23 वर्ष बाद भी नहीं संभाली गई ज्ञानी जैल सिंह से संबंधित बैरक

Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Dec, 2017 08:23 AM

the 23 year old barrage related to giani zail singh

भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह से संबंधित यहां की पुरानी जेल की इमारत में बनी ऐतिहासिक बैरक को गत 23 वर्षों से संभाला नहीं गया, जिस कारण यह खंडहर बन कर रह गई है।  फिर से ज्ञानी जी की 23वीं बरसी पर अलग-अलग सियासी नेता इकट्ठे होंगे व यादगार...

फरीदकोट (हाली): भारत के पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह से संबंधित यहां की पुरानी जेल की इमारत में बनी ऐतिहासिक बैरक को गत 23 वर्षों से संभाला नहीं गया, जिस कारण यह खंडहर बन कर रह गई है।  फिर से ज्ञानी जी की 23वीं बरसी पर अलग-अलग सियासी नेता इकट्ठे होंगे व यादगार को संभालने के भरोसे देंगे।

उल्लेखनीय है कि इस बैरक को यादगार के रूप में विकसित करने के कई सियासी नेताओं ने अलग-अलग सरकारों के दौरान वायदे किए। पुरानी जेल की यह इमारत बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने कारण यूनिवर्सिटी के नक्शे मुताबिक इसे गिराने का खाका बनाया गया, जिस पर जिला कांग्रेस कमेटी ने तुरंत ऐतराज किया था और इसे बचाने के लिए यह मुद्दा मीडिया द्वारा सरकार के ध्यान में लाया गया। 
जिला कांग्रेस द्वारा भेजे पत्र के जवाब में 2013 में भारत के उपराष्ट्रपति के दफ्तर द्वारा पंजाब के प्रमुख सचिव को नोटिस जारी किया गया था, जिस पर यूनिवर्सिटी द्वारा पत्र नं. बी.एफ.यू.एच.एस/2013/6746 द्वारा पंजाब सरकार के ग्रह मामले व न्याय विभाग चंडीगढ़ व प्रधान जिला कांग्रेस को लिखा गया है कि यूनिवर्सिटी के उपकुलपति की अनुमति से अब इस बैरक को बरकरार रखा जाएगा।

असल में ज्ञानी जैल सिंह ने देश की आजादी के लिए प्रजामंडल लहर द्वारा आंदोलन छेड़ा था, जिस कारण उस समय के महाराजा फरीदकोट ने इन पर काफी अत्याचार किया था व इन्हें 5 वर्ष की बमुशक्कत कैद हुई थी। इस दौरान इन्हें गेहूं पीसने के लिए चक्की दी गई थी। इसके अलावा पूर्व राष्ट्रपति को जेल में बेडिय़ां लगाकर रखा जाता था। आजादी मिलने के बाद इस बैरक को एक अलग सैल के तौर पर संभाल लिया गया व उसमें ज्ञानी जी की फोटो रखकर चक्की, बेड़ी व अन्य निशानियां यादगार के तौर पर संभाली गईं।

जिला कांग्रेस कमेटी के पूर्व प्रधान सुरिन्द्र गुप्ता व महासचिव साजन शर्मा ने बताया कि जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा इस बैरक को संभालने के लिए भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की थी, परन्तु कोई कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने पंजाब सरकार से मांग की कि ज्ञानी जी की बैरक को यादगार के तौर पर विकसित किया जाए।

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