निगम चुनावः एक-दूसरे विरुद्ध डटे भाई-भाई और चाचा-भतीजा

Edited By Punjab Kesari,Updated: 12 Dec, 2017 08:01 AM

punjab corporation elections 2017

नगर निगम जालंधर के 80 वार्डों हेतु 300 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में हैं। ज्यादातर वार्डों में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवारों के बीच चल रहा है परन्तु कुछेक वार्डों में आजाद और बागी होकर चुनाव लड़ रहे उम्मदीवार भी पार्षद...

जालंधर (खुराना): नगर निगम जालंधर के 80 वार्डों हेतु 300 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में हैं। ज्यादातर वार्डों में मुख्य मुकाबला कांग्रेस और अकाली-भाजपा गठबंधन के उम्मीदवारों के बीच चल रहा है परन्तु कुछेक वार्डों में आजाद और बागी होकर चुनाव लड़ रहे उम्मदीवार भी पार्षद बनने की लाइन में हैं।

ज्यादातर वार्डों में उम्मीदवारों का पूरा-पूरा परिवार और रिश्तेदार तक चुनाव प्रचार में डटे हुए हैं परन्तु कुछ वार्ड ऐसे हैं जहां सगे रिश्तों में कड़वाहट साफ देखी जा रही है। एक-दो वार्डों में सगे भाई एक-दूसरे के विरुद्ध प्रचार में लगे हुए हैं तो एक वार्ड में कांग्रेसी भतीजे द्वारा भाजपाई चाचा की मुखालफत किए जाने का समाचार है।

यह बात सर्वविदित है कि आजकल कई परिवार ऐसे हैं जहां एक भाई कांग्रेस और दूसरा विरोधी दल में होता है परन्तु अक्सर इन स्थानीय चुनावों में ऐसे भाई भी एक-दूसरे की मदद पर उतर आते हैं। जालंधर के जिन वार्डों में भाई-भाई और चाचे-भतीजे में अनबन चल रही है वहां उम्मीदवारों को ऐसी पारिवारिक कलह का नुक्सान भी झेलना पड़ रहा है क्योंकि विरोधी उम्मीदवार अपने प्रचार में रिश्तों की ऐसी कड़वाहट का मुद्दा उठाना नहीं भूलते।

वोटर लिस्टों को लेकर माथापच्ची बरकरार

पंजाब में कांग्रेस सरकार को बने चाहे करीब 9 महीने हो चुके हैं परन्तु कांग्रेस ने निगम चुनावों को करवाने में आखिरी समय में जल्दबाजी दिखाई जिस कारण इन चुनावों में कई गड़बडिय़ां सामने आ रही हैं। 
सबसे बड़ी गड़बड़ी वार्डों की वोटर सूचियों को लेकर है जो अभी तक फाइनल होने का नाम नहीं ले रहीं और दिन-ब-दिन इन वोटर सूचियों में बदलाव देखने को मिल रहे हैं।

ज्यादातर उम्मीदवारों में इस बात को लेकर रोष है कि अभी उन्हें फाइनल वोटर लिस्ट नहीं मिली है। उम्मीदवारों का दूसरा रोष यह भी है कि वार्डबंदी में वार्ड का जो नक्शा दिखाया गया था और जिस नक्शे पर ऑब्जैक्शन मांगे गए थे उसमें और वोटर सूचियों में काफी फर्क है।

 एक वार्ड की वोटें दूसरे वार्ड में डाली गई हैं और शिकायत करने पर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही। सरकारी मशीनरी की अपनी विवशता है कि उन्हें चुनावी प्रबंध करने के लिए बहुत कम समय और कम स्टाफ मिल पा रहा है। ज्यादातर उम्मीदवारों का कहना है कि कुछ गलियां तो ऐसी हैं जिनके घर दो-दो वार्डों में बंट गए हैं। कुछ जगह तो उम्मीदवार की अपनी वोट दूसरे वार्ड में चली गई है। फिलहाल वोटर सूचियों को लेकर जिस प्रकार का माहौल बना है उससे सभी दल सरकार और प्रशासन से नाराज दिख रहे हैं। 

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