 3 बैरकों में 89 कैदी रहते हैं। बैरकों में पंखे लगे हुए हैं। 

कत्ल के मामलों में उम्र कैद की सजा भुगत रहे कैदी जो 
अलग-अलग जेलों में 5 साल अनुशासन में रहकर अच्छा आचरण पेश करते हैं और जिंदगी में सुधार लाकर अच्छा नागरिक बनना चाहते हैं। उन्हें पंजाब की अलग-अलग जेलों में 8 साल 6 माह की सजा काटने के बाद इस ओपन जेल में तबदील कर दिया जाता है। उत्तरी भारत की यह एक ऐसी अकेली जेल है, जहां कैदी खुले आसमान के नीचे खुली हवा में कृषि करते हैं। किसी भी कैदी के पारिवारिक मैंबर पत्नी/बच्चे इस जेल में मिलने के अलावा रात के समय अलग सैल में कैदी के साथ रुक भी सकते हैं। जेल में गुरुद्वारा साहिब है, लंगर हाल है, कैदियों को प्रतिदिन 40 रुपए दिहाड़ी मिलती है। 

जेल सुपरिंटैंडैंट लगने के लिए कोई नहीं होता तैयार 
जब इस जेल में गेहूं और धान सीजन दौरान फसल मंडियों में जाकर बिकती थी तो इस कमाऊ जेल में सुपरिंटैंडैंट लगने के लिए सी.एम. हाऊस और जेल मंत्री की सिफारिश लगती थी परन्तु अब यहां जेल सुपरिंटैंडैंट लगने के लिए कोई तैयार नहीं।

..तो होगी करोड़ों रुपए की आय
यदि जेल विभाग मुख्य सड़क पर जेल जमीन में शापिंग कॉम्पलैक्स का निर्माण करवा दे तो जेल विभाग को करोड़ों रुपए की आय हो सकती है परन्तु पंजाब की किसी भी सरकार ने इस तरफ ध्यान नहीं दिया। पिछले 42 सालों दौरान इस जेल में कभी भी घटना नहीं घटी जबकि स्थानीय मैक्सिमम सिक्योरटी जेल और जिला जेल दोनों हमेशा चर्चा में ही रही हैं। 

जुलाई 2017 में कृषि से जेल को 4,51,216 रुपए आय हुई 
सरकारी आंकड़ों से अनुसार साल 2016 में कैदियों ने 174 किं्वटल गेहूं और साल 2017 में 246  क्विंटल गेहूं पैदा की।  जुलाई 2017 में कृषि से जेल को 4,51,216 रुपए आय हुई थी जबकि दिसम्बर 2017 में 1072 किं्वटल चारा और इस माह 2009 क्विंटल हरा चारा कृषि फार्म रौणी भेजा गया। जेल विभाग की अनदेखी कारण जेल की जमीन पर नाजायज कब्जा करके पुडा ने दीवार बनाई जबकि ओपन जेल चारों तरफ से ही ओपन है।

सब्जियां बेचकर कमाई करके करवाई जेल में मुरम्मत

 3 सप्ताह पहले इस जेल में सुपरिटैंडैंट के तौर पर सुच्चा सिंह डी.एस.पी. ने पदभार संभाला है, जिन्होंने प्याज, मूलियां, शलगम और अन्य सब्जियां आदि सड़क पर रख कर कैदियों से बिक्री करवाईं जिनसे हुई आय के साथ जेल में मुरम्मत के काम करवाए जिसके साथ यह जेल अब कैदियों के लिए शांति निकेतन बन गई है। जेल सुपरिटैंडैंट सुच्चा सिंह ने बताया कि कैदी अपना खाना आप तैयार करते हैं। कृषि करते हैं। पानी सप्लाई के लिए 3 ट्यूबवैलों पर 18 कैदी तैनात हैं जबकि कुछ कैदी सफाई का काम करते हैं। गेहूं की फसल 9 एकड़ जमीन में होती है। धान फसल से तैयार चावल अन्य जेलों में सप्लाई किए जाते हैं। प्रत्येक रविवार इस जेल में खीर बनती है। हफ्ते में 2 बारी कैदी अपने पारिवारिक सदस्यों के साथ मोबाइल पर बातचीत कर सकते हैं। साल में 84 दिन पैरोल पर कैदी घर जा सकता है। इस समय जेल सुपरिटैंडैंट के अलावा 5 हैड वार्डन, 7 वार्डन और दफ्तर में 2 मुलाजिम, 1 हैल्थ फार्मासिस्ट तैनात हैं जबकि 2 सहायक सुपरिटैंडैंट समेत कई वार्डनों की पोस्टें खाली पड़ी हैं। जेल में 3 ट्रैक्टर-ट्रालियां हैं। 

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