Edited By Updated: 19 Feb, 2017 02:10 PM
दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमैंट कमेटी (डी.एस.जी.एम.सी.) की 46 सीटों पर 26 फरवरी को चुनाव हो रहे हैं। कुल 3,80,091 वोटर्स इन सीटों पर मैदान में उतरे कैंडीडेट्स की किस्मत का फैसला करेंगे। इनमें 1,92,691 पुरुष और 1,87,400 महिला वोटर्स हैं। 425...
नई दिल्लीः दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमैंट कमेटी (डी.एस.जी.एम.सी.) की 46 सीटों पर 26 फरवरी को चुनाव हो रहे हैं। कुल 3,80,091 वोटर्स इन सीटों पर मैदान में उतरे कैंडीडेट्स की किस्मत का फैसला करेंगे। इनमें 1,92,691 पुरुष और 1,87,400 महिला वोटर्स हैं। 425 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। नतीजे 1 मार्च को आएंगे। इन सीटों में ग्रैटर कैलाश (वार्ड नं. 38) पर भी रोचक मुकाबला बना हुआ है।
इस सीट से शिरोमणि अकाली दल बादल की तरफ से दिल्ली कमेटी के वर्तमान अध्यक्ष मंजीत सिंह जी.के., अकाली दल दिल्ली (सरना गुट) से राजिंद्र पाल सिंह और पंथक सेवा दल से परमजीत सिंह मैदान में हैं। आम आदमी पार्टी (आप) समॢथत पंथक सेवा दल पहली बार चुनाव मैदान में है। इससे पहले ग्रेटर कैलाश के वार्ड नं. 38 में अब तक सबसे कम वोट होते थे लेकिन डी-लिमिटेशन के चलते इस बार 3 गुना ज्यादा वोट जुड़ गए हैं। इस वार्ड में कुल 10 पोलिंग स्टेशन बनाए गए हैं और वार्ड में ज्यादातर कालोनियां वी.वी.आई.पी. मानी जाती हैं।
ग्रेटर कैलाश (वार्ड नं. 38):कुल मतदाता: 9500
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डी.एस.जी.एम.सी.) के चुनाव में सबसे हॉट सीट वार्ड नंबर नं. 38 (ग्रेटर कैलाश) है। इस सीट से दिल्ली कमेटी के वर्तमान अध्यक्ष मंजीत सिंह जी.के. खुद लड़ रहे हैं। वह शिरोमणि अकाली दल (बादल) के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। इनके खिलाफ शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली, सरना गुट) से राजिंद्र पाल सिंह और पंथक सेवा दल से परमजीत सिंह मैदान में हैं। मंजीत सिंह जी.के. की यह परंपरागत सीट है, यहां अब तक मुकाबले में कोई नहीं होता था इसलिए यह सीट एकतरफा मानी जाती थी लेकिन इस बार तिकोनी टक्कर है जिस कारण पंजाब से लेकर दिल्ली तक इसी सीट पर नजरें हैं।
इस सीट पर 5 आजाद उम्मीदवारों सहित कुल 8 प्रत्याशी मैदान में हैं। यही सीट दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी की सरदारी तय करने में अहम है। पिछले चुनाव में करीब 3200 वोट पड़े थे। इनमें से करीब 2900 वोट अकेले मंजीत सिंह जी.के. को मिले थे। राजिंद्र पाल सिंह ने पिछला चुनाव आजाद उम्मीदवार के रूप में सफदरजंग एन्क्लेव वार्ड से लड़ा था और 400 वोट मिले थे। इस बार का चुनाव शिरोमणि अकाली दल (दिल्ली) के टिकट पर लड़ रहे हैं।
मंजीत सिंह जी.के. (अकाली दल)
