Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Nov, 2017 11:18 AM
एक तरफ कांग्रेस सरकार सरकारी प्राइमरी स्कूलों में प्री नर्सरी क्लासें शुरू करके लोगों में हीरो बनने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ उक्त क्लासों में पढऩे के लिए आने वाले बच्चों हेतु उचित व्यवस्था न होने के चलते ठंड में नन्हे-मुन्ने बच्चे ठंडी...
जालंधर (पांडे): एक तरफ कांग्रेस सरकार सरकारी प्राइमरी स्कूलों में प्री नर्सरी क्लासें शुरू करके लोगों में हीरो बनने की कोशिश कर रही है, वहीं दूसरी तरफ उक्त क्लासों में पढऩे के लिए आने वाले बच्चों हेतु उचित व्यवस्था न होने के चलते ठंड में नन्हे-मुन्ने बच्चे ठंडी धरती पर बैठने को मजबूर हैं, जिसके चलते उनकी जिंदगी खतरे में है।
बच्चों की सेहत को देखते हुए अभिभावक भी परेशान हैं कि ठंड कहीं उनके लाडले के लिए खतरा न बन जाए। इस संबंध में जब पंजाब केसरी टीम ने मकसूदां स्थित सरकारी प्राइमरी स्कूल का दौरा किया तो देखा कि ठंड में नन्हे-मुन्ने बच्चे एक दरी के ऊपर बैठकर ठिठुर रहे थे। इस संबंध में जब स्कूल स्टाफ को पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बेशक उन्हें प्री नर्सरी क्लासें स्कूल में लगाने के साथ बच्चों को दाखिल करने तथा उन्हें पढ़ाने के आदेश हैं लेकिन सहूलियतों की कमी के कारण कई समस्याएं सामने आ रही हैं, जिसकी सूचना प्रशासन को दे दी गई है। बच्चों के बैठने की कोई खास व्यवस्था नहीं की गई है। हैल्पर न होने की वजह से छोटे-छोटे बच्चे होने के कारण उन्हें बाथरूम में भी खुद ही ले जाना पड़ रहा है।
स्कूल स्टाफ ने बताया कि स्कू ल में अब तक करीब 37 बच्चे प्री नर्सरी क्लास में दाखिल हो चुके हैं तथा उम्मीद है कि यह दर 100 के करीब हो जाए। प्री नर्सरी क्लासें शुरू करने से भविष्य में कमरों की कमी भी हमारे स्कूल में हो सकती है। उक्त समस्या के बारे में संबंधित अधिकारियों को बताया जा रहा है। जब पूर्व पार्षद गुरदीप सिंह नागरा तथा उनके साथी मकसूदां प्री प्राइमरी क्लासों में पढऩे वाले बच्चों की मौजूदा हालत देखने पहुंचे तो ठंड में बैठे नन्हे-मुन्ने बच्चों को देख उन्होंने सरकार पर गम्भीर आरोप लगाते हुए कहा कि बिना व्यवस्था किए सरकार ने प्री नर्सरी क्लासें शुरू क्यों कर दीं। यह समझ के परे है। अभिभावकों का कहना है कि प्री नर्सरी क्लास में हमने अपने बच्चों को दाखिल तो जरूर करवा दिया लेकिन सहूलियतों की कमी के कारण हम परेशान हैं। इस तरफ प्रदेश सरकार को जल्द ही ध्यान देने की जरूरत है।