गुजरात में 151 सीट हासिल करना क्यों है भाजपा का लक्ष्य

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 06 Dec, 2022 04:45 PM

why is bjp aiming to get 151 seats in gujarat

गुजरात में चुनावों के चरण पूरे हो गए हैं और 8 दिसंबर को परिणाम आ जाएगा।

सूरत (विशेष): गुजरात में चुनावों के चरण पूरे हो गए हैं और 8 दिसंबर को परिणाम आ जाएगा। इस बीच भाजपा इस चुनाव में सबसे बड़ा लक्ष्य लेकर चल रही है औऱ वह टार्गेट है 151 सीटों का। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने 5 नवंबर को मुंबई में सबसे पहले इस आंकड़े का ऐलान किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुंबई में एक बैठक में 151 के आंकड़े की पुष्टि पर मोहर लगा दी। बेशक पार्टी के सर्वे में 140 सीटें उनके पक्ष में आ रही हैं। 

जानकारी के अनुसार पार्टी 151 का लक्ष्य इसलिए लेकर चल रही है क्योंकि पार्टी इसके साथ दो रिकार्ड बनाना चाहती है। 1995 में भाजपा ने प्रदेश में केशु भाई पटेल के नेतृत्व में पहली बार चुनाव जीता था। तब पार्टी को 121 सीटें मिलीं थीं जबकि 2002 में पहली बार मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पार्टी ने चुनाव जीत कर 127 सीटें जीतीं थीं। पार्टी अपना यह रिकार्ड तो तोड़ना चाहती है। साथ ही 1985 के चुनावों में कांग्रेस द्वारा जीती राज्य में सबसे अधिक 149 सीटों का रिकार्ड ब्रेक करना भी पार्टी का लक्ष्य है। 

14 से 49 फीसदी तक का वोट शेयर
गुजरात में पिछले 27 सालों से भाजपा का कब्जा है। भाजपा की स्थापना के साथ ही गुजरात में भाजपा के उत्थान को समझने के लिए एक नजर उन आंकड़ों पर भी डालना जरूरी है। पार्टी ने 1980 में 14% वोट शेयर से सफर शुरू करके 2017 आते आते 49.80% वोट शेयर पाने तक का सफर पूरा किया। भाजपा की स्थापना के बाद पार्टी ने 1980 के विधानसभा चुनाव में 14% वोट शेयर के साथ 9 सीटें हासिल कर डेब्यू किया था। उसके बाद सन 1985 में भाजपा ने गुजरात विधानसभा चुनाव में 15% वोट हासिल कर 11 सीटें जीती थीं। 

उतरी गुजरात पर फोकस
उत्तरी गुजरात की 32 सीटों पर पिछले दो चुनावों में कांग्रेस का बेहतर प्रदर्शन रहा है, जबकि इस बार भाजपा का दावा है कि इस क्षेत्र में उसका ग्राफ बढ़ा है और वह सभी सीटों पर बेहतर परिणाम देगी। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि पूर्व गृह मंत्री विपुल चौधरी की गिरफ्तारी के कारण भाजपा को कुछ क्षेत्रों में बगावत का सामना करना पड़ा है। प्रमुख अन्य पिछड़ा वर्ग (ओ.बी.सी.), चौधरी समुदाय के बीच नाराजगी का अंदेशा है। साथ ही स्थानीय जाति समीकरण और उम्मीदवारों का चयन प्रक्रिया के अंतिम परिणाम में एक प्रमुख भूमिका निभाने की संभावना है।

मोदी ने की धुआंदार रैलियां लेकिन..
गुजरात चुनाव में इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैलियां पिछले चुनाव के मुकाबले कम रहीं। आंकड़े बताते हैं कि 2017 में प्रधानमंत्री मोदी ने 34 रैलियां की थीं, जबकि इस बार उससे कम 31 रैलियों में ही पूरे गुजरात से संपर्क साधा है। हालांकि इस बार प्रधानमंत्री का 50 किलोमीटर का रोड शो जरूर चर्चा में बना हुआ है। सियासी जानकारों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यह 50 किलोमीटर का रोड शो बूस्टर रोड शो हो सकता है।

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