Edited By Updated: 18 Feb, 2017 07:20 PM
यू.पी. चुनाव के प्रचार से काफी दिनों तक दूर रहने के बाद प्रियंका गांधी द्वारा एकाएक रायबरेली पहुंचने के पीछे अखिलेश यादव द्वारा समाजवादी पार्टी व कांग्रेस के बीच हुए गठबंधन के तहत अमेठी व रायबरेली को लेकर तय शर्त तोडऩा एक बड़ी वजह के रूप में सामने...
लुधियाना (हितेश): यू.पी. चुनाव के प्रचार से काफी दिनों तक दूर रहने के बाद प्रियंका गांधी द्वारा एकाएक रायबरेली पहुंचने के पीछे अखिलेश यादव द्वारा समाजवादी पार्टी व कांग्रेस के बीच हुए गठबंधन के तहत अमेठी व रायबरेली को लेकर तय शर्त तोडऩा एक बड़ी वजह के रूप में सामने आया है।
प्रियंका का अमेठी से बचपन का रिश्ता है जब वह पिता राजीव गांधी के चुनाव लडऩे के दौरान अपनी मां सोनिया गांधी के साथ वहां जाती रही है, फिर जब सोनिया ने खुद वहां से चुनाव लड़ा तो प्रियंका ने ही कमान संभाली। अब अमेठी से राहुल गांधी सांसद हैं तो साथ लगती रायबरेली से सोनिया। इन दोनों सीटों का काम प्रियंका ही देखती हैं।
शायद यही वजह है कि प्रियंका की यू.पी. में ज्यादा दिलचस्पी है। वह नेहरू-गांधी परिवार की यू.पी. में खोई विरासत को वापस लाना चाहती हैं जहां दो बार राहुल को मुंह की खानी पड़ी और अब सारी रणनीति प्रियंका ने ही तैयार की जिसके तहत कांग्रेस का सपा के साथ समझौता होने में भी प्रियंका का ही सबसे बड़ा हाथ होने की बात सामने आ चुकी है। इसके आधार पर ही शीला दीक्षित, गुलाम नबी आजाद व राज बब्बर कई बार दावे कर चुके हैं कि प्रियंका यू.पी. में प्रचार करेगी लेकिन एक के बाद एक करके प्रोग्राम रद्द होते गए।
फिर कहा गया कि प्रियंका सिर्फ अमेठी व रायबरेली में ही चुनाव प्रचार करेगी लेकिन कई बार समय देने के बावजूद प्रियंका वहां नहीं पहुंची। जिसकी वजह गठबंधन की मजबूरी को बताया गया। क्योंकि अमेठी व रायबरेली की 10 विधान सभा सीटें हैं जहां सभी पर कांग्रेस ने गठबंधन से बाहर जाकर उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं जबकि 4 जगह सपा के उम्मीदवार उनके मुकाबले में हैं हालांकि कांग्रेस ने सपा से सभी सीटें छोडऩे के लिए कहा था लेकिन 10 में से 7 सीटों पर सपा के विधायक व 2 मंत्री होने कारण बात नहीं बनी। इस कारण प्रियंका के सामने दिक्कत यह रही कि अगर वह कांग्रेस की सभी 10 सीटों पर प्रचार करती हैं तो यह 4 सीटों पर सीधे तौर पर सपा का विरोध होगा जिससे गठबंधन के मायने नहीं रहेंगे और विरोधियों खासकर भाजपा को हमला करने का मौका मिल जाएगा जिससे बचने के लिए प्रियंका ने पूरी तरह चुनाव से दूर रहने को ही पहल दी।
यहां तक कि अखिलेश यादव के साथ शर्त हुई कि वे भी इन सीटों पर नहीं आएंगे। लेकिन अखिलेश ने गत दिवस इन इलाकों में रैली को सम्बोधित कर दिया। इसके बाद से कांग्रेस वर्करों का राहुल व प्रियंका पर दबाव बढ़ गया कि रायबरेली में 23 फरवरी व अमेठी में 27 फरवरी को चुनाव होने कारण प्रचार के लिए काफी कम समय बचा है जिसे लेकर कांग्रेस पदाधिकारियों ने र्वकरों को समझाने की कोशिश की कि प्रियंका प्रचार की जगह सिर्फ मीटिंग करने के लिए ही यहां आएगी। लेकिन बात न बनती देख प्रियंका ने भी अखिलेश की तरह समझौता तोड़कर राहुल की सभा में आकर भाषण दे दिया।