ईस्ट इंडिया कम्पनी की तर्ज पर चीन बनाना चाहता है बस्तियां, शुरूआत पाकिस्तान से

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Jul, 2017 01:10 AM

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भारत और चीन के बीच करीब डेढ़ महीने से तल्खी का माहौल चल रहा है। इसकी वजह चीन...

नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच करीब डेढ़ महीने से तल्खी का माहौल चल रहा है। इसकी वजह चीन डोकलाम तक सड़क बनाना चाहता है और भारत इसका विरोध कर रहा है। भूटान का डोकलाम पठार भारत (सिक्किम), चीन, भूटान के ट्राइजंक्शन पर है। डोकलाम को चीन डोंगलांग कहता है।  इस इलाके में चीन की दखलअंदाजी और सड़क बनाकर अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है। 


यह पूरा इलाका सामरिक दृष्टि से भारत के लिए बेहद अहम माना जाता है। अगर चीन यहां सड़क बनाने में कामयाब हो जाता है तो उसके लिए भारत के चिकन नैक कहे जाने वाले सिलीगुड़ी तक पहुंच काफी आसान हो जाएगी। चिकन नैक उस इलाके को कहते हैं जो सामरिक रूप से किसी देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है लेकिन संरचना के आधार पर कमजोर होता है। सिलीगुड़ी कॉरिडोर ऐसा ही क्षेत्र है। जानकारों के अनुसार चीन इस समय अपनी विस्तारवादी नीति पर चल रहा है। इसी नीति के कहता वह अपनी शुरूआत स्पैशल इकोनॉमिक जोन स्थापित कर करना चाहता है। इसके मद्देनजर चीन ने पाकिस्तान में स्पैशल इकोनॉमिक जोन स्थापित करने शुरू कर दिए हैं और अगला निशाना भारत को बनाना चाहता है। 

 

ऐसे हो रही बस्तियां बनाने की शुरूआत
पाकिस्तान सी.पी.ई.सी.(चाइना-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर) के जरिए अपनी अर्थव्यवस्था में बड़े बदलाव की उम्मीद कर रहा है। इस प्रोजैक्ट का समय 15 साल है। फिलहाल पाकिस्तान इसे ठीक मान रहा है। मगर यह प्रोजैक्ट पाकिस्तान की वित्तीय हालत में उथल-पुथल मचा सकता है। सी.पी.ई.सी. के जरिए पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के अधिकतर सैक्टरों और वहां के समाज में चीनी कम्पनियों और चीनी संस्कृति की बड़े पैमाने पर पैठ हो जाएगी। चीन ने इस प्रोजैक्ट के लिए 62 अरब डॉलर के निवेश का फैसला किया है। 


मास्टर प्लान के तहत पाकिस्तान में हजारों एकड़ कृषि भूमि चीन की कम्पनियों को लीज पर दी जाएगी। वे वहां बीज की किस्मों से लेकर सिंचाई परियोजना तक के बारे में प्रोजैक्ट्स बनाएंगी। पेशावर से लेकर कराची तक के शहरों में निगरानी का एक सिस्टम बनाया जाएगा। यही नहीं बाजार में कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए दिन-रात वीडियो रिकॉॄडग का सिस्टम होगा। इसके अलावा पाकिस्तान में एक नैशनल फाइबर ऑप्टिक सिस्टम बनाया जाएगा। इसका इस्तेमाल न केवल पाकिस्तान में इंटरनैट ट्रैफिक के लिए बल्कि टी.वी. ब्रॉडकासिं्टग में किया जाएगा। यह सिस्टम चीन की संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए चीनी मीडिया से सहयोग करेगा। योजना के तहत चीन ने पाकिस्तान में भाषाई घुसपैठ भी कर दी है।

 