हक में जाती बातें: मंजीत सिंह जी.के. दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के वर्तमान अध्यक्ष के साथ-साथ अकाली दल के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। उनके पिता जत्थेदार संतोख सिंह ने भी पंथ के प्रति बहुत सेवाएं कीं। जी.के. ने कई बड़े उतार-चढ़ाव देखे लेकिन पंथक सोच को छोड़ा नहीं। दिल्ली में पंजाबी को दूसरी भाषा का दर्जा दिलवाने, राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे, विदेशों में रह रहे सिखों के मामले, 1984 की लड़ाई व बाला साहिब की जमीन का कब्जा दिलवाने में बड़ा काम किया।
विरोध में जाती बातें: पंजाब विधानसभा चुनाव में हरियाणा के डेरा सच्चा सौदा सिरसा का समर्थन लेना, पंजाब में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी नुक्सान पहुंचा सकती है। इसके अलावा कमेटी में भ्रष्टाचार को लेकर विपक्षी दल द्वारा लगाए गए संगीन आरोप भी हैं लेकिन मंजीत सिंह एवं उनकी पार्टी तीनों मसलों पर अपनी सफाई देने भी उतरी है।
परमजीत सिंह वीरजी (पंथक सेवा दल)
हक में जाती बातें: पहली बार डी.एस.जी.एम.सी. चुनाव में उतरे परमजीत सिंह वीरजी, धार्मिक सिख शख्सियत के रूप में जाने जाते वीरजी दिल्ली के सत्ताधारी दल एवं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (आप) के 2013 पूर्व अध्यक्ष (सिख सैल) भी रह चुके हैं। वह 25 वर्ष से गुरुघर की सेवा कर रहे हैं और उनके 2 बड़े फाऊंडेशन भी हैं जो माई भागो जी विधवा बहन भलाई केंद्र के जरिए 300 विधवाओं को राशन देने का काम करते हैं। इसके अलावा गुरुबाणी रिसर्च फाऊंडेशन और हैल्थ से जुड़े लाइफ फाऊंडेशन के चेयरमैन भी हैं। वह कहते हैं कि संगत उन्हें पसंद कर रही है, लिहाजा संगत का उनके ऊपर पूरा झुकाव है।
विरोध में जाती बातें: परमजीत सिंह जिस वार्ड से चुनाव लड़ रहे हैं, उस वार्ड के वह मूल निवासी नहीं हैं। वह पड़ोस में पड़ती कैलाश कालोनी में रहते हैं। इसके अलावा इनका पहला गुरुद्वारा कमेटी का चुनाव है।
राजिंद्र पाल सिंह (अकाली दल, दिल्ली)
हक में जाती बातें: राजिंद्र पाल सिंह दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी का चुनाव दूसरी बार लड़ रहे हैं। पोस्ट ग्रैजुएट राजिंद्र पाल सिंह धार्मिक गतिविधियों से लंबे समय से जुड़े हैं। इसके अलावा छतरपुर में गुरुद्वारा बनाने के लिए 200 गज जमीन दान देना व पॉश कालोनी से उन्हें वोट मिलने की संभावना कम है लेकिन निचले तबके में रहने वालों का वोट पर उनका दावा है। उनके मुताबिक ग्रेटर कैलाश वार्ड में उनके साथ के पुराने छात्र व धर्म से जुड़े लोगों का बहुत समर्थन मिल रहा है। राजिंद्र पाल को पंजाब विधानसभा चुनाव में शिरोमणि अकाली दल (बादल) द्वारा हरियाणा के सिरसा डेरा सच्चा सौदा का समर्थन लेने के चलते नाराज सिखों का वोट भी पड़ सकता है।विरोध में जाती बातें: राजिंद्र पाल सिंह वार्ड नं. 38 में पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं। साथ ही मंजीत सिंह जी.के. के कद के आगे कमजोर भी पड़ सकते हैं। सबसे बड़ी बात यह कि वह ग्रेटर कैलाश वार्ड के निवासी भी नहीं हैं। वह ग्रेटर कैलाश से सटी कालोनी कालका जी में रहते हैं।