Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Dec, 2017 01:12 PM
केन्द्र सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में बच्चों की गिनती बढ़ाने के लिए शुरू की गई मिड-डे मील योजना के बर्तन अब पंजाब में फंड की कमी से खटकने लगे हैं। दरअसल, पिछले समय के दौरान शुरू की गई प्री-प्राइमरी नर्सरी कक्षाओं की शुरूआत के बाद अब प्राइमरी...
मोगा( ग्रोवर): केन्द्र सरकार की ओर से सरकारी स्कूलों में बच्चों की गिनती बढ़ाने के लिए शुरू की गई मिड-डे मील योजना के बर्तन अब पंजाब में फंड की कमी से खटकने लगे हैं। दरअसल, पिछले समय के दौरान शुरू की गई प्री-प्राइमरी नर्सरी कक्षाओं की शुरूआत के बाद अब प्राइमरी स्कूलों में बच्चों की कुल गिनती पहले से बढ़ गई है।
ऐसे में अध्यापकों को अपने स्तर पर स्कूलों के समूचे बच्चों को खाना मुहैया करवाने में मुश्किल आ रही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार अकेले मोगा जिले में ही मिड-डे मील के फंड की राशि लगभग 1 करोड़ 30 लाख रुपए बकाया है। फंड की कमी के कारण अधिकतर स्कूलों में अध्यापक अपने खर्च पर ही विद्यार्थियों को मिड-डे मील का खाना मुहैया करवा रहे हैं, लेकिन पिछले काफी समय से फंड जारी न होने के कारण अब अध्यापक भी अपने स्तर पर खाने का सामान खरीदने में हाथ खड़े करने लगे हैं।
जिले के इन ब्लाकों के हालात भी ऐसे
मोगा जिले के सभी ब्लाक मोगा-1, मोगा-2, बाघापुराना, निहाल सिंह वाला, बाघापुराना के 632 स्कूलों में हालात एक जैसे ही हैं। ऐसे में सरकारी स्कूलों में मिड-डे मील का खाना तैयार करने वाले चूल्हे ठंडे हो गए हैं। सूत्रों का कहना है कि खाना तैयार करने वाले 1480 कुक को पिछले 2 महीनों से वेतन नहीं मिला है।
एक सरकारी स्कूल के अध्यापक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मिड-डे मील के खाने संबंधी स्कूलों द्वारा समस्त जानकारी एकत्रित ब्यूरो सहित ब्लाक शिक्षा दफ्तरों को भेजी जाती है ताकि स्कूलों को इसकी राशि मिल सके, लेकिन पिछले दिनों शुरू हुई प्री-प्राइमरी नर्सरी कक्षाओं के बच्चों को खाना मुहैया करवाने को लेकर अध्यापक असमंजस में हैं कि इन बच्चों को खाना मुहैया करवाना है या नहीं। एक अन्य अध्यापक ने बताया कि वे 3 महीनों से उधार का राशन लेकर इस स्कीम को चला रहे हैं, लेकिन सरकार फंड जारी करने में ढील बरत रही है।
नर्सरी कक्षाओं को लेकर फंसा पेंच
बेशक सरकारी स्कूलों में प्री-प्राइमरी कक्षाएं शुरू हो गई हैं, लेकिन इन्हें खाना मुहैया करवाने के मामले में पेंच फंस गया है। सूत्रों का कहना है कि यह स्थिति स्पष्ट नहीं है कि इन बच्चों को खाना सरकारी स्कूलों के अध्यापकों ने या फिर आंगनबाड़ी मुलाजिमों ने मुहैया करवाना है। आंगनबाड़ी मुलाजिमों ने स्पष्ट किया कि वह सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को खाना मुहैया नहीं करवाएंगे। उधर, प्राइमरी स्कूलों के अध्यापकों के पास इन बच्चों के लिए फंड नहीं आ रहा है।
अधिकारी ने नहीं उठाया फोन
जब जिला शिक्षा अफसर गुरदर्शन सिंह बराड़ से बात करने के लिए उनके मोबाइल पर संपर्क करना चाहा तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।