चीनी गलियारा है 21वीं सदी की ईस्ट इंडिया कम्पनी?
हाल में एक पाकिस्तानी राजनेता ने संसद में चेतावनी दी है कि चीन-पाकिस्तान आॢथक गलियारा के रूप में एक ईस्ट इंडिया कम्पनी आकार ले रही है। यह बात योजना और विकास पर सीनेट की स्थायी समिति के अध्यक्ष सीनेटर ताहिर मशहदी ने कही थी। उनकी मुख्य ङ्क्षचता इस गलियारे के लिए पाकिस्तान द्वारा चीन से भारी कर्ज को लेकर थी। मशहदी ने चीनी हितों के अनुरूप बिजली की दरें निर्धारित करने की मांग पर ऐतराज जताया था। इसके अलावा शर्तों और वित्तीय विवरण को लेकर पारदॢशता का अभाव भी ङ्क्षचता का सबसे बड़ा कारण है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर ने भी कहा कि उन्हें नहीं पता है कि 46 बिलियन डॉलर में से कितना कर्ज है, कितनी इक्विटी है और कितना सामान के रूप में आना है।  यही नहीं चीन पाकिस्तान के प्रशासनिक मामलों में सीधा हस्तक्षेप भी कर रहा है। 


चीन की इस कार्रवाई से सीनेटरों की आशंका सही साबित होती जा रही है। बीते साल नवम्बर-दिसम्बर में सीनेटरों ने नवाज शरीफ सरकार को चेतावनी दी थी कि चीन ईस्ट इंडिया कम्पनी की तर्ज पर पाकिस्तान को गुलाम बनाने जा रहा है। उस वक्त नवाज शरीफ ने सभी सीनेटरों की आवाज को दबा दिया था। पाकिस्तानी सरकार के रोजमर्रा के कामकाज में दखल बढऩे की खबरों से आतंकी सरगना हाफिज सईद भी वाकिफ था। इसलिए उसने नजरबंदी से पहले चीन के खिलाफ आग उगलनी शुरू कर दी थी लेकिन आई.एस.आई. के दबाव के कारण उसने सफाई भी दी थी। अब कहा जा रहा है कि हाफिज की नजरबंदी ट्रंप का दबाव नहीं बल्कि चीन के बढ़ते दखल का नतीजा है। 


स्कूल पाकिस्तान के, पढ़ाई चीनी भाषा में
ईस्ट इंडिया कम्पनी की ही तर्ज पर चीन ने पाकिस्तान के स्कूलों में चीनी भाषा का विस्तार शुरू कर दिया है। भारत में जब अंग्रेज आए थे तो उन्हें भाषा के आधार पर व्यापार में काफी परेशानी आ रही थी। इस परेशानी के दूर करने के लिए अंग्रेजों ने भारत के स्कूलों में अंग्रेजी पढ़ाने की शुरूआत करवाई थी ताकि अपना व्यापार बढ़ाने के लिए वह क्लर्क पैदा कर सकें। ठीक इसी तर्ज पर चीन ने पाकिस्तानी स्कूलों में चीनी भाषा में पढ़ाई शुरू करवाई है। 

 

पाकिस्तानी खुफिया एजैंसियों का आकलन है कि जब से सी.पी.ई.सी. (चीन-पाक इकोनॉमिक कॉरिडोर) का ऐलान हुआ है तब से अकेले इस्लामाबाद में 50,000 से ज्यादा चीनी नागरिक रह रहे हैं। चीनी लोग पूरा का पूरा अपार्टमैंट बुक कर रहे हैं। ये चीनी नागरिक अपने बच्चों का दाखिला पाक स्कूलों में करवा रहे हैं, जहां चीनी भाषा की पढ़ाई शुरू हो गई है। चीन पाकिस्तान में सैन्य अड्डा बनाकर अपने कई हित साधना चाहता है। सैन्य अड्डा बनाकर चीन पाकिस्तान में निर्णायक दखल देने की योजना बना रहा है। चीनी भाषा में पढ़ाने से धीरे-धीरे पाकिस्तान के बच्चे भी चीनी भाषा में पढऩे लगेंगे। 


यही नहीं पाकिस्तान भारत को नीचा दिखाने के लिए इतनी जल्दबाजी में है कि अपनी सम्प्रभुता तक की परवाह करने को तैयार नहीं है। लाहौर स्टॉक एक्सचेंज में चीन ने अपनी हिस्सेदारी खरीदी है। 20 साल में 80 फीसदी ऊर्जा की आपूॢत चीन के हाथ में होगी। राष्ट्रीय राजमार्गों की देखरेख चीनी कम्पनियों के हाथ में होगी। सबसे बड़ा बंदरगाह चीनी कम्पनियों के हाथों में होगा। पर्यटन, फूड प्रोसैसिंग और कपड़ा उद्योग पर चीन का कब्जा होगा।

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