Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 Jul, 2017 11:00 AM
मां-बाप का फर्ज भूल देश के लिए शहीदी देने वाले शहीदों के परिवार अाज भी सुविधाअों के लिए तरस रहे हैं।
कपूरथलाः मां-बाप का फर्ज भूल देश के लिए शहीदी देने वाले शहीदों के परिवार अाज भी सुविधाअों के लिए तरस रहे हैं। कारगिल युद्ध को हुए 18 वर्ष बीत चुके हैं लेकिन आज भी कारगिल शहीदों के परिवार दर-दर की ठोकरे खा रहें है। आलम यह है कि18 वर्षों से कागजी जंग सरकार से लड़ शहीदों के परिवार उम्मीदे छोड़ चुके हैं। ऐसे में उनका यह मानना है कि यदि सरकारे ऐसी होंगी तो शायद ही भविष्य में कोई मां अपने बेटे को देश पर शहीद होने के लिए भेजे।
हाथ में तस्वीर,आंखों में आंसुओं का सैलाब लिए यह उस मां 18 वर्षों से अपने शहीद पुत्र के लिए रोती हैं लेकिन शायद ही इन आंसुओं की गहराई का किसी सरकार को दुख हो। शहीद को श्रद्धाजलि दे राजनीति करने कई नेताअों ने कई दावे किए लेकिन वे दावे कही काम ना अाए।
किसी शहीद के घर बहनें कुवारी हैं,किसी के बच्चे स्कूल जानें के लिए तरस रहे हैं। किसी का पिता बुढ़ापे की लाठी बनने वाले पुत्र का शहीदी पर गर्व तो कर रहा है लेकिन सुविधाअों से वंचित होने के चलते अपनी मौत की दुअा करता है। एेसे में सरकार को चाहिए देश के लिए शहीद हो मां के लाल अपना फर्ज निभा गए लेकिन उनके परिवार के प्रति सुविधाएं देने का फर्ज कब अदा किया जाएगा।