Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Nov, 2017 10:10 AM
‘लोगों को नसीहत खुद मियां फजीहत’ वाली कहावत शिक्षा विभाग पर सटीक बैठती है। शिक्षा विभाग को प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों की सुरक्षा की चिता है। वहीं सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की सुरक्षाराम भरोसे है। विभाग सुरक्षा के...
अमृतसर(दलजीत): ‘लोगों को नसीहत खुद मियां फजीहत’ वाली कहावत शिक्षा विभाग पर सटीक बैठती है। शिक्षा विभाग को प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले विद्यार्थियों की सुरक्षा की चिता है। वहीं सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों की सुरक्षाराम भरोसे है। विभाग सुरक्षा के बहाने जहां हमेशा प्राइवेट स्कूलों को टारगेट करता रहता है, लेकिन प्रद्युम्न कत्लकांड के बाद भी विभाग सरकारी स्कूलों के बच्चों की सुरक्षा के संबंध में कुंभकर्णी नींद सोया हुआ है।
जानकारी के अनुसार प्रद्युम्न कत्लकांड और दिल्ली कांड के बाद स्कूल के विद्याॢथयों के माता-पिता भी दहशत में हैं। शिक्षा विभाग द्वारा प्राइवेट स्कूलों को पत्र जारी कर स्पष्ट आदेश दिए गए हैं कि विद्यार्थियों की सुरक्षा में यदि कोई चूक हुई तो उसके लिए संबंधित स्कूल जिम्मेदार होगा। स्कूल में बाहरी व्यक्ति विद्यार्थी को न मिलने जाएं व न ही संदिग्ध व्यक्ति के साथ उन्हें भेजा जाए। जिला अमृतसर की बात करें तो यहां पर 800 के करीब सरकारी एलीमैंटरी स्कूल, 114 सी.सै. स्कूल, 200 हाई व 150 मिडल स्कूल हैं। उक्त स्कूलों में पिछले लम्बे से 600 से अधिक दर्जा चार कर्मचारियों के पद खाली हैं। दर्जा चार कर्मचारी ही विद्यार्थियों की सुरक्षा करते हैं।
1990 से नहीं हुई भर्ती
सरकारी स्कूलों में कोई भी सुरक्षा कर्मचारी नहीं है। दर्जा चार कर्मचारी ही सुरक्षा का काम कर रहे हैं। 1990 के बाद सरकारी स्कूलों में दर्जा चार कर्मचारियों की भर्ती नहीं हुई। सरकारों द्वारा एक कर्मचारी के मरने के उपरांत उसके परिजन को नौकरी दे दी जाती है या तरस के आधार पर कर्मचारियों को रखा जा रहा है। रैगुलर भर्ती न करने से पंजाब भर के स्कूलों में 10 हजार से अधिक दर्जा चार कर्मचारियों के पद खाली पड़े हैं।
अध्यापकों के सहारे सुरक्षा
जिले के 800 के करीब सरकारी एलीमैंटरी स्कूलों में न तो दर्जा चार कर्मचारी हैं और न सुरक्षा कर्मचारी। अध्यापक ही विद्यार्थियों की सुरक्षा कर रहे हैं, इसके अलावा मिडल, हाई, सी.सै. स्कूलों में भी कई स्थानों पर दर्जा चार कर्मचारी न होने से अध्यापकों द्वारा एक अध्यापक को विद्यार्थियों की सुरक्षा के लिए लगाया जाता है।