धमाके से फैक्टरी तहस-नहस, घरों की दीवारें हिलीं

Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Feb, 2018 09:31 AM

blast in factory

फूड प्रोसैसिंग फैक्टरी (हिमालया फ्रैश प्रोटीन फैक्टरी) में हुए सिलैंडर ब्लास्ट से पूरा इलाका दहल गया। यह फैक्टरी संधारसी गांव के पास है। मौके पर खड़े हरविंदर सिंह नामक व्यक्ति ने बताया कि रात करीब 1.40 मिनट पर बड़े धमाके की आवाज सुनाई दी। धमाके से...

पटियाला(बलजिन्द्र/ अली/चावला) : फूड प्रोसैसिंग फैक्टरी (हिमालया फ्रैश प्रोटीन फैक्टरी) में हुए सिलैंडर ब्लास्ट से पूरा इलाका दहल गया। यह फैक्टरी संधारसी गांव के पास है। मौके पर खड़े हरविंदर सिंह नामक व्यक्ति ने बताया कि रात करीब 1.40 मिनट पर बड़े धमाके की आवाज सुनाई दी। धमाके से आसपास के गांवों के घरों की दीवारें तक हिल गईं। जहां तक फैक्टरी का सवाल है तो फैक्टरी तो एक तरह से तहस-नहस हो गई।गैस के बुरे प्रभावों को रोकने के लिए तुरंत नैशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (एन.एफ.एल) बठिंडा और नैशनल डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एन.डी.आर.एफ.) बुलाई गई।

टीमों ने 12.30 बजे इलाका सील करके ज्वाइंट ऑप्रेशन शुरू किया और शाम 4 बजे तक ऑप्रेशन पूरा हुआ। दोनों टीमों ने जिन स्थानों से गैस लीक हो रही थी, वे सारे प्वाइंट बंद किए। जब तक ऑप्रेशन चला तब तक किसी को भी नजदीक नहीं जाने दिया गया। दोनों टीमों ने काफी तकनीकी तरीकों से काम किया। इसके अलावा 5 शहरों पटियाला, राजपुरा, संगरूर, अंबाला और  मोहाली से एक दर्जन से अधिक फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां मंगवाई गईं, क्योंकि अमोनिया गैस पर पानी के छिड़काव से इसका काफी प्रभाव कम हो जाता है। इस कारण लगातार फैक्टरी और आसपास पानी का छिड़काव किया गया। 

तापमान बढने के कारण बैरल की एक साइड में हुआ ब्लास्ट : डी.एस.पी. गिल
डी.एस.पी. हरजिंदर सिंह गिल ने बताया कि ब्लास्ट होने के सही कारणों संबंधी तो तकनीकी जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है पर शुरूआती जांच में पाया गया कि जो बैरल गैस सप्लाई करती है, उसका तापमान बढऩे के कारण उसकी एक साइड में ब्लास्ट हो गया। 

3 घंटे बाद पहुंची फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां
फूड प्रोसैसिंग फैक्टरी में हुए हादसे से फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां 3 घंटे बाद पहुंचीं। इलाके के लोगों ने घायलों को अस्पताल पहुंचाया और गैस पर काबू पाने की कोशिश की।  घनौर और आसपास के 200 गांवों के लिए फायर ब्रिगेड ही नहीं है। पटियाला या फिर राजपुरा से फायर ब्रिगेड की गाडिय़ां पहुंचती हैं, जिन्हें पहुंचने में 40 से 45 मिनट का समय लगता है। 

क्या कहते हैं डाक्टर
अमोनिया गैस के प्रभावों बारे जानकारी देते हुए पंजाब रूरल मैडीकल एसोसिएशन के प्रदेश प्रधान डा. असलम परवेज ने बताया कि अधिक मात्रा में अमोनिया गैस रिसने के कारण सेहत पर काफी अधिक बुरा प्रभाव पड़ता है। अमोनिया से नाक और गला घुटने के कारण मौत हो जाती है। इसके अलावा इस का फेफड़ों पर भी काफी अधिक बुरा प्रभाव पड़ता है। अधिक रिसाव के कारण आंखों की रोशनी जा सकती है और शरीर के कई अन्य हिस्सों पर भी बुरे प्रभाव पड़ते हैं।

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