Edited By Urmila,Updated: 10 Apr, 2024 11:34 AM
नगर निगम की हेल्थ ब्रांच के जिस मुलाजिम की पत्नी के अकाउंट में सफाई कर्मियों के महंगाई भत्ते का फंड गलत तरीके से ट्रांसफर किया गया है।
लुधियाना (हितेश): नगर निगम की हेल्थ ब्रांच के जिस मुलाजिम की पत्नी के अकाउंट में सफाई कर्मियों के महंगाई भत्ते का फंड गलत तरीके से ट्रांसफर किया गया है, उसके खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर नगर निगम के ऑफिसर एक हफ्ते बाद भी फैसला नहीं ले पाए। इस मामले में कमिश्नर के पास पहुंची शिकायत में यह खुलासा किया गया है कि हेल्थ ब्रांच के मुलाजिमों द्वारा सफाई कर्मियों के महंगाई भत्ते का फंड अपने रिश्तेदारों के अकाउंट में ट्रांसफर कर दिया गया है जिसे लेकर जांच करने की जिम्मेदारी कमिश्नर द्वारा ज्वाइंट कमिश्नर को दी गई है।
इस दौरान यह बात सामने आई है कि मृतक या रिटायर हो चुके सफाई कर्मियों के महंगाई भत्ते का फंड हेल्थ ब्रांच के मुलाजिमों द्वारा गलत तरीके से अपने पारिवारिक सदस्यों के अकाउंट में ट्रांसफर किया गया है। हालांकि नगर निगम द्वारा बैंक से इस तरह के अकाउंट की स्टेटमेंट मांगी गई है कि अब तक उनमें कितना फंड ट्रांसफर किया गया है लेकिन उससे पहले हेल्थ ब्रांच के एक क्लर्क ने अपनी पत्नी के अकाउंट में सफाई कर्मियों के महंगाई भत्ते का फंड ट्रांसफर होने की बात कबूल भी कर ली है जिसके बाद से लेकर अब तक एडिशनल कमिश्नर व ज्वाइंट कमिश्नर द्वारा नगर निगम अधिकारियों के साथ कई दौर की मीटिंगे करने के बावजूद उक्त क्लर्क के खिलाफ कार्रवाई करने को लेकर कोई फैसला नहीं किया जा रहा है।
बताया जा रहा है कि यह क्लर्क मृतक कर्मियों के वारिसों की केटेगरी में भर्ती हुआ है और उसका प्रोबेशन पीरियड भी अभी पूरा नहीं हुआ है जिसे एक यूनियन के नेता व नगर निगम के ऑफिसर के दबाव में बचाने की कोशिश की जा रही है।
तीन महीने बाद भी नहीं हो पाई फर्जी सफाई कर्मियों से रिकवरी
नगर निगम की हेल्थ ब्रांच में सफाई कर्मियों की सैलरी या अन्य फंड रिलीज करने की आड़ में हुए घोटालों को लेकर जिम्मेदार मुलाजिमों के खिलाफ कार्रवाई करने के अलावा फंड की रिकवरी करने को लेकर भी ऑफिसर बिल्कुल गंभीर नजर नहीं आ रहे हैं जिसका सबूत फर्जी सफाई कर्मियों के अकाउंट में फंड ट्रांसफर होने के मामले के रूप में सामने आया है। इस मामले में 2 सेनेटरी इंस्पेक्टरों सहित हेल्थ ब्रांच के 7 मुलाजिमों को सस्पेंड करने के साथ ही उनके खिलाफ केस तो दर्ज करवा दिया गया है लेकिन न तो पुलिस उन आरोपियों को गिरफ्तार करने में कामयाब हो पाई और न ही नगर निगम द्वारा 3 महीने बाद भी इस फंड की रिकवरी की गई है जबकि इस केस में चीफ विजिलेंस ऑफिसर द्वारा की गई जांच के आधार पर लोकल बॉडी विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी ने फर्जी सफाई कर्मियों के अकाउंट में ट्रांसफर किए गए फंड की रिकवरी करके एक हफ्ते के भीतर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए गए थे जिसे लेकर नगर निगम की हेल्थ व अकाउंट ब्रांच के अधिकारियों के पास कोई संतोषजनक जवाब नहीं है।
अपने शहर की खबरें Whatsapp पर पढ़ने के लिए Click Here